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सिलिकोसिस की पहचान के लिए टेली-रेडियोलॉजी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग पर राज्य सरकार को मिला राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार - Identification of Silicosis with AI

सिलिकोसिस की पहचान के लिए टेली-रेडियोलॉजी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग के चलते मंगलवार को मुंबई में राज्य सरकार को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (गोल्ड) पुरस्कार 2024 दिया गया है.

E-governance award to Rajasthan
राजस्थान को ई गवर्नेंस पुरस्कार (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 3, 2024, 8:52 PM IST

जयपुर: केन्द्र सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के तहत उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए राज्य सरकार को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (गोल्ड) पुरस्कार 2024 से मुम्बई में मंगलवार को आयोजित 27वीं राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस कांफ्रेंस के दौरान सम्मानित किया है. यह पुरस्कार प्रदेश द्वारा सिलिकोसिस रोग की पहचान के लिए टेली-रेडियोलॉजी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के अभिनव उपयोग और प्रभावित व्यक्तियों को राहत पहुंचाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के स्वतः स्वीकृति पोर्टल निर्माण के लिए प्रदान किया गया है. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल विभाग के सचिव डॉ समित शर्मा ने अपनी टीम के सदस्य एच गुईटे एवं डॉ सिसोदिया के साथ ट्रॉफी, प्रशस्ति पत्र और 10 लाख रुपए का कैश अवार्ड प्राप्त किया.

इस नवाचार का नेतृत्व डॉ समित शर्मा ने अपने सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के शासन सचिव रहते हुए किया. राज सिलिकोसिस पोर्टल सार्वजनिक सेवा वितरण में अत्याधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और एआई के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण प्रगति का उदाहरण प्रस्तुत करती है. साथ ही नागरिक-केंद्रित शासन और स्वास्थ्य सेवा के प्रति राजस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.

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एआई का किया प्रयोग: राज्य सरकार ने सिलिकोसिस बीमारी के निदान एवं राहत के लिए एक अभिनव आईटी समाधान विकसित किया है. जो डिजिटल एक्स-रे, टेली-रेडियोलॉजी और एआई एल्गोरिदम का उपयोग करके सिलिकोसिस की जांच को सुगम एवं त्वरित बनाता है. विभाग द्वारा 29 हजार से अधिक छाती के लेबल्ड एक्स-रे के एक व्यापक डेटासेट पर एआई मॉडल को प्रशिक्षित किया गया है. जिसके पश्चात कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर एक्स-रे को पढ़ कर स्वयं ही सिलिकोसिस होने की जांच कर बताता है कि पीड़ित व्यक्ति को सिलिकोसिस है या नहीं. इस तरह से यह रेडियोलॉजिस्ट की सिलिकोसिस डिटेक्शन में सहयोग करता है. इस उन्नत प्रौद्योगिकी से सिलिकोसिस रोगी की पहचान तेज और सटीक होती है.

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गौरतलब है कि प्रदेश में 33 हजार से अधिक खदानों और खनन, निर्माण एवं संबंधित उद्योगों में लाखों श्रमिक कार्यरत हैं, जिन्हें सिलिकोसिस (फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी से) जैसी गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ता है. सिलिकोसिस एक लाइलाज बीमारी है. सिलिकोसिस रोग की पहचान होने पर राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है एवं मासिक पेंशन भी दी जाती है. सिलिकोसिस रोगियों को अब एआई एवं अनेक पोर्टल्स के एकीकरण द्वारा सक्षम वित्तीय सहायता स्वतः स्वीकृति पश्चात् सीधे उनके बैंक खातों में प्राप्त होती है.

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