भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ के हालिया एपीसोड को अगर ट्रेलर माने, तो क्या वाकई कांग्रेस के विधायक नई राह पकड़ सकते हैं. असल में कांग्रेस के कई विधायक ये मान रहे हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की जो स्थिति है ऐसे में पांच साल विधायकों के लिए जनता के काम करवा पाना भी अब मुश्किल होगा. तो जिसे राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तैयारियों का हिस्सा बताया जा रहा है, क्या कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जितेन्द्र सिंह के विधायकों से वन टू वन का एक मकसद ये भी था कि कोई सेंध ना रह जाए...
जोड़ो यात्रा के दौरान कोई ना टूटने पाए
राजस्थान कांग्रेस में सोनिया गांधी को राज्यसभा भेजने के बाद से जो सियासी घटनाक्रम बना. उसने मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस प्रदेश संगठन की सांसे फुला दी हैं. चिंता इस बात की है कि कहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एमपी में विधायकों की टूटन ना शुरू हो जाए. 72 घंटे के कमलनाथ एपीसोड ने बखिया पहले ही उधेड़ दी और बता दिया कि पार्टी के भीतर विधायकों का जोड़ कितना कमजोर है. कमलनाथ के नई राह पकड़ते ही सज्जन सिंह वर्मा का बयान आया था कि कमलनाथ का पार्टी में मान सम्मान नहीं हुआ. उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि जो फैसला कमलनाथ लेंगे वही फैसला उनका भी होगा. कमोबेश यही बयान सतीश सिकरवार से लेकर पार्टी के नेता सैय्यद जाफर का भी आया. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं "कांग्रेस में जिस तरह से चाय से ज्यादा तपेली गर्म हुईं. उसने असल में पार्टी की बखिया उधेड़कर रख दी. ये बता दिया कि कांग्रेस किस मुहाने पर खड़ी है और ये एक तरीके से पार्टी के लिए अलार्म भी है."