सवाई माधोपुर. रणथम्भौर नेशनल पार्क से रविवार को एक दुखद खबर सामने आई है. यहां बाघिन टी-60 की मौत हो गई, जिससे वन्य जीव प्रेमियों में शोक की लहर है. नेशनल पार्क के जोन नंबर 2 में गुढा वन चौकी के पास बाघिन टी-60 का शव पड़ा मिला. 2 फरवरी को इस बाघिन के अस्वस्थ होने की खबर मिली थी. इसकी सूचना वन विभाग के कर्मचारियों ने विभाग के अधिकारियों को दी. सूचना के बाद वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे, जहां बाघिन का शव पड़ा हुआ था.
वन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में बाघिन टी-60 का शव राज बाग नाका वन चौकी पर लाया गया, जहां पशु चिकित्सकों ने बाघिन के शव का पोस्टमॉर्टम किया. इसके बाद, बाघिन का वन विभाग विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया. गौरतलब है कि बाघिन टी-60 बाघिन टी- 31 की संतान थी. टी-31 को वन्यजीव प्रेमी इंदू के नाम से पुकारते थे. इस वजह से बाघिन टी-60 को जूनियर इंदू नाम दिया गया था.
गर्भवती थी बाघिन टी-60 :बाघिन टी-60 की मौत को लेकर वन विभाग के अधिकारी CCF पी. कथिरवेल ने कहा कि बाघिन टी-60 प्रेगनेंट थी और बाघिन अपने शावकों को जन्म देते समय कमजोर अवस्था में थी, जिसके कारण डिलीवरी के दौरान ही इसकी मौत हो गई. CCF ने कहा कि बाघिन टी-60 की मौत के कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा. वहीं, पशु चिकित्सक राजीव गर्ग का कहना है कि बाघिन टी-60 की डिलीवरी के समय पोजिशन की वजह से बाघिन का नवजात बर्थ कैनाल में फंस गया, जिसके चलते बाघिन टी-60 की मौत हो गई.
इसे भी पढ़ें :Project TIGER: 'प्रोजेक्ट टाइगर' की हकीकत, देशभर में हर 40 घंटे में एक बाघ की मौत, तेंदुए को लेकर भी चौंकाने वाला आंकड़ा
बताया जा रहा है कि नवजात का भ्रूण तीन से चार दिन तक बाघिन की गर्भनाल में फंसा रहा. उपवन संरक्षक मोहित गुप्ता के मुताबिक जांच के लिए सैंपल भिजवा दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि बाघिन का पोस्टमार्टम किया गया है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही बाघिन टी-60 की मौत के कारण का पता चलेगा.
बाघों की मॉनिटरिंग पर भी खड़े हुए सवाल : हाल में बाघिन टी-60 की इस मौत ने रणथम्भौर वन्य अभ्यारण में टाइगर मॉनिटरिंग को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. वन्य जीव प्रेमी इस मामले में उच्च स्तर पर जांच की मांग भी कर रहे हैं. जिस तरह से बाघिन के गर्भवती होने की खबरें सामने आने के बाद उसका उसके मूवमेंट का ख्याल रखा जाना चाहिए था, उसमें अनदेखी के कारण यह हालात पैदा होने की बात कही जा रही है. शनिवार को फलौदी रेंज की बाघिन टी-99 यानी ऐश्वर्या का गर्भपात हो गया था. इससे पहले भी कई बाघ-बाघिन विभाग की लापरवाही के कारण दम तोड़ चुके हैं.
इसे भी पढ़ें : Ranthambore National Park: रणथंभौर से बुरी खबर, एक शावक की मौत, बाघिन T-114 भी मृत मिली...किया गया अंतिम संस्कार
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में साल 2023 में 8 बाघ-बाघिन और शावकों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं, 12 से ज्यादा बाघ गायब बताएं गए हैं. आंकड़े 1 जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक के हैं. अधिकारियों पर लगातार वीवीआईपी विजिट में व्यस्त रहने के आरोप लगते रहे हैं. साल 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत बुरी खबर के साथ हुई थी, जब जनवरी महीने में एक बाघ, बाघिन और शावक की यहां मौत हो गई थी. इसके बाद फरवरी में बाघिन कृष्णा की मौत हुई थी. इसके बाद 10 मई को बाघ T-104 को ट्रैंकुलाइज करते समय ओवरडोज देने से उदयपुर में उसकी मौत हो गई, सितंबर में बाघिन T-79 के 2 शावकों की मौत हो गई और बाघिन का पता लगाने में वन विभाग नाकामयाब रहा. 11 दिसंबर को बाघिन T-69 के शावक की मौत हुई.
विगत साल बाघों की मौत के आंकड़ें इसे भी पढ़ें : Special : खामोश हो रही 'दहाड़'! अकेले रणथंभौर में दो साल में 12 बाघों ने गंवाई जान, इन कारणों से मंडराया संकट
इससे पहले रणथंभौर 2022 में भी बाघों की मौत के लिए बदनाम रहा है. तब 13 मई को रणथम्भौर में जमादो नाले में बाघिन टी-61 का शव मिला था. 24 मई को खंडार रेंज में बाघिन टी-69 के मादा शावक का शव मिला था, 5 जून को बाघ टी-34 उर्फ कुंभा का सूखा हुआ शव रणथम्भौर के जोन नंबर 6 में मिला था. 16 जून को बाघिन टी-107 के शावक का शव मिला था.
इस दौरान बताया गया कि खंडहर की खिड़की में से तालाब में गिरने के कारण शावक की मौत हो गई, जिसका शव मगरमच्छ खा गए थे. शव के अवशेष को 7 दिन बाद बरामद किया गया था. इस दौरान बाघिन टी-39 नूर के दो शावक लापता हो गए, जिन्हें 19 अप्रैल 2022 को नूर ने जन्म दिया था. इसके पहले साल 2021 में रणथम्भौर में बाघ टी-65 की अचानक मौत हो गई थी. उसके बाद युवा बाघिन टी-103 और टी-60 के शावकों के शव मिले थे.