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टैक्स फ्री नहीं है EPFO, अकाउंट में जमा पैसे पर कब लगता है Tax...जानें क्या कहता है नियम - Tax on EPFO

EPFO की ओर से चलाई जाने वाली कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के साथ कर्मचारी अपना रिटायरमेंट फंड तैयार कर सकते हैं. इसी के साथ EPFO इस फंड से पैसे निकालने के लिए शर्ते रखता है. बहुत से लोगों का मानना है कि ईपीएफओ अकाउंट में पैसा निकालने पर टैक्स नहीं देना होता है. लेकिन हम आपको बता दे कि यह पूरी तरह से सच नहीं है. कुछ परिस्थितियों में आपको निकासी पर टैक्स देना पड़ सकता है. पढ़ें पूरी खबर...

EPFO
ईपीएफओ (प्रतीकात्मक फोटो) (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 21, 2024, 7:00 AM IST

नई दिल्ली: जिस कंपनी में 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते है तो उनका कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में रजिस्ट्रेशन होना जरुरी होता हैय इसी वजह से कंपनी में काम करने वाले लोगों का पीएफ कटता है. जब भी कोई व्यक्ति जॉब शुरू करता है तो ईपीएफओ से एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) मिलता है. आपका नियोक्ता इस यूएएन नंबर के तहत एक पीएफ अकाउंट खोलता है, जिसमें आप और आपकी कंपनी दोनों इसमें हर महीने योगदान करते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि ईपीएफओ अकाउंट में पैसा निकालने पर टैक्स नहीं देना होता है. लेकिन हम आपको बता दे कि यह पूरी तरह से सच नहीं है. कुछ परिस्थितियों में आपको निकासी पर टैक्स देना पड़ सकता है.

इन परिस्थितियों पर नहीं लगेगा टैक्स
बता दें कि पांच साल तक ईपीएफ में योगदान करने के बाद अगर आप पैसे को निकालते हैं तो ईपीएफ खाताधारक को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. अब इन पांच सालों में आपने एक कंपनी में काम किया या कई कंपनियों में काम किया है. इससे फर्क नहीं पड़ता है.

इन परिस्थितियों में लगेगा टैक्स
लेकिन अगर आपने पांच साल तक काम नहीं किया है और खाता में जमा पैसे निकालते है तो आपको टैक्स चुकाना होगा. साथ में आपको ये भी बता दें कि कुछ परिस्थितियों में पांच साल से पहले पैसै निकालने पर भा टैक्स छूट मिल जाती है. जिसमें कर्मचारी का खराब हेल्थ, कर्मचारी का कारोबार बंद होना या अन्य वजहों से नौकरी छूट जाए तो इन कारणों में टैक्स नहीं लगता है.

EPF से मिलने वाले टैक्स लाभ क्या हैं?
कर्मचारी की ओर से, किए गए योगदान पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत कटौती की जा सकती है. हालांकि, इसकी ऊपरी सीमा 1.5 लाख रुपये है. नियोक्ता की ओर से, कर्मचारी के वेतन का 12 फीसदी तक का योगदान टैक्स फ्री है.

वर्तमान में EPF पर किस तरह से टैक्स लगाया जाता है?
वित्त अधिनियम 2021 में किए गए संशोधन के बाद, 2.5 लाख रुपये से अधिक के ईपीएफ कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले किसी भी ब्याज पर टैक्स लगेगा. हालांकि, अगर कर्मचारी केवल ईपीएफ कंट्रीब्यूशन कर रहा है और नियोक्ता नहीं कर रहा है, तो टैक्स न लगने वाली ब्याज राशि की ऊपरी सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये हो जाती है.

साथ ही, टैक्स पर 9.5 फीसदी प्रति वर्ष से अधिक अर्जित कोई भी ब्याज भी टैक्स योग्य होगा. जब नियोक्ता के कंट्रीब्यूशन की बात आती है, तो 7.5 लाख रुपये से अधिक की कोई भी राशि आयकर नियमों के नियम 3बी के तहत धारा 17(2) (आईए) के तहत कर के दायरे में आएगी.

अगर कर्मचारी को ईपीएफ से एकमुश्त राशि प्राप्त होती है, तो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(12) के तहत, उस पर टैक्स नहीं लगेगा, बशर्ते कि कर्मचारी ने लगातार पांच या उससे अधिक वर्षों की सेवा पूरी कर ली हो.

