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बच्चों के लिए निमोनिया बना जानलेवा, सर्दियों में रखें बच्चों का खास ख्याल... - PROTECT YOURSELF FROM PNEUMONIA

इम्युनिटी कम होने के कारण बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं.

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राजधानी में निमोनिया के मरीजों की बढ़ रही संख्या (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 27, 2025, 1:28 PM IST

लखनऊ :यूपी में लगातार पड़ रही ठंड की वजह से बच्चे निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं. राजधानी के सरकारी अस्पतालों में निमोनिया से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

बीते गुरुवार और शुक्रवार को एक 6 वर्ष की बच्ची, त्रिवेणी नगर में निमोनिया से ग्रसित 2 वर्ष के बच्चे की मौत निमोनिया के कारण हुई थी. करीब 15 दिनों से निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था. लोकबंधु, सिविल और बलरामपुर अस्पतालों में 25 से अधिक बच्चे भर्ती हैं. त्रिवेणी नगर सेकेंड निवासी विकास वाजपेयी ने बताया कि करीब 15 दिन पहले बच्चे को -जुखाम व सीने में जकड़न की शिकायत हुई थी. पहले नजदीकी निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, हालत में सुधार होने पर घर ले आए थे. इसके बाद उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी. फिर निजी डॉक्टर से इलाज करवा रहे थे, डॉक्टरों ने बच्चे को निमोनिया होने की पुष्टि की थी. बीते गुरुवार दोपहर सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी. हालत बेहद नाजुक होने पर निजी अस्पताल ले गए थे, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया था. अब छोटे बेटे की भी तबीयत खराब हो गई है. उसे भी निमोनिया हुआ है.

हजरतगंज के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में 6 व बलरामपुर अस्पताल में 9 और लोकबंधु अस्पताल में निमोनिया से ग्रस्त 10 बच्चे भर्ती हैं. सभी का इलाज बाल रोग विभाग में किया जा रहा है. लोकबंधु अस्पताल की ओपीडी में कफ और कोल्ड से पीड़ित प्रतिदिन 25 से अधिक बच्चे आ रहे हैं. निमोनिया बेहद गंभीर न होने पर डॉक्टर प्राथमिक इलाज के बाद घर भेज दे रहे हैं.

बलरामपुर अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु के मुताबिक अचानक बढ़ी ठंड से बच्चों में बुखार, जुकाम, खांसी संग सांस लेने में तकलीफ लेने की शिकायतें बढ़ गई हैं. ठंड में बच्चों को गर्म कपड़े पहनाकर रखें. घर से बाहर लेकर न जाएं. ऐसे में इम्युनिटी कम होने के कारण बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं. इसलिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया ओपीडी में कफ व जकड़न की शिकायत लेकर ओपीडी में 80 फीसदी बच्चे आ रहे हैं.

संक्रमित से बच्चों को दूर रखें :बाल रोग चिकित्सक डॉ. हिमांशु ने बताया निमोनिया पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए. छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए. खास तौर पर नवजात को मां का पहला गाढ़ा दूध अवश्य पिलाने के साथ ही, छह माह तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए.

निमोनिया के लक्षण :डॉ. सलमान ने बताया कि तेज सांस लेना, कफ की आवाज आना भी निमोनिया का लक्षण हो सकता है. सामान्य से अधिक तेज सांस या सांस लेने में परेशानी होने, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंक के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया का लक्षण हो सकता है.

ये सावधानी बरतें

  • नंगे पैर न घूमने दें.
  • गर्म कपड़े पहनाकर रखें.
  • ठंडे खाद्य पदार्थ न खाने दें.
  • ठंडी हवा व प्रदूषण से बचाव करें.
  • सर्दी जुकाम होने पर उपचार दिलाएं.
  • अस्थमा है तो नेमुलाइजर साथ रखें.
  • डॉक्टर को दिखाकर व सलाह से ही दवा दें.
  • तीन दिन से अधिक खांसी जुकाम रहे तो जांच कराएं.

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