बिहार

bihar

ETV Bharat / state

बिहार बीजेपी में उलटफेर की तैयारी: सम्राट चौधरी रहेंगे अध्यक्ष या उपमुख्यमंत्री? पढ़िये, यहां... - reshuffle in Bihar BJP

SAMRAT CHOUDHARY भारतीय जनता पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है, जबकि सम्राट चौधरी के पास अभी दो महत्वपूर्ण पद हैं. एक और जहां वह सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं, वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. लोकसभा चुनाव तक सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बने रहने के लिए कहा गया था. अब बीजेपी में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. क्या-क्या संभावनाएं बन रहीं हैं, आइये इसे राजनीति के जानकार से समझते हैं.

सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 24, 2024, 3:32 PM IST

बिहार बीजेपी में बदलाव के संकेत. (ETV Bharat)

पटना: बिहार बीजेपी में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी बड़ा फैसला ले सकती है. प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन चल रहा है. नीतीश कुमार के महागठबंधन में चले जाने के बाद बिहार में भाजपा संकट के दौर से गुजर रही थी. पार्टी के समक्ष लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से एक साथ लड़ने की चुनौती थी. ऐसी स्थिति में काफी मंथन के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मार्च 2023 को सम्राट चौधरी को अध्यक्ष के रूप में चुना था.

पार्टी अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं सम्राटः 23 मार्च को सम्राट चौधरी ने बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. लेकिन, 9 महीने भी नहीं बीते कि सम्राट चौधरी की किस्मत ने करवट ली. बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल गए. नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया और एनडीए का हिस्सा हो गए. 28 जनवरी 2024 को सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सम्राट चौधरी चाहते हैं कि वह संगठन का काम करें और प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहे. सम्राट चौधरी ने उपमुख्यमंत्री पद छोड़ने के निर्णय से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया है.

लालू यादव का कुशवाहा कार्डः भारतीय जनता पार्टी के समक्ष चुनौती लालू प्रसाद यादव की रणनीति से निपटने की भी है. लालू प्रसाद यादव लगातार कुशवाहा कार्ड खेल रहे हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन की ओर से 7 कुशवाहा जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर लालू प्रसाद यादव ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे. इस कदम को आगे बढ़ते हुए लालू यादव ने औरंगाबाद के सांसद अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बना दिया. ऐसी स्थिति में बीजेपी असमंजस की स्थिति में है, अगर सम्राट चौधरी को अध्यक्ष पद से हटाती है तो कुशवाहा वोटरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है.

मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराजगी : केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के बाद राजपूत और वैश्य जाति के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है, जिसके चलते ये लोग नाराज बताये जा रहे हैं. पार्टी ने नीतिगत तौर पर फैसला लिया है कि किसी भी विधायक को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता है. सांसद या विधान परिषद सदस्य को प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल सकती है. दावेदारों की सूची में सबसे पहला नाम जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का है. सिग्रीवाल राजपूत जाति से आते हैं और मंत्रिमंडल में बिहार से एक भी राजपूत जाति के नेता को जगह नहीं मिली है. ऐसे में उनकी नाराजगी कम करने के लिए जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी जा सकती है.

ये भी हैं पार्टी अध्यक्ष की दौड़ मेंः वैश्य जाति भी उपेक्षित महसूस कर रही है. पहले तो वैसे जाति के नेताओं को टिकट में उचित हिस्सेदारी नहीं मिली और फिर उसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार में भी उपेक्षित रह गई. ऐसे में संजय जायसवाल को एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है. ब्राह्मण जाति से भी किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे दावेदारों की सूची में सबसे ऊपर हैं. इसके अलावा मिथिलेश तिवारी भी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है.

सम्राट पर ही भाजपा लगा सकती है दांवः अति पिछड़ा या किसी पिछड़े को अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना कम दिखती है, ऐसा इसलिए कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह देखने को मिला कि पिछड़ा और पिछड़ा वोट नीतीश कुमार के साथ है. अगर भाजपा विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के साथ लड़ती है तो वैसे स्थिति में इस बात की संभावना कम है कि किस पिछड़े और अति पिछड़े को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. ऐसी नौबत अगर आती है तो सम्राट चौधरी को ही कंटिन्यू किया जा सकता है.

"भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है. अब लोकसभा संपन्न चुनाव होने के बाद सब की नजर अध्यक्ष पद पर है. सम्राट चौधरी प्रदेश अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं. भाजपा भी कुशवाहा कार्ड खेलना चाहती है. पार्टी के सामने सीमित विकल्प है. या तो सम्राट चौधरी को ही कंटिन्यू किया जाए या फिर वैसे राजपूत या ब्राह्मण समुदाय से किसी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी जाए."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

इसे भी पढ़ेंः

ABOUT THE AUTHOR

...view details