जयपुर. लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा राजस्थान में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई. मिशन 25 की हैट्रिक को लेकर चुनावी मैदान में उतरी भाजपा 14 सीटों पर सिमट जाएगी, इस तरह के परिणाम को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को अंदाजा भी नहीं था. चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में मंथन और चिंतन का दौर शुरू हो गया है. किस विधानसभा में पार्टी पिछड़ी, किस विधायक की परफॉर्मेंस खराब रही, इन सब का आकलन किया जा रहा है. इस बीच केंद्रीय नेतृत्व ने भी समीक्षात्मक परफॉर्मेंस की रिपोर्ट मांग ली है.
पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई :पार्टी स्तर पर रिपोर्ट तैयार की गई तो कुछ चौंकाने वाले आंकड़ों ने चिंता बढ़ा दी. निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि करीब आधा दर्जन लोकसभा सीटों के एक दर्जन से ज्यादा बूथ ऐसे हैं, जहां भाजपा प्रत्याशियों को शून्य वोट मिले हैं, यानी उस बूथ पर पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई, जबकि भाजपा का दावा था कि 52 हजार बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुख बनाए हैं, जो पार्टी को मजबूत करेंगे. अब सवाल है कि क्या पन्ना प्रमुख ने भी पार्टी को वोट नहीं दिया ?
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इन लोकसभा सीटों पर मिले शून्य वोट :भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि जयपुर, सीकर, अलवर, बाड़मेर और जोधपुर ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जिनके कई बूथ पर भाजपा प्रत्याशी को शून्य वोट मिले हैं. विधानसभा में हर बूथ के लिहाज से आंकड़े देखें तो जयपुर शहर लोकसभा क्षेत्र की हवामहल विधानसभा के बूथ नंबर 129 A पर भाजपा को शून्य वोट मिला, जबकि इसी विधानसभा की बूथ संख्या 136 A पर भाजपा को मात्र 1 वोट मिला. इसी तरह से सीकर लोकसभा क्षेत्र की दातारामगढ़ विधानसभा के बूथ नंबर 32 पर भी भाजपा को शून्य वोट मिला, जबकि इसी विधानसभा के बूथ सांख्य 114 पर भाजपा को मात्र 2 वोट मिले.
इन बूथों पर ये रहे हालात :अलवर लोकसभा क्षेत्र की अलवर शहर विधानसभा के बूथ नंबर 80 पर भाजपा को मात्र 1 वोट मिला, जोधपुर लोकसभा क्षेत्र की पोकरण विधानसभा के बूथ नंबर 2 पर भाजपा को 1 वोट मिला. भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान बाड़मेर लोकसभा सीट पर हुआ. यहां जैसलमेर विधानसभा के बूथ संख्या 45, 126 181 पर शून्य वोट मिला. इसी तरह से शिव विधानसभा सीट के बूथ संख्या 165, 173, 180 पर भाजपा को शून्य वोट मिला. वहीं, बाड़मेर विधानसभा सीट के बूथ संख्या 42 पर भाजपा को शून्य वोट मिला. दरअसल ये तो शून्य और 1 वोट के आंकड़े हैं, लेकिन 2 से लेकर 5 वोट के आंकड़े देखें तो उनकी संख्या और भी ज्यादा है.
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सवाल क्या पन्ना प्रमुख ने भी दिया वोट ? :दरअसल, आंकड़ों के बीच पार्टी में इस बात की चिंता है कि जिन बूथ पर शून्य और एक वोट मिला है या 5 से भी कम वोट मिले, वहां क्या पार्टी की ओर से चुनाव से पहले बनाए गए पन्ना प्रमुख, बूथ अध्यक्ष और बूथ समिति के सदस्यों ने भी वोट पार्टी के पक्ष में नहीं दिया ? जबकि भाजपा बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुख बनाने के बड़े-बड़े दावे कर पार्टी की ग्रास रूट पर मजबूती की बात कर रही थी. चुनाव से पहले पार्टी का दावा था कि 52 हजार बूथ एक अध्यक्ष और 16 से 18 के बीच में पन्ना प्रमुख बनाये गए हैं. इतना ही नहीं हर बूथ पर 11 सदस्यों की समिति का दावा भी किया गया था.
बूथ अध्यक्ष, बूथ समिति सदस्य और पन्ना प्रमुख के आंकड़े जोड़कर देखें तो हर बूथ पर पार्टी के 30-35 तो रजिस्टर्ड सदस्य हो गए जो कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग की लिस्ट बताती है कि ऐसे बूथों की बड़ी संख्या है जहां पार्टी को 30 से भी कम वोट मिले हैं. आंकड़ा चौंकाने वाला तो है ही, साथ ही पार्टी के लिए चिंता का भी विषय है. यही वजह है कि पार्टी पदाधिकारी सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन ऑफ कैमरा दलील दे रहे हैं कि 52 हजार बूथों में से 46 बूथों पर ही पार्टी ने पन्ना प्रमुख और बूथ अध्यक्ष बनाए थे. हालांकि, ये बयान बिगड़े आंकड़ों के बाद का है. चुनाव से पहले तो पार्टी 52 हजार बूथ पर बूथ अध्यक्ष और पन्ना बना कर पार्टी की मजबूती की बात कर रही थी.