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बिहार के इस जेल के कैदी बनेंगे आत्मनिर्भर, बाहर निकलकर बकरी पालन के जरिये संवारेंगे भविष्य - Prisoners In Muzaffarpur Jail

Muzaffarpur Jail Prisoners: मुजफ्फरपुर जेल में कैदियों को रिहाई के बाद आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है. इसके तहत उन्हें गोट फार्मिंग का तरीका सिखाया गया. जिससे जेल से छूटने के बाद वो अपना व्यवसाय करेंगे. आगे पढ़ें पूरी खबर.

Muzaffarpur Jail Prisoners
मुजफ्फरपुर जेल में कैदियों की ट्रेनिंग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 22, 2024, 1:18 PM IST

मुजफ्फरपुर जेल में कैदियों की ट्रेनिंग (ETV Bharat)

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में जेल की कालकोठरी के नाम से दिल दहल जाता है. जब कोई जेल की चारदीवारी के अंदर कैद हो जाता है तो वह समझता है कि अब उसकी जिंदगी में कुछ भी नहीं बचा, बस अब आगे की जिंदगी जेल की सलाखों के बीच में कटेगी. हालांकि जेल की काल कोठरी के अंधेरा को चीरते हुए शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में कैदी आत्मनिर्भर बन रहे हैं. यहां के कैदियों को गोट फार्मिंग का तरीका सिखाया जा रहा है, ताकि जेल से छूटने के बाद ये बंदी किसी तरह के गलत काम से दूर रहे.

सेंट आरसेटी की पहल: इसको लेकर सेंट आरसेटी ने जिम्मा उठाया है. यह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अधीन चलने वाला संस्थान है. जो लोगो को स्वरोजगार करने में मदद करता है. संस्थान की निदेशक कल्याणी कुमारी ने बताया कि वे जेल में बंद कैदियों को स्वरोजगार करने के लिए गोट फार्मिंग का तरीका सीखा रही हैं. ताकि जेल से बाहर निकलने पर वे गोट फार्मिंग का काम शुरू कर सके, यह आसान भी है. रोजगाड़ में लगने से बंदी गलत कार्य से नहीं जुड़ेंगे, इसको लेकर संस्थान काम भी कर रही है.

गोट फार्मिंग का तरीका (ETV Bharat)

"35 लोग का एक ग्रुप था. वे ग्रुप में 35 लोग को प्रशिक्षण दे सकती है. इसको लेकर जेल प्रशासन को बताया जिसके बाद, जेल प्रशासन की ओर से काफी सपोर्ट भी किया गया. इस मौके पर जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार मेहता भी मौजूद रहे."-कल्याणी कुमारी, निदेशक, सेंट आरसेटी

35 कैदियों ने ली ट्रेनिंग: कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार मेहता भी मौजूद रहे. उनके अगुआई में 35 कैदियों का एक ग्रुप गोट फार्मिंग सिखने के लिए तैयार था. उन्हे 10 दिन का प्रशिक्षण दिया गया. संस्थान की निदेशक ने बताया उन्हे प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा. जेल से छूटने के बाद बंदी अपना रोजगाड़ कर सकेंगे.

दो कैदियों ने क्लियर किया था बीपीएससी: बता दें कि इससे पहले जेल में बंद दो कैदियों ने बीपीएससी की परीक्षा पास की थी. एक हत्या और दूसरा कैदी दहेज हत्या के केस में मृतका के शव को जलाने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार होकर सेंट्रल जेल पहुंचा था. जेल के अंदर आने के बाद दोनों कैदी प्रतियोगी परीक्षा के बैच में शामिल हुए और दिन रात मेहनत किया. एक बंदी ने तो कारा में रहते हुए बीपीएससी की परीक्षा दी, जब दोनों कारा से मुक्त होकर बाहर निकले तो उनका चयन बीपीएससी शिक्षक के रूप में हो गया था.

कैदी कर रहे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी: सेंट्रल जेल में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए अलग बैच चल रहा है. ग्रुप डिस्कशन के साथ-साथ साप्ताहिक टेस्ट भी लिया जाता है. सेंट्रल जेल में तैयारी कर कारा से मुक्त होने के बाद आधा दर्जन बंदी सरकारी सेवा व चार बंदी प्राइवेट नौकरी में भी उच्च पद पर है. वहीं सेंट्रल जेल में 50 कैदी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

कैदियों के लिए यह पुस्तक है उपलब्ध: सेंट्रल जेल में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले कैदियों के लिए आरएस गर्ग का फिटर थ्योरी, एम लक्ष्मीकांत की भारत की अर्थव्यवस्था, स्पीडी जीके, डॉ. आर एस अग्रवाल का अंकगणित, आधुनिक भारत का इतिहास, रितेश कुमार की जीके इंग्लिश, सामान्य ज्ञान हिंदी, बिहार का नक्शा, भारत का नक्शा प्राकृतिक और राजनीतिक दोनों उपलब्ध है.

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