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संस्कृत के विद्वानों का किया जाएगा सम्मान, 2 सितंबर को कोटा में होगा आयोजन - Sanskrit scholar honor - SANSKRIT SCHOLAR HONOR

राज्य सरकार प्रदेश के 21 संस्कृत विद्वानों को सम्मानित करेगी. बुधवार को शिक्षा संकुल में उच्च स्तरीय चयन कमेटी ने इन नामों पर मुहर लगाई. आगामी 2 सितंबर को संस्कृत दिवस के अंतर्गत राज्यस्तरीय विद्वत सम्मान समारोह कोटा में आयोजित किया जाएगा. समारोह में सम्मानित होने वाले संस्कृत विद्वानों को चार श्रेणी में बांटा गया है.

Sanskrit scholar honor
संस्कृत विद्वानों का सम्मान (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 28, 2024, 5:01 PM IST

सरकार प्रदेश के 21 संस्कृत विद्वानों को सम्मानित करेगी (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : प्रदेश की भाजपा सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने में जुटी हुई है. इस क्रम में संस्कृत विद्वान सम्मान समारोह आयोजित कराया जा रहा है. समारोह में सम्मानित होने के लिए प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर संस्कृत विद्वानों के चयन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया. इस समिति की अध्यक्षता मंत्री मदन दिलावर ने की. समिति में पोकरण विधायक प्रताप पुरी महाराज, शाहपुरा विधायक लाला राम, शासन सचिव संस्कृत शिक्षा पूनम सहित चयन समिति के सभी सदस्य मौजूद रहे. इस दौरान प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर विचार विमर्श कर विद्वानों का सर्वसमिति से चयन किया गया.

विद्वानों को चार श्रेणी में बांटा गया : इस संबंध में संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि समिति ने एक लाख रुपए राशि के सर्वोच्च सम्मान संस्कृत साधना शिखर सम्मान के लिए एक, 51-51 हजार रुपए राशि के संस्कृत साधना सम्मान के लिए दो।, 31-31 हजार रुपए पुरुस्कार राशि के संस्कृत विद्वत सम्मान के लिए 6 और 21-21 हजार रुपए की पुरुस्कार राशि के संस्कृत युवा प्रतिभा पुरुस्कार के लिए 12 विद्वानों का चयन किया है. इसके अलावा 11-11 हजार राशि के मंत्रालयिक सेवा सम्मान के लिए 3 और विशिष्ट सम्मान के लिए 13 विशिष्ट महानुभावों का चयन किया गया है. इन सभी का सम्मान आगामी 2 सितंबर को कोटा मे आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में किया जाएगा.

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दिलावर ने बताया कि जो विद्वान संस्कृत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, संस्कृत की साधना करते हैं और जिनसे आसपास के लोगों को प्रेरणा मिलती है, ऐसे विद्वानों को सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि विभाग के लोगों को कम आंकलन करते हैं, क्योंकि उनका तो काम ही पढ़ाना-लिखाना है. ऐसे में उन्हें छोड़कर जो दूसरे लोग संस्कृत के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उनको इसमें जोड़ा गया है.

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