आनासागर झील में जलकुंभी का दंश (video etv bharat ajmer) अजमेर.शहर की आनासागर झील जलकुम्भी के दंश से मुक्त नहीं हो पा रही. विगत दो माह से झील से टनों जलकुंभी निकाली गई, लेकिन अगले दिन उससे भी दुगनी जलकुंभी नजर आती है. प्रशासन झील को जलकुंभी से मुक्त नहीं करवा पाया है. झील की दुर्दशा से स्थानीय लोग आहत हैं. इस मुद्दे पर स्थानीय विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर आनासागर संरक्षण संघर्ष समिति बनाई है. इस मुहिम में किसी स्थानीय राजनीतिक दल के नेता को शामिल नहीं किया गया है. इस समिति में शामिल विभिन्न संगठनों ने गुरुवार को शहर में प्रदर्शन कर जलकुंभी के स्थाई समाधान की मांग की.
अजमेर शहर के बीच मानव निर्मित आना सागर झील काफी खूबसूरत है. झील हमेशा अजमेर के लिए फायदेमंद रही है, लेकिन समय के साथ इस झील की दुर्दशा होती गई. झील की जमीन को भूमाफियाओं ने लूटा. रही सही कसर पाथवे बनाकर झील का दायरा कम कर दिया गया. यह झील कभी 9 किलोमीटर के दायरे में फैली थी, जो अब सिमट कर 3 किलोमीटर की परिधि में आ गई है.
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झील में गिर रहे गंदे नाले:आनासागर झील में 13 नाले हर दिन पानी को दूषित कर देते हैं. इस कारण झील का पानी पूरी तरह से दूषित हो गया और उसमें जलकुंभी पनप गई. नगर निगम ने अपने स्तर पर जलकुंभी को निकालने के प्रयास किए, लेकिन वे कारगर साबित नहीं हुए. इस कार्य के लिए निगम अब तक 2 करोड़ रुपए लगा चुका.
एकजुट हुए संगठन:झील को जलकुंभी से मुक्त करवाने के लिए कई संगठनों ने मिलकर आनासागर संरक्षण संघर्ष समिति बनाई है. समिति के आह्वान पर सैकड़ों प्रबुद्धजनों और झील प्रेमियों ने आनासागर झील को जलकुंभी से मुक्त करवाने के लिए मार्च निकाला. उसके बाद मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया. सैंकड़ों लोग हाथों में तख्तियां लिए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. उन्होंने प्रशासन को झील की दुर्दशा का जिम्मेदार बताया. उदयपुर से आए पर्यावरण प्रेमियों ने झील को जलकुंभी और अन्य खरपतवार से मुक्ति दिलाने के सुझाव भी दिए. विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों में सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के अलावा नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलाइज यूनियन समेत कई प्रबुद्ध जन भी शामिल थे.
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कीट व मछलियां डलवाएं झील में:उदयपुर से आए पर्यावरण प्रेमी कमलेन्द्र सिंह राणावत ने बताया कि किसी समय उदयपुर की फतेहसागर और पिछोला झील में जलकुंभी की भारी समस्या थी, लेकिन आज दोनों ही झीलों में जलकुंभी दिखाई नहीं देती. वहां झील प्रेमियों ने मिलकर गंभीर प्रयास किया. न्यूचेचिना नामक कीट बेंगलुरु से मंगवाए गए और उन्हें झील में छोड़ दिया गया. इसी प्रकार ग्रास्काट और गैम्बोशिया नामक मछलियां भी छोड़ी गई थी. मछलियों को पकड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया गया था. इन सभी ने मिलकर जलीय खरपतवार का अंत कर दिया.
अजमेर की जनता करेगी बड़ा आंदोलन:अजमेर व्यापार महासंघ के संरक्षक भगवान चंदीराम ने कहा कि सन 1995 से हर सुबह आनासागर के किनारे सैर करने के लिए आता रहा हूं. झील का जलकुंभी से जो हाल बिगड़ा है. यह शहर प्रशासन और नेताओं के लिए शर्मनाक है कि झील के लिए वह कुछ नहीं कर पाए. अजमेर शहर के बीचोंबीच झील का होना सौभाग्य की बात है, लेकिन उसको दुर्भाग्य बना दिया गया है. ऐसे में जनता को जागरूक होना चाहिए. आनासागर झील के किनारे ट्रीटमेंट प्लांट भी काम नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही समाधान नहीं निकलता है तो एक बड़ा आंदोलन अजमेर की जनता की ओर से किया जाएगा.