पटना:बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ का नुकसान होता है. जून से अक्टूबर के बीच बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ अपनी तबाही मचाता है. उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान होता है. ऐसे सरकार हर साल बाढ़ की तैयारी को लेकर करोड़ों खर्च करती है और बाढ़ आने पर बचाव के नाम पर हजारों करोड़ की राशि खर्च की जाती है.
बाढ़ से निपटने की सरकार की तैयारी: जल संसाधन विभाग की ओर से इस साल बाढ़ पूर्व डेढ़ सौ योजनाओं पर काम किया गया है, जिसपर 350 करोड़ की राशि खर्च की गई है. बाढ़ के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी होती है. बिहार में इस साल भले ही मानसून अभी तक नहीं आया है लेकिन उत्तर बिहार की नदियों कोसी का जलस्तर बढ़ने लगा है और बाढ़ की चिंता एक बार फिर से सताने लगी है.
3600 से अधिक तटबंध पर सुरक्षाकर्मी तैनात: जल संसाधन विभाग बाढ़ को लेकर 1 जून से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है. कंट्रोल रूम भी काम करने लगा है और इंजीनियर से लेकर सभी कर्मियों की छुट्टी भी रद्द है. जल संसाधन विभाग की ओर से नदियों के जलस्तर जल ग्रहण क्षेत्र की स्थिति और तटबंधों पर नजर रखी जा रही है. बिहार के 3700 किलोमीटर से अधिक लंबे तटबंध की सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग कई तरह का उपाय करता है. इस साल भी 3600 से अधिक तटबंध पर सुरक्षाकर्मी को तैनात किया गया है. इस पर बड़ी राशि खर्च होगी. वहीं 24 घंटा कंट्रोल रूम में शिफ्ट के हिसाब से विशेषज्ञ तैनात है और लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं.
कब कितनी राशि हुई खर्च:बिहार सरकार बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर हर साल हजारों करोड़ों की राशि खर्च करती है और बाढ़ आने पर बचाव मद में भी हजारों करोड़ों की राशि खर्च करती है. पिछले 9 सालों में बाढ़ और बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर सरकार की ओर से खर्च की गई राशि इस प्रकार से है. 2017 में 317 योजना के लिए 1231.63 करोड़ रुपये, 2018 में 429 योजना के लिए 1560.82 करोड़ रुपये, 2019 में 208 योजना के लिए 976.94 करोड़ रुपये, 2020 में 386 योजना के लिए 1061 करोड़ रुपये, 2021 में 317 योजना के लिए 1121.73 करोड़, 2023 में 296 योजना के लिए 748.54 करोड़, 2022 में 330 योजना के लिए 898.04 करोड़ और 2024 में 149 योजना के लिए 350 करोड़ रुपये.
केंद्र सरकार से राशि की मांग: बिहार में बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है और उसकी भरपाई के लिए केंद्र से मांग ही की जाती है. हालांकि कभी भी केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार द्वारा मांगी पूरी राशि मिलती नहीं है. 2021 में बिहार सरकार ने करीब 3763 करोड़ के नुकसान की भरपाई की मांग केंद्र से की थी लेकिन मिला 1000 करोड़ के करीब. बिहार सरकार की ओर से नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मांगी गई राशि इस प्रकार से है 2021 में 3763.85 करोड़ की मांग, 2019 में 4299 करोड़, 2017 में 7636.51 करोड़, 2016 में 4112.98 करोड़ की मांग की गई.
बाढ़ से हर साल होती है लोगों की मौत: बिहार में बाढ़ से बड़ी संख्या में लोगों की डूबने से मौत होती है. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक जून से दिसंबर के बीच डूबने वाले लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. 2018 में 205 लोगों की मौत हुई. वहीं 2019 में 630, 2020 में 1060 , 2021 में 1206 और 2022 में 1256 लोगों की मौत हुई.
राजनीतिक विशेषज्ञ की राय: बिहार सरकार की ओर से बाहर से बचाव के लिए तैयारी तो की जाती है लेकिन पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार कहते रहे हैं कि जब तक कोसी के नेपाल में डैम नहीं बनेगा तब तक बिहार को बाढ़ से निजात नहीं मिलेगी. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बिहार को बाढ़ से निजात तभी मिलेगी जब नेपाल आने वाली पानी का कंट्रोल किया जाए और इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर काम करना होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मामला है तो नेपाल से केंद्र सरकार ही बात कर सकती है.
"बिहार में बाढ़ को लेकर सही ढंग से अध्ययन होनी चाहिए क्योंकि हर साल हजारों करोड़ की राशि खर्च हो रही है. लेकिन निदान नहीं हो रहा है. लोगों की जान भी जा रही है."- डॉ. विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएनसिंह इंस्टिट्यूट