फोन टैपिंग मामले में मुकेश गुप्ता और रजनीश सिंह को राहत, एसीबी ने पेश की क्लोजर रिपोर्ट, कहा- जो आरोप लगे वह अपराध हुआ ही नहीं - Phone Tapping Case - PHONE TAPPING CASE
छत्तीसगढ़ नान घोटाला में फोन टैपिंग मामले में रिटायर्ड IPS मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह को सीजेएम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. एसीबी ने कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की. जिसमें उन पर लगाए सभी आरोपों को गलत बताया और कहा गया कि जो आरोप लगाए गए हैं वो अपराध हुए ही नहीं हैं.
मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को राहत (ETV Bharat Chhattisgarh)
रायपुर:छत्तीसगढ़ नान घोटाला मामले में रिटायर्ड आईपीएस मुकेश गुप्ता और बिलासपुर के एसपी रजनेश सिंह को बड़ी राहत मिली है. एसीबी ने शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश की. जिसमें कहा गया है कि दोनों अफसर पर जो आरोप लगाए गए हैं, वह अपराध हुआ ही नहीं है. इस मामले पर अभी कोर्ट का फैसला आना बाकी है.
फोन टैपिंग मामले में एसीबी ने पेश की क्लोजर रिपोर्ट: जानकारी के मुताबिक एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट में बिना अनुमति फोन टैपिंग के आरोप को गलत बताया है. जो भी फोन इंटरसेप्ट किया गया है. वह कानून और नियमों के मुताबिक ही किया गया. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि दोनों अफसर पर दबाव बनाकर बयान दर्ज करवाए गए. गौरतलब है कि मुकेश गुप्ता एसीबी के प्रमुख और रजनेश सिंह एजेंसी में एसपी थे. उस दौरान आरोप लगे थे कि उन्होंने नान घोटाला मामले में कई लोगों के फोन टेप कराए. इसके बाद इन फोन टैपिंग का इस्तेमाल नान घोटाला मामले में कार्रवाई करने के लिए किया गया.
भूपेश कार्यकाल में दोनों अधिकारियों पर हुई कार्रवाई: 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता बदल गई थी. 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. कुछ दिनों के बाद नान घोटाले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया. इस दौरान यह बात सामने आई कि नान घोटाले की जांच के दौरान एसीबी के मुखिया मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह ने फर्जी दस्तावेज बनाएं. अवैध रूप से अफसर नेताओं के फोन टेप किये गए. इस आरोप के आधार पर भूपेश सरकार ने मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक SIT के खिलाफ कोर्ट गए और स्टे लेकर आए. मुकेश गुप्ता सुप्रीम कोर्ट से कार्यवाही पर स्टे लगवाने में कामयाब हो गए.
रिटायर्ड आईपीएस मुकेश गुप्ता 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के अफसर हैं. नाम घोटाला मामले में कथित संलिपतता को लेकर भूपेश सरकार ने उन्हें 9 फरवरी 2019 को निलंबित कर दिया था. उसके बाद उन पर FIR भी दर्ज की गई थी. डिग्री के पद पर प्रमोट हो चुके थे. सरकार ने वापस एडीजी रैंक पर रिवर्ट कर दिया था. इस मामले में मुकेश गुप्ता को कैट से राहत मिलने के बाद राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका लगाई थी. मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुकेश गुप्ता के सस्पेंशन को वापस ले लिया. 30 सितंबर 2022 को रिटायर होने वाले थे. ठीक उसके 14 दिन पहले उनका सस्पेंशन खत्म कर दिया गया.