रांचीः झारखंड के कोल्हान में नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े घमासान की तैयारी शुरू हो गई है. एक तरफ जहां ग्रामीण उग्रवादियों के खिलाफ गोलबंद होकर उन्हें खुद सजा देने लगे हैं. वहीं दूसरी तरफ झारखंड पुलिस ने पूरी जगुआर बटालियन को ही कोल्हान में नक्सलियो के खात्मे के लिए लगा दिया है.
जगुआर की सभी कंपनियां कोल्हान में तैनात
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि झारखंड से नक्सलवाद का खात्मा 95 प्रतिशत तक हो चुका है. अब वे यह समझने का काम कर रहे हैं कि आखिर जब हाथी निकल गया तो फिर उसकी पूंछ कैसे फंसी हुई है. आखिर जब झारखंड पुलिस ने 95% नक्सलवाद को खत्म कर दिया है तो फिर 5 प्रतिशत क्यों खत्म नहीं हो पा रहा है. इसको लेकर डीजीपी ने बताया कि इसे लेकर उन्होंने गहन समीक्षा की है, जिसमें कई तथ्य निकलकर सामने आए हैं.
करोड़ों के इनामी नक्सली डाले हुए हैं डेरा
झारखंड पुलिस अब ट्राई जंक्शन और कोल्हान के दुर्गम इलाकों में नक्सलियों के ठिकानों पर अपनी जोरदार दबिश दे रही है. हाल के दिनों में बूढ़ापहाड़ के बाद अगर दूसरा कोई सुरक्षित स्थान भाकपा माओवादियों के लिए बचा है तो वह सारंडा और ट्राई जंक्शन वाला ही इलाका है. ऐसे में अब झारखंड पुलिस अपना रुख सरंडा की तरफ कर चुकी है.
वर्तमान में भाकपा माओवादियों का सबसे मजबूत दल सारंडा में डेरा डाले हुए है. सारंडा में माओवादियों के केंद्रीय कमेटी मेंबर और एक करोड़ के इनामी अनल दा, 25-25 लाख के इनामी सैक सदस्य अनमोल, अजय महतो, चमन उर्फ लंबू के अलावा 15 लाख का इनामी रिजनल कमांडर अमित मुंडा भी मौजूद है.
ग्रामीण हुए गोलबंद
कोल्हान इलाके में अब भोले-भाले ग्रामीण भी नक्सलियों से ऊब चुके हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान अलग-अलग इलाकों में दहशत फैला रहे हैं. तीन पीएलएफआई नक्सलियों को ग्रामीणों ने पकड़कर उन्हें पीट-पीटकर मार डाला. दरअसल ग्रामीणों की अपनी मजबूरी है नक्सलियों ने अपने आपको बचाने के लिए पूरे जंगल में बम बिछा दिए हैं.
इन बमों का शिकार न सिर्फ ग्रामीण हो रहे हैं बल्कि जवानों के साथ-साथ ग्रामीणों के पालतू जानवर भी हो रहे हैं. ग्रामीणों के जीवन यापन का मुख्य स्रोत जंगल है लेकिन जंगल पर नक्सलियों का कब्जा है. ऐसे में अब ग्रामीण भी नक्सलियों के खिलाफ गोलबंद होकर उनके खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं.