नई दिल्ली:दिल्ली के स्कूलों में एक अप्रैल से शैक्षणिक सत्र 2024-25 की शुरूआत हुई है. इस सत्र में अभिभावकों का स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना महंगा हो गया है. दिल्ली में निजी स्कूलों ने ना केवल फीस में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. बल्कि, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क में बढ़ोतरी उनके बजट को बिगाड़ रहे हैं. स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबों के नाम पर मनमानी रकम वसूल रहे हैं. जबकि, शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली के स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी को लेकर कई बार निर्देशित किया है लेकिन निजी स्कूल मानने को तैयार नहीं है.निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाने का मामला अब शिक्षा अधिकारी तक जा पहुंचा है.
दरअसल, फीस बढ़ाने के मामले को लेकर गुरुवार को दिल्ली पैरेंट एसोसिएशन ने एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन के पास पहुंचे और लिखित शिकायत दी. इसपर उचित करवाई का आश्वासन भी एसोसिएशन को मिला. दिल्ली में सरकारी ज़मीनों पर बने प्राइवेट स्कूलों द्वारा बिना पूर्वानुमति के 100% तक फीस बढ़ाए जाने के सम्बन्ध में गुरुवार दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन का प्रतिनिधि मण्डल एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन पाटिल प्रांजल से मुलाक़ात कर अपना रिप्रेजेंटेशन दिया.
एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा एडिशनल डायरेक्टर प्रांजल को सरकारी ज़मीनों पर बने स्कूलों में शिक्षा विभाग के प्राइवेट स्कूल ब्रांच (psb) की मिलीभगत को दस्तावेजों के माध्यम से आंकड़ों के साथ समझाया गया.
इस प्रतिनिधि मंडल में DPA की अध्यक्ष अपराजिता गौतम और संत राम ने कमिटी के मेंबर के रूप में उपस्थिती दर्ज़ करवाई. इसके अतिरिक्त इस बैठक में महाराजा अग्रसेन स्कूल पीतमपुरा और अशोक विहार के पेरेंट्स सम्मिलित थे.राजधानी में एक अप्रैल से शुरू हुए नए शैक्षिक सत्र में कोई भी निजी स्कूल अपनी मर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेगा.
इसको लेकर शिक्षा निदेशालय की तरफ से सभी स्कूलों को निर्देश दिए थे कि अगर कोई स्कूल फीस बढ़ाना चाहता है तो वह एक अप्रैल से लेकर 15 अप्रैल तक शिक्षा निदेशालय को ऑनलाइन प्रस्ताव तैयार करके भेजे. इसके बाद शिक्षा निदेशक स्कूल का ऑडिट कराएंगे और अगर उनको लगेगा कि स्कूल में फीस बढ़ाने की मांग जायज है तो वो स्कूल को फीस बढ़ाने की अनुमति देंगे. स्कूलों को यह प्रस्ताव शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा.
- जहां DDE PSB द्वारा पिछले वर्षों की फीस बढ़ाने के प्रपोजल पर 3-4 वर्षों बाद फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई है. जिसके चलते पेरेंट्स पर 50-60% का अतिरिक्त भार पड़ा और इसके अतिरिक्त महाराजा अग्रसेन स्कूल पीतमपुरा की फीस बढ़ोतरी का ब्यौरा देते हुए ये साबित किया कि स्कूल द्वारा पेरेंट्स से फीस 94% बढ़ाकर ली जा रही है जबकि 2015 के बाद से केवल एक बार 10% बढ़ोतरी की अनुमति मिली है.
- पेरेंट एसोसिएशन द्वारा जिन मुख्य मुद्दों पर भी चर्चा की गयी
- गैर मान्यता प्राप्त मदों में नकद में ली जा रही फीस पर भी चर्चा की गयीशिकायतों पर शिक्षा अधिकारीयों की चुप्पी
- गैर कानूनी फीस बढ़ाने वाले स्कूलों को मौन स्वीकृत
- स्कूलों के orders का समय पर विभाग की वेबसाइट पर अपलोड नहीं होना
- मध्य सत्र में फीस बढ़ोतरी
ये भी पढ़ें :स्कूल फीस में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी से नाराज अभिभावक, DM कार्यालय में प्रदर्शन
पेरेंट एसोसिएशन की प्रमुख मांग
- शिक्षा अधिकारियों की स्कूलों के साथ लिप्तता की जांच
- गैरकानूनी रूप से ली गयी अतिरिक्त फीस की तुरंत वापसी
- स्कूलों को अनुमति प्राप्त फीस का head wise website पर अपलोड
- स्कूलों को केवल अनुमति प्राप्त फीस लेने के सख्त आदेश
- किसी आदेश की अवहेलना पर स्कूल सोसाइटी पर चेतावनी के साथ अर्थदंड, और बाद में TAKEOVER
- सभी स्कूलों का CAG audit, क्योंकि स्कूलों में सालों से वित्तीय विसंगतियों के बाद भी दी जा रही है फीस बढ़ोतरी की अनुमति
ये भी पढ़ें :फीस बढ़ोतरी के खिलाफ पेरेंट्स ने उठाई आवाज, प्रदर्शन कर काटा बवाल