जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आश्रित बहन को अनुकंपा सरकारी नौकरी नहीं देने के मामले में शिक्षा विभाग और कार्मिक विभाग से जवाब तलब किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पीएस भाटी व न्यायाधीश मदनगोपाल व्यास की खंडपीठ ने एक रिट याचिका को स्वीकार करते हुए नि:संतान तलाकशुदा भाई की मृत्यु के बाद उस पर आश्रित बहन को अनुकंपा सरकारी नौकरी नहीं देने के मामले में नोटिस जारी कर शिक्षा विभाग व कार्मिक विभाग से जवाब तलब किया है. अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी. याचिकाकर्ता जालोर निवासी अंशु चौधरी की ओर से अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने एक याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के भाई धर्मपाल चौधरी जालोर जिले की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मेडा उपरला में सीनियर टीचर के पद पर कार्यरत थे. वे विवाहित थे, लेकिन 5 मई 2010 को उनका तलाक हो गया था. इस संबंध में धौलपुर के जिला न्यायालय से डिक्री भी जारी हो गई थी. तलाक के बाद सात साल तक सेवा देने के बाद 6 सितंबर 2017 को याचिकाकर्ता के भाई का निधन हो गया. भाई के कोई संतान नहीं थी.
भाई पर ही आश्रित थी बहन : अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता बहन अपने मृतक भाई पर ही आश्रित थी. भाई के निधन पर उसने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय माध्यमिक के समक्ष अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया, वह मृतक कर्मचारी पर आश्रित नहीं है. अधिवक्ता पालीवाल ने कोर्ट के यह भी ध्यान में लाया कि याचिकाकर्ता मृतक पर ही आश्रित थी और जीपीएफ में नॉमिनी के रूप में भी उसका ही नाम अंकित था, जिसकी प्रति भी कोर्ट के समक्ष पेश की. वर्ष 2022 में दुबारा अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया गया, तब 20 दिसंबर 2022 को शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता तलाकशुदा थे, इसलिए उन्हें अविवाहित श्रेणी में कंसीडर नहीं किया जा सकता है. इसलिए याचिकाकर्ता अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं है.