मंडी:जिला मंडी के नाचन में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल देवीदहड़ के नजदीक ढुंगाथर से अब मानव परिंदे जल्द ही उड़ान भरेंगे. यहां पर हुए दूसरे सफल ट्रायल के बाद पैराग्लाइडिंग साइट के लिए हरी झंडी मिल गई है. अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबद्ध खेल संस्थान मनाली की सिफारिश के बाद पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग ने इस साइट को टेंडम व सोलो उड़ान भरने के लिए अधिसूचित किया है. इस साइट पर उड़ान की मंजूरी मिलने के बाद जहां अब हिमाचल के पैराग्लाइडर ऑपरेटरों को रोजगार मिलेगा. वहीं, पर्यटन कारोबार में भी इस क्षेत्र को नए पंख लगेंगे.
'स्थानीय लोगों को मिलेंगे रोजगार के अवसर'
इस साइट पर दिनभर फ्लाइंग संभव होगी. इसके साथ ही ढुंगाथर पैराग्लाइडिंग साइट को मंजूरी मिलते ही नाचन और सराज घाटी के पर्यटन स्थलों को विश्व में पहचान मिलेगी. देवीदहड़, सरोआ, शिकारी देवी और कमरूनाग में पर्यटन कारोबार चमकेगा और स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे.
सहायक पर्यटन विकास अधिकारी रितेश पटियाल ने बताया कि ''इस बीती 14 फरवरी को इस साइट को फ्लाइट के लिए अधिसूचित किया गया है. पैराग्लाइडिंग करते हुए इस साइट से 360 डिग्री का एंगल बनता है. इसके साथ ही यहां से पैराग्लाइडिंग के अलावा ऊंचे पहाड़ों के लिए ट्रेकिंग भी की जा सकती है''.
'ऑपरेटर किए जाएंगे पंजीकृत'
रितेश पटियाल ने बताया कि ''यह साइट आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश की बेस्ट पैराग्लाइडिंग साइट के रूप में उभरेगी. इस साइट पर ढुंगाथर टेक ऑफ और लैंडिंग जाच्छ के समीप होगी, जिसमें 15 से 20 मिनट का समय लगेगा. अधिसूचना के बाद अब इस साइट के लिए ऑपरेटर पंजीकृत किए जाएंगे, पर आने वाले कुछ दिनों पर्यटक व अन्य स्थायीय यहां से पैराग्लाइडिंग का लुक उठा सकेंगे''.
पूर्व जयराम सरकार के समय भी ढुंगाथर में हुआ था पैराग्लाइडिंग का ट्रायल
बता दें कि दिसंबर माह में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबद्ध खेल संस्थान मनाली की टीम ने वन विभाग और पर्यटन विभाग की टीम के साथ ढुंगाथर में पैराग्लाइडिंग का दूसरी बार सफल ट्रायल किया था. इससे पहले भी पूर्व की जयराम सरकार के समय ढुंगाथर में पैराग्लाइडिंग का ट्रायल किया गया था. जिसमें कुछ खामियां पाए जाने पर दोबारा से इस साइट पर ट्रायल करने के निर्देश जारी हुए थे. संस्थान की तकनीकी टीम, जिला पर्यटन अधिकारी मनोज कुमार और डीएफओ नाचन एसएस कश्यप की मौजूदगी में साइट का संयुक्त निरीक्षण किया गया था. जिसमें अलग-अलग समय में हवा के रूख को जांचने के साथ अन्य चीजें परखी गई थी और ट्रायल सफल रहा था.
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