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ठंड के मौसम में पालतु पशुओं में रहती है इन बीमारियों की आशंका, मछली पालक भी इन बातों का रखें ख्याल - PET ANIMAL CARE IN WINTERS

सर्दियों में ठंड बढ़ने पर पालतु पशुओं की देखभाल करना जरूरी है. इस दौरान जानवरों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

सर्दियों में पालतु जानवरों की देखभाल
सर्दियों में पालतु जानवरों की देखभाल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 10:51 AM IST

सिरमौर: जनवरी माह में ठंड काफी अधिक बढ़ जाने के कारण ना केवल इंसानों बल्कि पशुओं और मवेशियों में भी कई रोगों की संभावना बढ़ जाती है. इस मौसम में यदि पशुओं और मवेशियों की उचित देखभाल ना किया जाए, तो यह इनके लिए घातक साबित हो सकता है. इसी को लेकर चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने इस दौरान किए जाने वाले मौसम पूर्वानुमान संबंधित पशुपालन कार्यों के बारे में एडवाजरी जारी की है, जिसे अपनाकर पशुपालक लाभान्वित हो सकते हैं.

जनवरी माह में पशुओं का रखें खास ख्याल

कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ पंकज मित्तल ने बताया जनवरी महीने में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है. पहाड़ी इलाकों में बर्फ़, मैदानों में कोहरे और धुंध के कारण पशुओं की उत्पादन और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है इसलिए पशुपालक इस मौसम में ठंड से बचाव से संबंधित प्रबंधन कार्य सम्पन्न करें. इस माह में पालतू पशुओं की देखभाल करने से संबंधित महत्वपूर्ण सुझावों में अत्यधिक खराब मौसम में कृत्रिम रोशनी का प्रबंध करें. पशुओं को मोटे कपड़े या बोरों से ढकें एवं गुनगुना पानी पीने के लिए दें.

पशुओं के शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए उन्हें खली और गुड़ का मिश्रण खिलाएं. गौशाला के फर्श पर सूखे पत्ते या घास को बिछाएं और खिड़कियों और दरवाजों को रात को मोटे बोरे से ढकें. सर्दियों में पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी रखें और किसी भी बीमारी के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें. डॉ मित्तल ने बताया सर्दी के मौसम में लगातार बर्फबारी या बारिश की स्थिति में पशुओं के लंबे समय तक गौशाला के अंदर रहने के कारण इनमें कई प्रकार की बीमारियां सामने आ सकती हैं, जिनमें से कुछ संक्रामक रोग पशुओं के लिए घातक साबित हो सकते हैं.

गौशाला का ठीक से हवादार ना होने की स्थिति में एकत्रित गैसें जानवरों के फेफड़ों में जलन पैदा कर सकती हैं और निमोनिया जैसे श्वसन संक्रमण का कारण बन सकती हैं. भेड़-बकरी में घातक संक्रामक रोग जैसे पीपीआर और बकरी पॉक्स हो सकते हैं. मवेशियों में खुरपका और मुंहपका रोग की संभावना हो सकती है. पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए उनका टीकाकरण पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार अवश्य करवाएं. इन महीनों में पशुओं को कई प्रकार के आंतरिक परजीवी जैसे फैशिओला आदि के संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें पशु चिकित्सक की सलाह से परजीवी रोधी दवाई खिलाएं.

मछली पालन के लिए सर्दियों में एडवाइजरी (फाइल फोटो)

मछली पालक इन बातों का रखें ध्यान

प्रधान वैज्ञानिक डॉ मित्तल ने मछली पालक किसानों को सलाह देते हुए कहा"तालाब में पानी की मात्रा का विशेष ध्यान रखें और समय-समय पर मछलियों की गतिविधियों पर भी नजर रखें. तालाबों के बांधों की मरम्मत और नर्सरी की तैयारी प्रारंभिक तौर पर शुरू कर देनी चाहिए."कॉमन कार्प ब्रूडर्स (नर और मादा) को चयनित करके उन्हें अलग-अलग तालाबों में एकत्रित करना प्रारंभ कर देना चाहिए. सर्दी के मौसम में मछली पालक किसान अपने तालाबों के पानी की गहराई 6 फीट तक रखें, ताकि मछली को गर्म स्थान (वार्मर जोन) में शीत-निद्रा के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. शाम के समय नलकूप से नियमित पानी डालकर सतह के पानी को गर्म रखा जा सकता है. उन्होंने पशु पालकों से अनुरोध करते हुए कहा कि अपने क्षेत्रों की भौगोलिक और पर्यावरण परिस्थितियों के अनुसार अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र सिरमौर से सम्पर्क में रहें.

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