भोपाल : जब प्राची पैदा हुईं तो उनके दोनों पैर लकवाग्रस्त थे. घर वाले उन्हें खेल से दूर रहने की सलाह देते थे. लेकिन उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया था. आज उसी लक्ष्य की बदौलत प्राची यादव देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रही हैं. पेरिस में आयोजित पैरालंपिक में शुक्रवार को प्राची केनो स्प्रिंट के फाइनल में पहुंच गईं. इस मौके पर उनके पति मनीष कौरव ने उनके संघर्ष की कहानी साझा की.
एक आंख का रेटिना है खराब, फिर भी हार नहीं मानी
प्राची यादव के पति और पैरा स्प्रिंट के खिलाड़ी मनीष कौरव ने बताया, '' जब प्राची टोक्यो पैरालंपिक में खेलने गई थीं. उस समय उनकी बायीं आंख के रेटिना में संक्रमण हो गया था. इसके बाद भारत लौटकर उन्होंने दिल्ली में इलाज कराया लेकिन उससे कोई असर नहीं हुआ. अब डॉक्टर ने उन्हें एक आंख का रेटिना बदलने की सलाह दी है. लेकिन पेरिस पैरालंपिक की वजह से उन्होंने अभी आंख का इलाज कराना उचित नहीं समझा. बता दें कि केनो स्प्रिंट में खिलाड़ी का पूरा जोर बायीं ओर होता है. ऐसे में बांयी आंख खराब होने से उनके सामने बड़ी चुनौती थी. हालांकि, प्राची के जुनून के आगे यह परेशानी भी हार गई. उन्होंने एक आंख के सहारे ही पैरालंपिक फाइनल तक का सफर तय किया.''
स्कूल में एडमिशन देने से कर दिया था मना
बता दें कि प्राची यादव जन्म से ही लकवाग्रस्त हैं. उनकी कमर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता. ऐसे में उन्हें उठने-बैठने के लिए भी किसी सहारे की जरुरत होती है. जब उनके माता-पिता ने ग्वालियर के एक स्कूल में उनका दाखिला कराना चाहा, तो उस समय स्कूल प्रबंधन ने उनका एडमिशन करने से मना कर दिया था. प्रबंधन का तर्क था कि वो स्कूल कैसे आएंगी और पढ़ाई कैसे करेंगी? इसके बावजूद प्राची के घर वालों ने हार नहीं मानी और उन्हें उच्च शिक्षा दिलवाई.