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पिंडदान का प्रथम द्वार है पुनपुन घाट, जहां भगवान राम ने भी किया था अपने पूर्वजों का तर्पण - Pind Daan 2024

Punpun Ghat In Masaurhi: मसौढ़ी के पुनपुन नदी तट पर तर्पण का खास महत्व है. मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम ने यहीं पर पिंडदान किया था और फिर गया में तर्पण किया. 15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष मेले की तैयारियों में प्रशासन जुट गया है.

Pind Daan 2024
पुनपुन नदी घाट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 10, 2024, 11:09 AM IST

Updated : Sep 10, 2024, 11:50 AM IST

पटना: पटना जिले से सटे पुनपुन नदी घाट की कई पौराणिक कथाएं हैं. गरुड़ पुराण में इसे आदि गंगा कहा जाता है. कहा गया है कि भगवान राम कभी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इसी पुनपुन नदी घाट पर माता जानकी के साथ आए थे. उन्होंने पहले पिंड का तर्पण यहीं किया था. जिसके बाद गया में जाकर पिंड का पूरा तर्पण किया, जिस वजह से इसे मोक्ष का प्रथम द्वार माना जाता है.

यहां होता है पितरों का तर्पण और श्राद्ध (ETV Bharat)

15 दिनों तक होगा पितरों का तर्पण:हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में 15 दिनों तक पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. इस बार 17 सितंबर को पुनपुन पितृपक्ष मेला 2024 की शुरुआत होगी, जो 2 अक्टूबर तक चलेगा. जिसको लेकर प्रशासन की ओर से जोर-शोर से तैयारी की जा रही है.

गया के 52 वेदी पर पिंडदान: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुनपुन घाट पर कभी भगवान राम ने माता जानकी के साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पहले पिंड का तर्पण किया था. इसके बाद ही गया के फल्गु नदी तट पर पूरे विधि विधान के साथ तर्पण किया जाता है. प्राचीन काल से पुनपुन नदी घाट पर पिंडदान और तर्पण करने के बाद गया के 52 वेदी पर पिंडदान और तर्पण करने की परंपरा रही है.

माता जानकी के साथ आए थे भगवान राम (ETV Bharat)

यहां होती है पितरों को मोक्ष की प्राप्ति:पितृपक्ष में पिंडदान को पूरा तर्पण संपन्न माना जाता है. ऐसे में सरकार ने पुनपुन घाट की ख्याति को देखते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला के रूप में मान्यता प्रदान की है. प्रत्येक साल जिला प्रशासन की ओर से पुनपुन घाट पर पितृपक्ष मेला का आयोजन किया जाता है. पुनपुन पंडा समिति के सचिव रिंकू पांडे ने बताया कि पुनपुन नदी घाट पर तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पुनपुन नदी तट पर तर्पण (ETV Bharat)

क्योंपिंडदान है जरूरी: पुनपुन पांडा समिति के सचिव रिंकू पांडे ने बताया किहिंदू धर्म में शख्स की मृत्यु के पश्चात उसे पितृ की संज्ञा दी गई है, मान्यता के अनुसार मृतक का श्राद्ध या तर्पण न करने से पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है, जिससे घर में पितृ दोष लगता है. इससे घर पर कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है. वहीं जिनके घर के पितृ प्रसन्न रहते हैं उनके घर पर कभी भी कोई मुसीबत नहीं आती है.

15 दिनों तक पितरों का तर्पण (ETV Bharat)

"यहां पिंडदान से पितरों की मोक्ष की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसे पितृ की संज्ञा दी गई है, पुनपुन नदी को आदि गंगा कहते हैं, जहां कभी भगवान राम ने माता जानकी के साथ आकर अपने पिता दशरथ के पिंड का तर्पण किया था, इसलिए यह पिंडदान का प्रथम द्वारा है."-रिंकू पांडे, सचिव पांडा समिति, पुनपुन

पिंडदान का प्रथम द्वार: पुनपुन पांडा समिति के पूर्व अध्यक्ष तारिणी मिश्रा ने बताया कि पुनपुन नदी जिसे आदि गंगा कहते हैं उसके बारे में कहा गया है "पुन: पुनः सर्व नदीषु पुण्या सदावहा स्चच्छ जला शुभ प्रदा" यानी पितृ पक्ष में पहला पिंड पुनपुन नदी के ही तट पर विधान है. सारे संसार के हिंदू पुनपुन में ही पहले पिंड का तर्पण करते हैं, जहां कभी भगवान राम ने पहले पिंड का तर्पण किया था, इसलिए पुनपुन नदी घाट पिंडदान का प्रथम द्वार है. पुनपुन नदी जो झारखंड के पलामू से निकलकर पटना जिले में प्रवेश करती है और यह गंगा में मिल जाती है.

पितृपक्ष मेला 2024 (ETV Bharat)

"भगवान राम ने इसी पुनपुन घाट पर आकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पहले पिंड का तर्पण किया था. इसके बाद ही गया के 52 वेदी में पिंड का तर्पण किया. यह मोक्ष दायिनी का प्रथम द्वार है."-तारिणी मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष, पुनपुन पांडा समिति

पढ़ें-पितृ पक्ष 2024: आ गए पितरों को याद करने के दिन, जानिए कब से हो रही शुरुआत - Pitra Paksha 2024

Last Updated : Sep 10, 2024, 11:50 AM IST

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