बस्तर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बहुचर्चित पत्रकार मुकेश चंद्रकर की हत्याकांड में बड़ा अपडेट है. इस हत्याकांड को लेकर पुलिस ने 6 पन्नों का प्रेस नोट जारी किया है. एसआईटी ने यह भी दावा किया है कि 30 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल किया जाएगा.
पुलिस ने आरोपियों से कराया सीन रिक्रिएट : बीजापुर पुलिस के प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, पत्रकार मुकेश चंद्रकर के भाई युकेश चंद्रकर ने अपने भाई के गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई थी, जिसके बाद उसके हर लोकेशन की जांच किया गया. पड़ताल करने पर खुलासा हुआ और सुरेश चंद्रकर के चट्टान पारा कंस्ट्रक्शन साइट से सैप्टिक टैंक से शव बरामद किया गया. मृतक मुकेश चंद्रकर के साथ हुई घटना का पुलिस ने आरोपी रितेश चंद्रकर व मुकेश रामटेके से सीन रिक्रिएट कराया.
एसआईटी के प्रेस नोट में कई बड़े खुलासे : एसआईटी के प्रेस नोट के मुताबिक, सुरेश चंद्राकर ने भाईयों के साथ मिलकर पत्रकार मुकेश चंद्राकर के हत्या की प्लानिंग 4 से 5 दिन पहले कर ली थी. पुलिस को गुमराह करने मुकेश के दोनों फोन पत्थरों से कुचल कर तुमनार नदी में फेंका गया, जिसकी तलाश जारी है. हत्या में उपयोग किये गए रॉड को नेलसनार नदी के किनारे झाड़ियों में छुपाया गया था. इतना ही नहीं मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर ने हत्या से चार दिन पहले ही बड़ी रकम बैंक से निकाली थी.
जांच में AI और OSINT Tools का उपयोग : अब तक की जांच में तेलंगाना, ओड़िसा और महाराष्ट्र की पुलिस की भी मदद ली गई है. एसआईटी ने हत्याकांड से जुड़ी सारी कार्रवाई और जांच का वीडियोग्राफी भी कराया है. एसआईटी की टीम ने जांच में AI और OSINT tools का भी उपयोग किया है.
नए साल के दिन मुकेश हुआ लापता : प्रदेश के बीजापुर जिले में 1 जनवरी को पत्रकार मुकेश चंद्राकर लापता हुए थे. 1 जनवरी शाम 8 बजे मुकेश चंद्राकर के भाई युकेश चंद्राकर ने उनके गायब होने की रिपोर्ट लिखाई थी. मुकेश के फोन की लोकेशन अलग-अलग जगह आ रही थी. बाद में युकेश ने जी-मेल पर अपडेट हुए लास्ट लोकेशन की जानकारी पुलिस को दी जो कि चट्टानपारा स्थित बाड़े की थी. पुलिस ने पत्रकारों के साथ वहां जाकर जांच की. वहां, मजदूरों के 17 कमरे थे, जिनमें ताले लगे थे. उन्हें खोलने के लिए बाड़े के मालिक सुरेश चंद्राकर को बुलाया गया और हर कमरे को खोलकर जांच की गई, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला.
कॉल डिटेल्स से मिला सुराग : पुलिस ने आगे बताया कि बाड़े में नए बने सैप्टिक टैंक की छत के बारे में पूछने पर सुरेश चंद्राकर ने बताया कि बाथरूम में रिनोवेशन चल रहा है. सुरेश चंद्राकर ने उसके भाई रितेश चंद्राकर के बारे में पूछने पर उससे दो सालों से बातचीत बंद होना बताया और कोई जानकारी नहीं होने की बात कही. पुलिस ने संदेही रितेश चंद्राकर और अन्य संदेहियों के साथ मुकेश चंद्राकर के कॉल डिटेल्स से जांच की. तब पता लगा कि मुकेश के आखिरी दो कॉल रितेश से ही आए थे.
रितेश के भाई दिनेश ने जुर्म कबूला : पुलिस ने तकनीकी और अन्य जानकारी के आधार पर 1 जनवरी की रात ही रितेश चंद्राकर के भाई दिनेश चंद्राकर को भी ढूंढना शुरू किया, जिसका मोबाइल बंद था. 7 जनवरी की सुबह पता चला कि दिनेश चंद्राकर बीजापुर अस्पताल में है. उसने पूछताछ में पहले तो कोई जानकारी नहीं होना कहा, लेकिन कॉल डिटेल्स और लोकेशन की जानकारी के आधार पर तीन घंटे की पूछताछ करने पर उसके भाई रितेश और एक अन्य महेंद्र रामटेके ने रॉड मारकर मुकेश की हत्या करना कबूल किया.
दिनेश ने रॉड, कपड़े, मोबाइल ठिकाने लगाने और घटना स्थल को साफ कर टंकी में लाश डालकर फ्लोरिंग करने में मदद की बात बताई. पुलिस ने महेंद्र रामटेके को नए बस स्टैंड के पास से हिरासत में लिया और पूछताछ में उसने भी जुर्म कबूल कर लिया.
ठेके के खिलाफ न्यूज लगाने से थे नाराज : पूछताछ में यह बात सामने आई कि मुकेश चंद्राकर आरोपियों का रिश्तेदार था और पत्रकार था. वह इनके ठेके के खिलाफ न्यूज लगा रहा था, जिससे इनके ठेके की जांच शुरू हो गई थी. इससे नाराज होकर सुरेश चंद्राकर के साथ मिलकर उसकी हत्या की साजिश रची. सुरेश के भाई रितेश ने अपने सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके के साथ मिलकर बाड़े के कमरा नंबर 11 में हत्या की. सुरेश चंद्राकर ने खुद को घटना के समय बाहर दूर रखा था, ताकि उस पर शक न हो.
पुलिस की गिरफ्त में सभी आरोपी : पुलिस ने रितेश चंद्राकर को टोल टैक्स के सीसीटीवी रिकॉर्डिंग देखकर रायपुर एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया. हत्यारों ने मुकेश चंद्राकर के दो मोबाइल तुमनार नदी तक चालू रखकर वहां पत्थरों से तोड़कर नदी में फेंक दिए. ताकि मुकेश की आखिरी लोकेशन तुमनार नदी दिखे. इस बीच, पुलिस ने 5 जनवरी की देर रात सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था.