जबलपुर: मध्य प्रदेश के लोगों को गर्मी के मौसम में बढ़ते तापमान के साथ ही बढ़ा हुआ बिजली बिल भी परेशान करेगा. मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी और विद्युत वितरण कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग के सामने बिजली बिलों को 7.5% तक बढ़ाने की अनुमति मांगी है. जानकारों का मानना है कि बिजली बिलों में बढ़ोतरी बीते 2 सालों से नहीं की गई. क्योंकि बीते 2 सालों से चुनाव चल रहे थे और महंगी बिजली राजनीतिक मुद्दा ना बने, इसलिए बिजली के बिल नहीं बढ़ाए गए. मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने घरेलू और कमर्शियल बिजली बिलों में लगभग 7.5% की बढ़ोतरी के प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजे हैं.
बिजली कंपनियों ने 7.5% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया
प्रस्ताव के अनुसार अभी घरेलू उपभोक्ता का बिजली बिल₹5.50 पैसा प्रति यूनिट के अनुसार आ रहा है. यदि इसमें 7.5% की बढ़ोतरी की जाती है तो यह लगभग₹5.80 पैसा प्रति यूनिट हो जाएगा. इसी तरह व्यावसायिक उपयोग में आने वाली बिजली₹7 प्रति यूनिट बढ़कर 7.50 पैसा प्रति यूनिट हो जाएगी. सबसे ज्यादा प्रभाव व्यावसायिक उपयोग में आने वाले टेंपरेरी कनेक्शन पर पड़ेगा. इनमें वर्तमान में₹10 प्रति यूनिट के अनुसार बिजली बिल लिया जाता है, जो बढ़कर ₹10.75 पैसा हो जाएगा.
100 यूनिट से कम बिजली खपत वालों को दिक्कत नहीं
फिलहाल, राज्य सरकार की ओर से पहले 100 यूनिट पर मात्र ₹100 का बिजली बिल आता है. यदि यह सब्सिडी जारी रहती है तो 100 यूनिट से कम बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को परेशानी नहीं होगी लेकिन इसके ऊपर के उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में जोरदार झटका लगने वाला है. घरेलू बिजली की खपत भी सबसे ज्यादा गर्मियों के दिनों में बढ़ती है. यदि विद्युत नियामक आयोग बिजली बिलों को बढ़ाने की अनुमति देता है तो गर्मी के मौसम में लोगों को करंट का जोरदार झटका लगेगा.
- मध्य प्रदेश में फ्री बिजली: विद्युत नियामक आयोग ने खत्म किया मिनिमम बिलिंग सिस्टम, ई-व्हीकल चार्जिंग महंगी
- मध्यप्रदेश में नए साल पर लगेगा बिजली बिल का करंट, देखें कब से कितनी दरें बढ़ेंगी
रिटायर्ड इंजीनियर की आपत्ति पर सुनवाई 19 फरवरी को
जबलपुर के बिजली मामलों के जानकार और विद्युत मंडल के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने बिजली कंपनियों के बिजली बिल बढ़ाने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करवाई है और इसकी सुनवाई 19 फरवरी को है. बता दें कि बिजली बिल में 7.5 की बढ़ोतरी लोगों को परेशानी खड़ी कर सकती है. दरअसल, बिजली कंपनियों ने पिछले साल भी 3.5% बिजली बिलों की बढ़ोतरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के पास भेजा था. लेकिन नियामक आयोग ने मात्र दशमलव 7% की बढ़ोतरी की अनुमति दी थी.