गया:विश्व विख्यात पितृ पक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले में ऐसी श्रद्धा भी देखने को मिल रही है, जो अनोखी है. ऐसी ही अनोखी श्रद्धा की कहानी पंजाब के पांच दोस्तों की है. पंजाब के भटिंडा के पांच दोस्त अपने परिवार के साथ गया जी में पिंडदान करने आए थे. उनके रुपए खो गए, तो भूखे रहना पड़ा था.
5 पंजाबी दोस्त 2013 में आए थे गयाजी:बता दें कि वर्ष 2013 में पंजाब के भटिंडा के रहने वाले स्वामी विजय गुप्ता और उनके अन्य चार दोस्त पूर्वजों का पिंडदान करने गया जी आए थे, लेकिन यहां उनको काफी परेशानी हुई. खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़ा. ऐसे में इन पांचों दोस्तों ने पंजाब वापस लौटकर निर्णय लिया, कि किसी के पैसे खो जाए तो उन्हें भूखा न रहना पड़े. इसे लेकर वे हर साल पितृ पक्ष मेले में लंगर चलाएंगे. उनका यह निर्णय आज पिछले 10 सालों से मिसाल कायम कर रहा है.
ऐसे मिली लंगर लगाने की प्रेरणा: पंजाब सरीखे भोजन यहां काफी महंगे थे. ऐसे में इन पांच दोस्तों और उनके परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जब परिवार और पांचों दोस्त पिंडदान कर वापस गया से पंजाब के भटिंडा को लौटे, तो पांचो दोस्त वहां इकट्ठा हुए और फिर पांचो दोस्तों ने मिलकर एक बड़ा निर्णय लिया. उन्होंने आपस में निर्णय लिया कि जिस तरह से पैसे के अभाव के कारण हमें परेशानियां हुई, उस तरह से और किसी को परेशानी न झेलना पड़े. इसे लेकर वे लोग गयाजी धाम में लंगर चलाएंगे.
2014 से चला रहे विशाल लंगर: पितृपक्ष पक्ष मेले में देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए भी उन्होंने इस तरह पुण्य वाले काम करने की ठान ली. इसके बाद अगले साल 2014 से वे पंजाब से 20 दिनों के लिए बिहार आ जाते हैं. बिहार आकर गया में भी लंगर चलाते हैं. अभी उनका लंगर गया के पंजाबी धर्मशाला में संचालित है. इस लंगर में प्रतिदिन हजारों लोग निशुल्क तीनों पहर भोजन करते हैं. नाश्ता भी मुहैया होता है.
ढाई लाख लोग उठाते हैं लंगर का निशुल्क लाभ: फिलहाल में इस लंगर में ढाई लाख के करीब लोग इसका निशुल्क लाभ उठाते हैं. इन्हें सुबह से चाय के साथ नाश्ता मिलता है. फिर भोजन फिर शाम में नाश्ता, फिर रात में 11 बजे की रात्रि तक भोजन मिलता रहता है. लंगर शुरू हुआ कि लंबी कतारें लग जाती है.
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत: निशुल्क लंगर चलने से जहां आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत होती है. वहीं जो पिंड दानी गया जी धाम को आते हैं, वह भी इस लंगर का लाभ उठाते हैं और एक बेहतरीन मैसेज गया जी से लेकर जाते हैं. क्योंकि यहां खाना तीनों पहर मिलता है. नाश्ता भी मिलते हैं. इस तरह पांच दोस्तों का लंगर पिछले 10 सालों से गयाजी धाम में लगाया जा रहा है. इसमें किसी से रुपए नहीं लिए जाते हैं. किसी की मर्जी हुई तो दे जाते हैं. आपस में चंदा कर लंगर चला रहे हैं. कुछ सामाजिक लोगों से भी मदद मिल जाती है.