इन परिस्थितियों में टैक्स से छूट

  • खराब स्वास्थ्य के कारण कर्मचारी को सेवा से निकाल दिया गया.
  • नियोक्ता का व्यवसाय बंद हो जाना.
  • कर्मचारी कहीं और नौकरी करता है और ईपीएफ बैलेंस नए नियोक्ता को ट्रांसफर हो जाता है.

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नई दिल्ली: जिस कंपनी में 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते है तो उनका कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में रजिस्ट्रेशन होना जरुरी होता हैय इसी वजह से कंपनी में काम करने वाले लोगों का पीएफ कटता है. जब भी कोई व्यक्ति जॉब शुरू करता है तो ईपीएफओ से एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) मिलता है. आपका नियोक्ता इस यूएएन नंबर के तहत एक पीएफ अकाउंट खोलता है, जिसमें आप और आपकी कंपनी दोनों इसमें हर महीने योगदान करते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि ईपीएफओ अकाउंट में पैसा निकालने पर टैक्स नहीं देना होता है. लेकिन हम आपको बता दे कि यह पूरी तरह से सच नहीं है. कुछ परिस्थितियों में आपको निकासी पर टैक्स देना पड़ सकता है.

इन परिस्थितियों पर नहीं लगेगा टैक्स
बता दें कि पांच साल तक ईपीएफ में योगदान करने के बाद अगर आप पैसे को निकालते हैं तो ईपीएफ खाताधारक को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. अब इन पांच सालों में आपने एक कंपनी में काम किया या कई कंपनियों में काम किया है. इससे फर्क नहीं पड़ता है.

इन परिस्थितियों में लगेगा टैक्स
लेकिन अगर आपने पांच साल तक काम नहीं किया है और खाता में जमा पैसे निकालते है तो आपको टैक्स चुकाना होगा. साथ में आपको ये भी बता दें कि कुछ परिस्थितियों में पांच साल से पहले पैसै निकालने पर भा टैक्स छूट मिल जाती है. जिसमें कर्मचारी का खराब हेल्थ, कर्मचारी का कारोबार बंद होना या अन्य वजहों से नौकरी छूट जाए तो इन कारणों में टैक्स नहीं लगता है.

EPF से मिलने वाले टैक्स लाभ क्या हैं?
कर्मचारी की ओर से, किए गए योगदान पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत कटौती की जा सकती है. हालांकि, इसकी ऊपरी सीमा 1.5 लाख रुपये है. नियोक्ता की ओर से, कर्मचारी के वेतन का 12 फीसदी तक का योगदान टैक्स फ्री है.

वर्तमान में EPF पर किस तरह से टैक्स लगाया जाता है?
वित्त अधिनियम 2021 में किए गए संशोधन के बाद, 2.5 लाख रुपये से अधिक के ईपीएफ कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले किसी भी ब्याज पर टैक्स लगेगा. हालांकि, अगर कर्मचारी केवल ईपीएफ कंट्रीब्यूशन कर रहा है और नियोक्ता नहीं कर रहा है, तो टैक्स न लगने वाली ब्याज राशि की ऊपरी सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये हो जाती है.

साथ ही, टैक्स पर 9.5 फीसदी प्रति वर्ष से अधिक अर्जित कोई भी ब्याज भी टैक्स योग्य होगा. जब नियोक्ता के कंट्रीब्यूशन की बात आती है, तो 7.5 लाख रुपये से अधिक की कोई भी राशि आयकर नियमों के नियम 3बी के तहत धारा 17(2) (आईए) के तहत कर के दायरे में आएगी.

अगर कर्मचारी को ईपीएफ से एकमुश्त राशि प्राप्त होती है, तो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(12) के तहत, उस पर टैक्स नहीं लगेगा, बशर्ते कि कर्मचारी ने लगातार पांच या उससे अधिक वर्षों की सेवा पूरी कर ली हो.

इन परिस्थितियों में टैक्स से छूट

  • खराब स्वास्थ्य के कारण कर्मचारी को सेवा से निकाल दिया गया.
  • नियोक्ता का व्यवसाय बंद हो जाना.
  • कर्मचारी कहीं और नौकरी करता है और ईपीएफ बैलेंस नए नियोक्ता को ट्रांसफर हो जाता है.

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