दुर्ग: सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी कोई नई बात नहीं है. बोरसी के प्राइमरी स्कूल में 76 बच्चों पर सिर्फ एक टीचर है. एक ही टीचर सभी क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं. बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए गांव वालों ने गांव के ही दो लोगों को स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी है. स्कूल का भवन भी काफी जर्जर है. यहां पढ़ाने वाले शिक्षक खुद ये मानते हैं कि शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
स्कूल में बस एक शिक्षक: गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल बोरसी में बिना वेतन के दो शिक्षक पढ़ाने आते हैं. गांव वालों ने निशुल्क स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों से कहा कि बच्चों की पढ़ाई लिखाई ठीक से हो इसके लिए आप लोग योगदान दें. स्कूल में पढ़ाने आने वाले एक प्राइवेट टीचर को गांव वालों ने कुछ पैसे देने का भी वादा किया है. प्राइवेट टीचर का कहना है कि वो एक तरह से निशुल्क ही बच्चों को यहां पढ़ा रहे हैं.
यहां कुल 76 बच्चे पढ़ते हैं. टीचर के नाम पर बस मैं ही यहां हूं. टीचर की कमी से बच्चों की पढ़ाई तो खराब होती ही है - शैलेश कुमार ठाकुर,प्रधान टीचर बोरसी गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल
गांव वालों ने निवेदन किया है कि वो बच्चों को यहां पढ़ाएं. हम तो निशुल्क ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं. गांव वालों ने कुछ आर्थिक मदद किए जाने का वादा जरुर किया है - गंगाराम साहू, प्राइवेट टीचर
गांव के लोग ही मुझे 1200 से 1500 रुपए जमा कर बच्चों को पढ़ाने के लिए देते हैं - हितेश्वरी साहू, प्राइवेट टीचर
जिला शिक्षा अधिकारी ने नहीं दिया कोई जवाब: यहां पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि यहां पर पांच महीने पहले एक शिक्षक को अटैच किया गया था. इन सबके बावजूद स्कूल में आज भी शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो पाई. इस संबंध में जब जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो वो कोई भी बात करने से बचते नजर आए.