नई दिल्ली:आगामी लोकसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने का समय बचा है. बीजेपी दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर तीसरी हैट्रिक बनाने की कोशिश में जुट गई है. वहीं, पहली बार बीजेपी को हारने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने के तैयारी में हैं. हालांकि, इस बाबत अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया गया है कि आम आदमी पार्टी कितनी सीटों और कांग्रेस कितनी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में मतभेद कोई नया नहीं है. गत वर्षो के दौरान दिल्ली से लेकर देश से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर भी दोनों ही राजनीतिक दलों की राय अलग-अलग रही है.
दिल्ली में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी को जितने फीसद वोट मिले थे, उसके अनुसार बीजेपी को चुनौती देने के लिए आप और कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी होगी. वर्ष 2014 से 2019 में बीजेपी को मिले कुल वोट फीसद में इजाफा हुआ है. अगर यह ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहा तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कैसे बीजेपी को टक्कर देंगी, यह बड़ा सवाल बन गया है. विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी व कांग्रेस भले ही सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक कई बैठकें कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कुछ तय नहीं हुआ है.
राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी अपने राष्ट्रीय विस्तार की संभावनाएं तलाश रही है. दिल्ली में भी लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपना खाता खोलकर धमक दिखाना चाहती है. पिछले दोनों लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई थी, दोनों बार दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें बीजेपी के खाते में चली गई थीं. यहां तक कि 7 में से 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी, उसे केवल 18.2 फीसद वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस को 22.6 फीसद और बीजेपी को सातों सीट मिलाकर 56.9 फीसद वोट मिले थे.