रायपुर: मकर संक्रांति के एक दिन पहले 13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है. यह महाकुंभ 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. महाकुंभ के दौरान छत्तीसगढ़ के राजिम में राजिम कुंभ कल्प की शुरुआत होगी. इस तरह लोगों को एक कालखंड में दो दो कुंभ में शामिल होने का मौका मिलेगा. इस वजह से राजिम कल्प कुंभ का धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है. साय सरकार इस कुंभ के आयोजन को लेकर तैयारियां शुरू कर चुकी है. 7 जनवरी को सीएम साय ने राजिम में भक्तिन माता की भव्य कांस्य प्रतिमा स्थापित करने के लिए पांच करोड़ की राशि का ऐलान किया.
राजिम में भव्य कुंभ का आयोजन: राजिम में भव्य और दिव्य कुंभ कल्प का आयोजन होने जा रहा है. इस साल राजिम कुंभ कल्प की शुरुआत 12 फरवरी 2025 से होगी. यह कुंभ कल्प 26 फरवरी 2025 तक राजिम में जारी रहेगा. इस वर्ष 20 साल बाद राजिम कुंभ कल्प मेले का स्थल बदला जा रहा है. मेला स्थल को संगम स्थल से 750 मीटर की दूरी पर लक्ष्मण झूला और चौबे बांधा के बीच तैयार करने की घोषणा की गई है. राजिम कुंभ और भक्तिन माता राजिम का धार्मिक और पौराणिक महत्व है.
राजिम और भक्तिन माता राजिम का धार्मिक महत्व: भक्तिन माता राजिम का धार्मिक और पौराणिक महत्व है. राजिम शैव और वैष्णव परंपरा का संगम स्थल है. राजिम के इस पावन स्थल का भगवान श्रीराम से गहरा संबंध रहा है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीराम ने यहां कुलेश्वर महादेव की स्थापना की थी. उसके बाद कुलेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की थी. राजिम में सोन्ढूर, पैरी और महानदी का संगम है. इसलिए इसे त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है. त्रिवेणी संगम की वजह से यह क्षेत्र पूरे देश में प्रसिद्ध है.
राजिम छत्तीसगढ़ का प्रयागराज: राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यहां से बहने वाली महानदी को पापमोचिनी गंगा कहा जाता है. राजिम भक्तिन माता के नाम पर इस स्थल का नामकरण किया गया और इसका नाम राजिम रखा गया है. यहां कुभ का आयोजन होता है. इसके अलावा यहां हर साल साहू समाज की तरफ से भक्तिन माता राजिम की जयंती मनाई जाती है. इस बार राजिम भक्तिन माता जयंती में सीएम विष्णुदेव साय शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने राजिम में राजिम भक्तिन माता की भव्य प्रतिमा स्थापित करवाने का ऐलान किया. उसके लिए पांच करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दी.