नई दिल्ली :राजधानी दिल्ली में बोइंग 747 विमान को ऊंचे टैक्सीवे पर देखा गया. जबकि उसके नीचे से गाड़ियां गुजर रही थी. इसका एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक बोइंग 747 विमान को दिल्ली हवाई अड्डे पर एलिवेटेड टैक्सीवे से गुजरता हुआ देखा गया है. विडियो में विमान के आगे बढ़ने पर टैक्सीवे के नीचे सड़क पर कारें गुजरती दिख रही है.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले साल 2.1 किलोमीटर लंबे टैक्सीवे का उद्घाटनकिया था. इसके बाद दिल्ली हवाई अड्डा एलिवेटेड टैक्सीवे वाला पहला भारतीय हवाई अड्डा बन गया. दिल्ली में हवाई जहाज को पुल पर चलाने की तैयारी काफी समय से चल रही थी. पिछले साल इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एलिवेटेड टैक्सीवे बनाया गया. पुल पर हवाई जहाज को पार्क किया जा सके और नीचे गाड़ियों का ट्रैफिक चलता रहे. इसको लेकर तैयारी की गई थी.
आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 और टर्मिनल 3 की तरफ जाने वाली फ्लाई ओवर के ऊपर को टैक्सीवे में बदलने का सिलसिला शुरू हुआ था. ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी ने इस मामले को लेकर सुरक्षा की समीक्षा भी कई बार की, तब जाकर इसे चालू किया गया. जिससे दिल्ली और आसपास के लोगों को यह अनोखा नजारा देखने को मिल सके.
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आईजीआई एयरपोर्ट देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है. यहां हर दिन लगभग डेढ़ हजार से अधिक फ्लाइट का आना-जाना होता है. जिसकी वजह से नए-नए एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं. जिससे हवाई यात्रियों के लिए यात्रा सुगम हो और उड़ानों को भी नियमित रूप से संचालित करने में परेशानी ना हो. इसी को लेकर दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने इसके लिए ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी से रिक्वेस्ट की थी जिस पर काम शुरू किया गया था.
दिल्ली एयरपोर्ट के फ्लाई ओवर पर यह एलिवेटेड टैक्सीवे 203 मीटर चौड़ा और एक पॉइंट आठ किलोमीटर लंबा बनाया गया है. इसका निर्माण इसलिए करवाया गया था कि एक फ्लाइट को रनवे से लैंड करने और टेक ऑफ करने में कम से कम 9 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. एलिवेटेड टैक्सीवे बन जाने से एक तो यह दूरी कम हो जाएगी और दूसरा यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी.
इसके अलावा यात्रा के समय को कम करके ईंधन की भी बचत हो सकेगी. एविएशन विभाग के मुताबिक इस टैक्सीवे से हर यात्रा के दौरान कम से कम 350 किलोग्राम ईंधन बचाया जा सकेगा. दिल्ली एयरपोर्ट पर बने एलिवेटेड टैक्सीवे को एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 तक पहुंचाने के लिए दो रनवे के बीच रास्ता तय किया जाएगा. जिससे समय की भी बचत हो सकेगी.
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