पटना:तिरहुत स्नातक एमएलसी निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव हो रहा है. जहां 5 दिसंबर को वोट डाला जाएगा. वैसे तो कुल 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है लेकिन प्रशांत किशोर की तरफ से भी उम्मीदवार दिए जाने के कारण लड़ाई दिलचस्प हो गई है. इस सीट पर सीतामढ़ी से जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर का दबदबा रहा है. इसलिए उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. वहीं कुछ बागी उम्मीदवारों के कारण भी लड़ाई कांटे की हो गई है.
देवेश चंद्र ठाकुर का रहा है दबदबा: 2002 से 2024 तक देवेश चंद्र ठाकुर का दबदबा दिखा है. चाहे निर्दलीय लड़ें हो या दल के टिकट पर, हर बार चुनाव जीते हैं. 2002 में जब देवेश चंद ठाकुर निर्दलीय चुनाव जीते थे, तब उन्होंने बयान दिया था कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव का भी सहयोग मिला था लेकिन इस बार सांसद बनने के बाद उनका एक बयान खूब चर्चा में रहा. जीतने के बाद उन्होंने कहा कि चाय-नाश्ता तो हम करा देंगे लेकिन मुस्लिम और यादव का काम नहीं करेंगे. हालांकि बाद में सफाई भी दी. अब यह चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि देवेश चंद्र ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. उन्हीं के रिकमेंड पर उनके नजदीकी जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा चुनाव मैदान में हैं.
जन सुराज पार्टी बिगाड़ेगी खेल?:वहींं प्रशांत किशोर को अभी हाल में विधानसभा उपचुनाव में चारों सीट पर बड़ा झटका लगा है. पार्टी बनाने के बाद पहली बार प्रशांत किशोर ने चुनाव में उम्मीदवार उतारा था लेकिन चारों उम्मीदवार चुनाव हार गए. अब विधान परिषद सीट पर उन्होंने दांव लगाया है. प्रशांत किशोर के उम्मीदवार डॉ. विनायक गौतम के पिता रामकुमार सिंह भी यहां से तीन बार विधान पार्षद रह चुके हैं. पूर्व मंत्री बिहार सरकार और स्थानीय कद्दावर स्वर्गीय रघुनाथ पांडे के दामाद रामकुमार सिंह ने लगातार तीन बार तिरहुत स्नातक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. ऐसा कहा जाता है कि तब स्वर्गीय पांडे का कद और दबदबा इनकी जीत का प्रमुख कारण हुआ करता था लेकिन देवेश चंद ठाकुर की एंट्री के बाद रामकुमार सिंह कभी जीत नहीं पाए.
निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़ाई टेंशन:ऐसे में देवेश चंद्र ठाकुर और प्रशांत किशोर के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि आरजेडी की तरफ से भी चुनौती दी गई है. कई बागी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में लड़ाई को दिलचस्प बना रहे हैं. लोजपा रामविलास के स्थानीय नेता राकेश रोशन की चर्चा भी खूब हो रही है. राकेश रोशन कड़ी चुनौती दे रहे हैं. राकेश रोशन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. राकेश रोशन के कारण ही चिराग पासवान को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अभिषेक झा को समर्थन देने की घोषणा करनी पड़ी.
बागी ने बढ़ाई एनडीए की परेशानी:उधर, चेतन आनंद का बयान भी विवादों में रहा था. राजपूत वोट को अभिषेक झा के पक्ष में करने के लिए चिराग पासवान के खिलाफ चेतन आनंद ने बयान दिया था. बाद में एनडीए की तरफ से दबाव जब पड़ा, तब चिराग पासवान को प्रेस कॉन्फ्रेंस करना पड़ा. राकेश रोशन को रामेश्वर महतो का भी समर्थन मिला हुआ है, जिन्होंने हाल ही में जेडीयू से इस्तीफा दिया है. वहीं जदयू से बागी बने पूर्व महानगर अरविंद कुमार विभात, भाजपा नेता रहे मनोज कुमार वत्स भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जेडीयू-बीजेपी और एलजेपीआर के तमाम बागी तिरहुत में एनडीए उम्मीदवार अभिषेक झा के लिए परेशानी बने हुए हैं.
जेडीयू ने किया जीत का दावा: हालांकि जेडीयू नेताओं का दावा है कि उपचुनाव में जनता ने एनडीए के पक्ष में चारों सीट पर मुहर लगाई है. इस बार भी जनता एनडीए के साथ है. एनडीए के सभी घटक दल एकजुट है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जनता ने विधानसभा चुनाव में आरजेडी को जवाब दे दिया है, तिरहुत विधान परिषद उपचुनाव में उपेंद्र कुशवाहा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जेडीयू के कई मंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं. चिराग पासवान का भी समर्थन प्राप्त है.
"एनडीए के सभी नेताओं ने अभिषेक झा के लिए प्रचार किया है. चिराग पासवान की तरफ से भी अभिषेक झा को पूरी तरह से समर्थन दिया गया है. विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी चारों खाने चित हो चुका है. एमएलसी उपचुनाव में भी जीत एनडीए की ही होगी. प्रशांत किशोर का विधानसभा उपचुनाव में ही तंबू उखड़ गया है, इसलिए अब वह कोई चुनौती नहीं हैं."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड
क्या बोले आरजेडी प्रवक्ता?:इधर, आरजेडी नेताओं का भी दावा है कि उपचुनाव में उनके कैंडिडेट की जीत होगी. वहीं, प्रशांत किशोर की मजबूत दावेदारी को खारिज करते हुए प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि उन पर जनता विश्वास नहीं करती. लोग जानते हैं कि वह एनडीए के लिए काम करते हैं.
"दबदबा जनता का होता है, किसी नेता का नहीं. जनता जिसके साथ रहती है, जीत उसी की होती है और जनता अब तेजस्वी यादव के साथ है. प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं, उनका कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है. एनडीए के नेताओं को अब लॉयल्टी दिखाना पड़ रहा है लेकिन उससे कुछ नहीं होने वाला है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल