पटना: राजगीर स्थित बिहार खेल विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तहत विधिवत मान्यता मिल गई है. विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा है कि यह मान्यता बिहार के युवाओं के लिए खेल और शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करेगी. उनका प्रयास है कि विश्वविद्यालय भारत को खेल शिक्षा में अग्रणी बनाए.
खेल विश्वविद्यालय को मिली मान्यता: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 में बिहार के पहले खेल विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था हालांकि इसकी मंजूरी 2021 में ही नीतीश सरकार ने दे दी थी और इसके पहले कुलपति पूर्व आईएएस अधिकारी शिशिर सिन्हा को को बनाया गया है. पिछले साल नवंबर में ही यह जिमेवारी उन्हें दी गई थी.
यहां होगा कई पाठ्यक्रमों को प्रारंभ:यूजीसी से मान्यता मिलने के बाद अब राजगीर स्थित खेल विश्वविद्यालय को शारीरिक शिक्षा में और खेल विज्ञान में स्नातक और डिप्लोमा/स्नातकोत्तर डिप्लोमा जैसे शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने का अधिकार प्राप्त हो गया है.
शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रस्तावित पाठ्यक्रम:इस साल से यहां स्पोर्ट्स कोचिंग में डिप्लोमा/स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGD) होगा. यह पाठ्यक्रम दो या तीन प्रमुख खेलों में विशेषज्ञता प्रदान करेगा. योग में डिप्लोमा/स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGD) होगा, जिसमें योग को प्रोत्साहित करने और पेशेवर शिक्षा प्रदान करने का काम किया जाएगा. वहीं 4-वर्षीय शारीरिक शिक्षा स्नातक (बी.पी.एड.), राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद [NCTE] से अनुमोदन के अधीन होगा.
यहां मिलेगा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण: बिहार खेल विश्वविद्यालय का उद्देश्य शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना है. खेल विश्वविद्यालय की स्थापना के समय ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था यह विश्वविद्यालय न केवल छात्रों को शैक्षिक योग्यता प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें खेलों में भी सशक्त बनाएगा.
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