रांचीः राजधानी रांची के डीपी ज्वेलर्स लूट कांड में रांची पुलिस ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. डीपी ज्वेलर्स लूट कांड की प्लानिंग कुख्यात अपराधी सुबोध सिंह की देखरेख में तैयार की गयी थी. लूट की ट्रेनिंग राउरकेला जेल में हुई थी जबकि प्लानिंग बिहार के बेउर जेल से की गई थी.
ओडिशा से लूटकांड का लिंक
रांची के डीपी ज्वेलर्स में साल 2024 में भले ही लूट की वारदात को अंजाम दिया गया लेकिन इसकी ट्रेनिंग साल 2012 में ही शुरू हो गई थी. दरअसल, रांची पुलिस के द्वारा गिरफ्तार शशि भूषण प्रसाद उर्फ पिंटू ही गैंग का सरगना है. रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने प्रेस वार्ता की और पूरे मामले का खुलासा किया. साल 2012 में राउरकेला में शशि भूषण ने अपने ससुर जयप्रकाश गुप्ता के साथ मिलकर दिलीप आडवाणी नाम के एक व्यक्ति की हत्या की थी. इस मामले में जयप्रकाश गुप्ता और शशि भूषण को राउरकेला पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें उम्र कैद की सजा हुई थी.
जेल में रहने के दौरान ही राउरकेला में हुए एक जेवर दुकान की लूटकांड के सिलसिले में कुख्यात सुबोध सिंह को गिरफ्तार कर राउरकेला जेल में रखा गया था. उसी दौरान सुबोध सिंह और शशि भूषण में अच्छी मित्रता हो गई. जेल में रहते हुए सुबोध ने ही शशि भूषण को बताया था कि जेवर दुकान लूटने का धंधा सबसे बेहतर है. इसके लिए बाकायदा जेल में ही शशि भूषण को सुबोध सिंह के द्वारा ट्रेनिंग भी दी गई थी. इसके बाद शशि भूषण राउरकेला पुलिस की स्टडी से फरार हो गया और पलामू आ गया. यहां रहकर वो छोटे-मोटे अपराध करने लगा.
जमानत पर छूटने के बाद सुबोध सिंह बिहार में आकर कई जेवर लूट की वारदातों को अंजाम दिया. इसके बाद उसे फिर से एक बार गिरफ्तार किया गया और फिलहाल वह बेउर जेल में बंद है. इसी साल सुबोध सिंह ने शशि भूषण से संपर्क किया और कहा कि वह शातिर तरीके से जेवर दुकानों में लूट की वारदात को अंजाम दे, लूट का जो भी सोना और चांदी आएगी वह बिहार में खपा दिया जाएगा. इसी के बाद शशि भूषण ने अपने गैंग को तैयार किया और रांची के डीपी ज्वेलर्स में लूट की घटना को अंजाम दिया.
शातिर गिरोह ने कोई सबूत नहीं छोड़ा
रांची में डीपी ज्वेलर्स लूट कांड के निर्देश पटना के बेउर जेल से मिले थे. जेवर दुकानों में लूटपाट के लिए कुख्यात सुबोध सिंह गिरोह ने एक साथ कई दुकानों को लूटने की प्लानिंग की थी. लूट की योजना को अंजाम देने के लिए एक महीने से डीपी ज्वेलर्स की रेकी की जा रही थी. अपराधी इतने शातिर थे कि उन्होंने लूट के बाद ऐसा कोई सबूत नहीं छोड़ा था जिसकी सहायता से पुलिस उन तक पहुंच सके. रांची पुलिस ने भी डीपी ज्वेलर्स लूट कांड को एक ब्लाइंड केस माना था क्योंकि सभी लुटेरे हेलमेट पहनकर जेवर दुकान को लूटने आए थे, लूट के लिए चोरी का बाइक इस्तेमाल किया गया. मोबाइल फोन का प्रयोग अपराधियों ने बिल्कुल नहीं किया.
चार ने लूटा, दो की पुलिस पर थी नजर
रांची के सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि डीपी ज्वेलर्स में लूट कांड को अंजाम देने के लिए चार अपराधी हेलमेट पहनकर जेवर दुकान में घुसे थे. जिनमें विकास कुमार उर्फ विक्की, शशि भूषण प्रसाद उर्फ पिंटू, विवेक कुमार और पंकज कुमार शर्मा शामिल थे. लूट की वारदात को अंजाम देने के बाद सभी भाग कर रांची एयरपोर्ट पहुंचे. रांची एयरपोर्ट पर पहले से ही गैंग का एक सदस्य मुकेश कुमार मौजूद था. चारों अपराधियों ने लूट का सारा माल मुकेश को सौंप दिया और फिर चोरी की बाइक और मोबाइल वहीं पर फेंक कर अलग-अलग वाहन का प्रयोग कर सभी रातू रोड स्थित एक होटल में पहुंच गए. इस बीच गैंग के दो सदस्य सूरज विश्वकर्मा और रितेश वर्मा पुलिस की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे. गैंग के सदस्य मुकेश कुमार के द्वारा लुटे हुए सोने और चांदी के जेवर को छुपाने का काम किया गया.