शिमला: हिमाचल प्रदेश में पल-पल बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराज चल रहे पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह दिल्ली से लौट आए हैं. वे पिछले चाल दिनों से दिल्ली में डटे थे. जिससे प्रदेश की सुक्खू सरकार के भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब विक्रमादित्य से के वापस आने से इन कयासों पर विराम लग सकता है.
PWD अधिकारियों की बुलाई बैठक
वहीं, दिल्ली से लौटने के बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह का आगामी शेड्यूल भी फाइनल हो गया है. जिसके तहत विक्रमादित्य सिंह ने आज लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई है. जिसमें प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों को लेकर समीक्षा की जाएगी. अगले कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है. ऐसे में अधिकारियों के साथ होने वाली समीक्षा बैठक काफी महत्वपूर्ण हो सकती है. जिसमें आगे होने वाले विकास कार्यों को लेकर रोडमैप तैयार किया जाएगा.
एक्शन मोड में सुक्खू सरकार
आज केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का जिला हमीरपुर में कार्यक्रम तय है. ऐसे में विक्रमादित्य सिंह कार्यक्रम में भी हिस्सा ले सकते हैं. जिसमें पीडब्ल्यूडी मंत्री, केंद्रीय मंत्री के सामने हिमाचल में सड़कों से संबंधित मांग को रख सकते हैं. वहीं, विक्रमादित्य सिंह ने दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है. जिसमें उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और वेणुगोपाल के समक्ष हिमाचल में क्रॉस वोटिंग के बाद उपजे गतिरोध को लेकर अपना पक्ष रखा है. जिसके बाद कांग्रेस हाईकमान संकट में फंसी सुक्खू सरकार को बचाने के लिए डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. इसी कड़ी में सरकार ने विधायकों को कैबिनेट रैंक का दर्जा देने के साथ-साथ कर्मचारियों और महिलाओं को भी हर महीने 1500 पेंशन देने की सौगात दी है. कुल मिलाकर प्रदेश में मचे सियासी संग्राम से पार पाने को सुक्खू सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है.
लोकसभा चुनाव से पहले विवाद सुलझाने का प्रयास
देश में अगले कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान सरकार के बीच मचे सियासी घमासान को शांत करने में जुटी है. जिसको देखते हुए विक्रमादित्य सिंह को बागी नेताओं से बात करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है. बता दें की जिन छह विधायकों को अयोग्य ठहराया गया है, ये सभी कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. इन सभी की अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच में अच्छी पकड़ है. ऐसे में अगर बागी विधायकों की नाराजगी दूर नहीं होती है, तो कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं, प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के हिसाब से अगले आने वाले कुछ दिन अहम माने जा रहे हैं.
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