कांकेर मुठभेड़ पर सियासत, कांग्रेस की जांच टीम पहुंची मारे गए लोगों के गांव - कोयलीबेड़ा मुठभेड़ विवाद
Politics in Kanker encounter case:कांकेर कोयलीबेड़ा मुठभेड़ मामले में सियासत शुरू हो चुकी है. मामले में कांग्रेस ने जांच के लिए 7 सदस्यों की टीम गठित की है. टीम शुक्रवार को मुठभेड़ में मारे गए लोगों के गांव पहुंची और परिजनों और गांव वालों से बात की.
कांकेर:25 फरवरी को हुए कोयलीबेड़ा मुठभेड़ पर राजनीति जारी है. मामले में दो ग्रामीणों के आरोप के बाद जांच के लिए कांग्रेस ने 7 सदस्यीयों की टीम गठित की है. कांग्रेस की जांच टीम शुक्रवार को मृतकों के परिजनों से मिलकर वापस अंतागढ़ लौटी.
मृतकों का नक्सली गतिविधियों से नहीं कोई लेना देना:पूर्व विधायक शिशुपाल शोरी के नेतृत्व में 7 सदस्यों की टीम अन्तागढ़ के पैरवी और मरद गांव गई थी. कड़ी सुरक्षा के बीच धुर नक्सल प्रभावित इलाके में 3 घंटे तक कांग्रेस की जांच टीम रूकी रही. ये टीम शनिवार को दीपक बैज को जांच रिपोर्ट सौंपेगी.
गांव के लोगों से पता चला कि मुठभेड़ में मारे गए लोग सामान्य नागरिक थे. इनका नक्सली संगठन से कोई लेना-देना नहीं था. मारे गए लोग तेंदूपत्ता बांधने के लिए रस्सी लेने गए थे. यह एक हृदय विदारक घटना थी. आज हम यहां आए हैं. ग्राम मरदा और पैरावी गांव भी गए थे. हमने देखा कि ये सीधे-साधे ग्रामीण हैं. इनका नक्सली गतिविधियों से कोई लेना देना नहीं है."-शिशुपाल शोरी, पूर्व विधायक
पीड़ित परिवारों को दिया जाएगा मुआवजा:आगे पूर्व विधायक शिशुपाल शोरी ने कहा कि, " इन मृतकों में से एक की पत्नी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है. उन्होंने बताया कि, "उनके पति के खिलाफ कभी कोई आपराधिक मामला नहीं था. ना ही कभी पुलिस आई है. इस घटना में पुलिस ने वाहवाही के लिए, प्रमोशन पाने के लिए फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया है. उसी को जस्टिफाई करने के लिए मीडिया में जानकारी दी थी कि तीन नक्सलियों की मुठभेड़ में मौत हो गई." हम लोग राजनीतिक पार्टियों से हैं. जनता की आवाज को हम हाई कमान तक पहुंचाएंगे. जो सब बातें हमने यहां देखी, जो महसूस किया है. उन सब का एक रिपोर्ट तैयार कर ऊपर हाई कमान को देंगे. सरकार की जो प्रणाली है, उसके तहत पीड़ित परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा. साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी."
जानिए पूरा मामला:घटना 25 फरवरी की सुबह 8 बजे की है. इस दिन सुबह हुए मुठभेड़ के बाद जवानों की टीम मारे गए नक्सलियों के शव लेकर जिला पुलिस मुख्यालय पहुंची. घटना वाले दिन इसकी जानकारी पुलिस ने किसी को नहीं दी. सोमवार 26 फरवरी को मृतकों के परिजन ग्रामीणों के साथ थाने पहुंचे. ये दावा किया कि मारे गए लोग नक्सली नहीं ग्रामीण थे. ग्रामीणों ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप लगाया. आरोप लगाने के दो दिन बाद यानि 28 फरवरी को ग्रामीण कलेक्टर और एसपी के पास पहुंचे. ग्रामीणों ने शिकायत दर्ज कराई कि फर्जी मुठभेड़ में ग्रामीणों को मारा गया है. अफसरों के पास जब ग्रामीण शिकायत करने पहुंचे, तो गवाह भी अपने साथ लेकर पहुंचे. ग्रामीणों का कहना था कि गांव के दो लोग इस बात की गवाही दे रहे हैं कि मुठभेड़ फर्जी थी.