धनबाद: धनसार से सटी चांदमारी मांझी कॉलोनी, जहां करीब 150 से 200 आदिवासी परिवार रहते हैं. झारखंड बनने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनका जीवन सुधर जायेगा. लेकिन ये उम्मीद उनकी बस एक उम्मीद ही बनकर रह गई. आज भी यहां बसे आदिवासी परिवार के लोगों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है. यहां की आदिवासी महिलाएं शादी समारोह के दौरान पुआल उठाने का काम करती हैं.
शादी का सीजन खत्म होने के बाद लोग सिर पर टोकरियां लेकर कोयला बेचने जाते हैं. सुविधाओं की बात करें तो कॉलोनी में पीसीसी सड़क है. सभी लोग फूस के मकानों में रहते हैं.
कॉलोनी में जगह-जगह कोयले का जमाव इस बात की ओर इशारा करता है कि उनकी जिंदगी असल में कोयला बेचकर जीविकोपार्जन करने में ही गुजर जाती है. पानी को लेकर भी उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ईटीवी भारत ने यहां बसे लोगों का दर्द जानने की कोशिश की और उनसे बात कर उनका हाल जाना.
यहां की आदिवासी महिला शिवानी हांसदा ने कहा कि यहां बहुत समस्या है. पानी नहीं है. चारों तरफ गंदगी का अंबार है.बच्चा स्कूल पढ़ने जाता है तो मास्टर बोलता है, इतने गंदे होकर क्यों आए हो. पानी है ही नहीं तो बच्चे को कैसे नहलाकर स्कूल भेजें. हम लोगों के पास कोई रोजगार नहीं है. दिनभर काम करना पड़ता है. सिर पर टोकरी रखकर बाजार में कोयला बेचना पड़ता है. कोयला बेचने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है.
शिवानी ने बताया कि शादी के सीजन में यहां की महिलाएं पार्टियों में जाती हैं और जूठा प्लेट धोने का काम करती हैं. उन्होंने कहा कि पाइप बिछा दिये गये हैं. नल भी लगा दिए गए हैं. लेकिन पानी नहीं आता.