पटनाः लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. भाजपा प्रत्याशियों की अगली सूची जल्द जारी होने की संभावना है. लेकिन, बिहार में एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में आने के बाद पीएम मोदी के 'हनुमान' चिराग पासवान नाराज चल रहे हैं. ऐसे में सीट शेयरिंग का मामला उलझता जा रहा है.
भाजपा का साथ दियाः कई राजनीतिक मंचों से चिराग पासवान ने अपने आप को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया है. बिहार विधानसभा चुनाव में खुलकर नीतीश कुमार का विरोध किया. हाल में तीन सीटों के लिए हुए उपचुनाव में चिराग पासवान ने खुलकर भाजपा का साथ दिया. गोपालगंज, कुढ़नी एवं मोकामा उपचुनाव में चिराग पासवान ने भाजपा के पक्ष में जमकर मेहनत की. इन तीन सीटों में से दो सीट पर बीजेपी की जीत हुई. बीजेपी का भी मानना है कि चिराग पासवान उनको छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे.
"चिराग पासवान एनडीए का अहम हिस्सा हैं. कई मौकों पर उन्होंने साबित किया है कि वह बीजेपी को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले. सीट शेयरिंग का जो मामला फंसा हुआ है वह सुलझा लिया जाएगा. तेजस्वी यादव लाख प्रयास कर ले, चिराग पासवान एनडीए को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे."- राकेश सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
चिराग का भाजपा से रहा है लगावः लोक जनशक्ति पार्टी 2014 से NDA का प्रमुख सहयोगी रहा है. रामविलास पासवान के निधन के बाद LJP दो भागों में बंट गयी. 5 सांसदों को लेकर पशुपति कुमार पारस ने RLJP का गठन किया. चिराग पासवान उस समय राजनीति के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे थे. 6 सांसदों वाली LJP में चिराग अकेले रह गये. राजनीति के सबसे कठिन दौर में भी चिराग पासवान ने कभी बीजेपी पर कोई आरोप नहीं लगाया.
7 से 8 प्रतिशत वोट पर चिराग की पकड़ः LJP(R) के राष्ट्रीय महासचिव सत्यानंद शर्मा का मानना है कि चिराग पासवान सिर्फ पासवानों के नेता नहीं है. बिहार की राजनीति में चिराग पासवान 8 से 9% वोट पर पकड़ रखते हैं. अनेक पिछड़े एवं अतिपिछड़ा जाति का समर्थन चिराग पासवान को मिलता है. सत्यानंद शर्मा ने कहा कि एक से दो दिन में एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला सुलझा लिया जाएगा. सत्यानंद शर्मा ने दावा किया कि चिराग पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगे. इसको लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बता दिया गया है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला सुलझ जाएगा.
वोट शिफ्ट कराने की ताकतः राजनीति को समझने वाले लोगों का मानना है कि चिराग पासवान यदि एनडीए से अलग हो जाते हैं तो आगामी 2024 के चुनाव में इसका असर पड़ेगा. राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार की मानें तो चिराग पासवान सिर्फ पासवानों के नेता बनकर नहीं रह गए हैं. पिछड़ी अति पिछड़ों के अलावा सामान्य वर्ग के लोग भी अब चिराग पासवान के साथ दिखने लगे हैं. संजय कुमार ने बताया कि बिहार की राजनीति में चिराग पासवान ने अपना ताकत 2020 के विधानसभा चुनाव में दिखा दिया था. कई विधानसभा क्षेत्र में उनका वोट प्रतिशत 20 से ऊपर रहा था. चिराग पासवान गठबंधन में 10 से 11% वोट शिफ्ट कराते हैं.
तेजस्वी-चिराग की जोड़ी पड़ सकती है भारीः चिराग पासवान के महागठबंधन में शामिल होने के सवाल पर तेजस्वी यादव ने कहा था कि यदि कोई आना चाहे तो उनका स्वागत है. उसके बाद से लगातार राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या तेजस्वी यादव और चिराग पासवान एक साथ आ सकते हैं. राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार की मानें तो यदि चिराग पासवान और तेजस्वी यादव एक साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ते हैं तो चुनाव परिणाम पर इसका असर देखने को मिल सकता है. तेजस्वी यादव ने रोजगार का मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी की है. वही चिराग पासवान भी बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट मिशन पर काम में लगे हुए हैं.