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इलाहाबाद हाईकोर्ट में बूचड़खानों का प्रदूषित पानी रोकने की मांग में जनहित याचिका दाखिल - ALLAHABAD HIGH COURT

आरोप महाकुम्भ में करोड़ों श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और धार्मिक भावनाओं को पहुंच रही ठेस

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 5, 2025, 10:43 PM IST

प्रयागराज: महाकुम्भ में बूचड़खानों का प्रदूषित पानी गंगा यमुना में बहाने से रोकने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में बीएएलएलबी (ऑनर्स) की चतुर्थ वर्ष की छात्रा है और पर्यावरणविद शैलेश सिंह की पुत्री नेहा सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि हापुड़ स्थित मेसर्स रेबन इंटरनेशनल, अलीगढ़ व बुलंदशहर में अन्य कम्पनियां ऐसी गतिविधियों में संलिप्त हैं, जो पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं.

याची ने जांच के दौरान ने पाया कि बिना ट्रीटमेंट अपशिष्ट और पशु अपशिष्ट सीधे सार्वजनिक नदियों में बहाए जा रहे हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है और पवित्र नदियों को प्रदूषित कर रहे हैं. इन नदियों में लाखों श्रद्धालु आस्था और श्रद्धा से स्नान करने आते हैं. 27 नवंबर 2024 को एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित खबर में बताया गया कि महाकुंभ के दौरान गंगा में अपना अपशिष्ट छोड़ने वाली चमड़ा और रंग कारखानों सहित लगभग 456 औद्योगिक इकाइयां बंद हो जाएंगी. इन इकाइयों को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज नीति का पालन करना आवश्यक है, और किसी भी उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उल्लंघन करने वाली इकाई को बंद करना भी शामिल है.

याची का कहना है कि उसने 25 और 28 जनवरी को गाजियाबाद में मेसर्स इंटरनेशनल एग्रो फूड्स व हापुड़ में मेसर्स रेबन इंटरनेशनल के बूचड़खानों से रक्त-मिश्रित अपशिष्ट बहाने की तस्वीरें और वीडियो कैप्चर किए हैं. ये बूचड़खाने रक्त और वसा मिश्रित अपशिष्ट को सीधे खुले क्षेत्रों और नालियों में बहा देते हैं, जो अंततः यमुना और हिंडन नदी में मिल जाते हैं. इससे प्रयागराज में संगम पर नदियां प्रदूषित हो रही हैं. यह प्रदूषण पवित्र नदियों को नुकसान पहुंचाता है और महाकुंभ मेला 2025 के दौरान भारत ही नहीं विदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है.

गत एक व दो फरवरी को याची ने फिर से विभिन्न बूचड़खानों से रक्त-मिश्रित अपशिष्ट के बहाने की तस्वीरें और वीडियो कैप्चर किए हैं. ये इकाइयां एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देशों की अवहेलना करते हुए अनुपचारित रक्त और वसा मिश्रित अपशिष्ट को खुलेआम बहा रही हैं. याची का कहना है कि बिना ट्रीटमेंट वाले ये अपशिष्ट सीधे खुले नालों और यमुना नदी में बहते हैं. अंततः प्रयागराज की पवित्र नदियों को प्रदूषित करते हैं और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं.

ये भी पढ़ें- योगी सरकार ने गन्ने का मूल्य बढ़ाया; कैबिनेट में 11 प्रस्तावों पर लगी मुहर, 19 को पेश होगा बजट

प्रयागराज: महाकुम्भ में बूचड़खानों का प्रदूषित पानी गंगा यमुना में बहाने से रोकने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में बीएएलएलबी (ऑनर्स) की चतुर्थ वर्ष की छात्रा है और पर्यावरणविद शैलेश सिंह की पुत्री नेहा सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि हापुड़ स्थित मेसर्स रेबन इंटरनेशनल, अलीगढ़ व बुलंदशहर में अन्य कम्पनियां ऐसी गतिविधियों में संलिप्त हैं, जो पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं.

याची ने जांच के दौरान ने पाया कि बिना ट्रीटमेंट अपशिष्ट और पशु अपशिष्ट सीधे सार्वजनिक नदियों में बहाए जा रहे हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है और पवित्र नदियों को प्रदूषित कर रहे हैं. इन नदियों में लाखों श्रद्धालु आस्था और श्रद्धा से स्नान करने आते हैं. 27 नवंबर 2024 को एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित खबर में बताया गया कि महाकुंभ के दौरान गंगा में अपना अपशिष्ट छोड़ने वाली चमड़ा और रंग कारखानों सहित लगभग 456 औद्योगिक इकाइयां बंद हो जाएंगी. इन इकाइयों को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज नीति का पालन करना आवश्यक है, और किसी भी उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उल्लंघन करने वाली इकाई को बंद करना भी शामिल है.

याची का कहना है कि उसने 25 और 28 जनवरी को गाजियाबाद में मेसर्स इंटरनेशनल एग्रो फूड्स व हापुड़ में मेसर्स रेबन इंटरनेशनल के बूचड़खानों से रक्त-मिश्रित अपशिष्ट बहाने की तस्वीरें और वीडियो कैप्चर किए हैं. ये बूचड़खाने रक्त और वसा मिश्रित अपशिष्ट को सीधे खुले क्षेत्रों और नालियों में बहा देते हैं, जो अंततः यमुना और हिंडन नदी में मिल जाते हैं. इससे प्रयागराज में संगम पर नदियां प्रदूषित हो रही हैं. यह प्रदूषण पवित्र नदियों को नुकसान पहुंचाता है और महाकुंभ मेला 2025 के दौरान भारत ही नहीं विदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है.

गत एक व दो फरवरी को याची ने फिर से विभिन्न बूचड़खानों से रक्त-मिश्रित अपशिष्ट के बहाने की तस्वीरें और वीडियो कैप्चर किए हैं. ये इकाइयां एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देशों की अवहेलना करते हुए अनुपचारित रक्त और वसा मिश्रित अपशिष्ट को खुलेआम बहा रही हैं. याची का कहना है कि बिना ट्रीटमेंट वाले ये अपशिष्ट सीधे खुले नालों और यमुना नदी में बहते हैं. अंततः प्रयागराज की पवित्र नदियों को प्रदूषित करते हैं और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं.

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