अजमेर : हिंदू सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही श्राद्ध है. हिंदू रीति के अनुसार प्रमुख तीर्थ स्थानों पर पूर्वजों का श्राद्ध करने का विधान है, यदि कोई तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध कर्म के लिए नहीं जा पाता है तो अपने पास ही जलाशय जाकर भी अपने पूर्वजों का तर्पण कर सकता है. माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं. ऐसे में पूर्वजों के आगमन पर उनके प्रति श्रद्धा रखने से उनका आशीर्वाद खुशहाली और समृद्धि के रूप में मिलता है. तीर्थराज पुष्कर हिंदुओं की सबसे बड़ी तीर्थस्थली है. यहां श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है. भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध भी पुष्कर की पवित्र धरा पर ही किया था.
इस बार 17 सितंबर से 3 अक्टूबर तक श्राद्ध पक्ष रहेगा. इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं होंगे. तीर्थराज पुष्कर में श्राद्ध कर्म के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहेगा. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों पर तीर्थ पुरोहितों के आचार्यत्व में श्राद्ध होंगे. इसके अलावा बूढ़ा पुष्कर और गया कुंड में भी श्राद्ध कर्म होते हैं. वराह घाट पर कुर्मांचल क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं के पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि भाद्र पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी 16 दिन श्राद्ध पक्ष के माने गए हैं. श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वज अपने घर और अपनों को देखने के लिए आते हैं. पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध किया जाता है, यानी श्राद्ध कर्म करके पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है. उन्होंने बताया कि वेदों में उल्लेख है कि पूर्वजों की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, वंश में बढ़ोतरी होती है. देश में पांच प्रमुख तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इनमें बोध गया, गंगा, पुष्कर, कुरुक्षेत्र और सौराष्ट्र में प्रबास तीर्थ है.
इसे भी पढ़ें-पितृपक्ष 2024: इस समय करें पितरों का तर्पण और पिंडदान, मिलेगी असीम कृपा, इनको लगाएं भोग - Pitra Paksha 2024
ब्रह्मा ने किया था पितृ मेघ यज्ञ :पंडित सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि पुष्कर में जगत पिता ब्रह्मा ने पितृ मेघ यज्ञ किया था. इस यज्ञ में ब्रह्मा ने अपने पितरों का पूजन किया और ऋषियों को पितरों की पूजा का विधान बताया. तीर्थ पुरोहित ने बताया कि पुष्कर तीर्थ में यदि कोई श्रद्धालु पिंडदान करता है तो उसके सात कुल का उद्धार तीर्थराज पुष्कर करते हैं. पद्म पुराण में यह उल्लेख है. उन्होंने बताया कि सभी पंच तीर्थ में सात कुलों के श्राद्ध का महत्व है. श्राद्ध पक्ष में पितरों से उम्मीद करते हैं कि उनके वंश में कोई तो भागीरथ होगा जो उनके लिए तर्पण, पिंडदान आदि करेगा. श्राद्ध करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने पितरों के निमित्त श्रद्धा रखें. श्राद्ध पक्ष में यदि कोई तीर्थ स्थान पर नहीं जा सकता है तो वह अपने आसपास किसी जलाशय पर जाकर ही पितरों के निमित्त तर्पण कर दें. पितृ उसे भी स्वीकार करते हैं.