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पैरों ने पहले छोड़ा साथ, फिर एक आंख के सहारे पैरालंपिक फाइनल में पहुंचीं एमपी की प्राची - Prachi Yadav in Paralympic Final

परिस्थिति कैसी भी हो, अगर आप में जुनून और हौसला बाकी है तो फिर जीवन में कितनी ही परेशानियां क्यों न आएं, आप अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं. इस बात को चरितार्थ किया है पेरिस पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रहीं मध्यप्रदेश की प्राची यादव ने जो जन्म से ही पैरालिसिस का शिकार होने के बावजूद आज पैरालंपिक के फाइनल में पहुंच गईं.

PRACHI YADAV REACHES SEMIFINAL
एक आंख के सहारे पैरालंपिक के सेमी फायनल में पहुंचीं एमपी की प्राची (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 6, 2024, 8:08 PM IST

Updated : Sep 7, 2024, 4:25 PM IST

भोपाल : जब प्राची पैदा हुईं तो उनके दोनों पैर लकवाग्रस्त थे. घर वाले उन्हें खेल से दूर रहने की सलाह देते थे. लेकिन उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया था. आज उसी लक्ष्य की बदौलत प्राची यादव देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रही हैं. पेरिस में आयोजित पैरालंपिक में शुक्रवार को प्राची केनो स्प्रिंट के फाइनल में पहुंच गईं. इस मौके पर उनके पति मनीष कौरव ने उनके संघर्ष की कहानी साझा की.

देखें वीडियो (Etv Bharat)

एक आंख का रेटिना है खराब, फिर भी हार नहीं मानी

प्राची यादव के पति और पैरा स्प्रिंट के खिलाड़ी मनीष कौरव ने बताया, '' जब प्राची टोक्यो पैरालंपिक में खेलने गई थीं. उस समय उनकी बायीं आंख के रेटिना में संक्रमण हो गया था. इसके बाद भारत लौटकर उन्होंने दिल्ली में इलाज कराया लेकिन उससे कोई असर नहीं हुआ. अब डॉक्टर ने उन्हें एक आंख का रेटिना बदलने की सलाह दी है. लेकिन पेरिस पैरालंपिक की वजह से उन्होंने अभी आंख का इलाज कराना उचित नहीं समझा. बता दें कि केनो स्प्रिंट में खिलाड़ी का पूरा जोर बायीं ओर होता है. ऐसे में बांयी आंख खराब होने से उनके सामने बड़ी चुनौती थी. हालांकि, प्राची के जुनून के आगे यह परेशानी भी हार गई. उन्होंने एक आंख के सहारे ही पैरालंपिक फाइनल तक का सफर तय किया.''

प्राची यादव (Etv Bharat)

स्कूल में एडमिशन देने से कर दिया था मना

बता दें कि प्राची यादव जन्म से ही लकवाग्रस्त हैं. उनकी कमर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता. ऐसे में उन्हें उठने-बैठने के लिए भी किसी सहारे की जरुरत होती है. जब उनके माता-पिता ने ग्वालियर के एक स्कूल में उनका दाखिला कराना चाहा, तो उस समय स्कूल प्रबंधन ने उनका एडमिशन करने से मना कर दिया था. प्रबंधन का तर्क था कि वो स्कूल कैसे आएंगी और पढ़ाई कैसे करेंगी? इसके बावजूद प्राची के घर वालों ने हार नहीं मानी और उन्हें उच्च शिक्षा दिलवाई.

अब तक जीत चुकी हैं 8 इंटरनेशनल मेडल

मनीष कौरव ने बताते हैं, '' अब तक प्राची पैरालंपिक और एशियन गेम्स में 8 इंटरनेशल मेडल जीत चुकी हैं. इसमें 6 गोल्ड, एक ब्रॉन्ज और एक सिल्वर शामिल हैं. इसके साथ ही उन्हें दिसंबर 2023 में राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू के हाथों अर्जुन अवॉर्ड दिया गया है. वॉटर स्पोर्टस के प्रति प्राची में गजब का जुनून है. इसीलिए उन्होंने दो पैरों के साथ छोड़ने के बाद केनो स्प्रिंट जैसे गेम को चुना. जब उनकी आंखों की रेटिना खराब हुई, तो डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी. इसके बावजूद उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में जाने का फैसला किया और फाइनल तक पहुंचीं.

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पैरालंपिक में जाने के लिए आर्थिक परेशानियों का करना पड़ा सामना

प्राची के पति मनीष कहते हैं, '' पहले हम लोग लिवइन में रहते थे. घर से भी इतने पैसे नहीं आते थे. इसमें डाइट और रूम का खर्च भी उठाना पड़ता था. ऐसे में बड़ी पेरशानी होती थी, खेल जारी रखने में. लेकिन कोरोना काल में साल 2019 में वो वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने हंगरी गई थी, जिसमें उन्हें कोटा मिला. इससे उनको काफी मदद मिली. जब तक उनकी आंख ठीक थी, तब तक वो एशियन गेम्स में बिल्कुल फिट थीं. लेकिन अब उनके बायीं आंख का रेटिना खराब होने के बाद भी वो इस कंडीशन में रेस लड़ी. अभी हिट में फोर्थ आई हैं. हमें पूरी संभावना है कि फाइनल खेलने के बाद वो फायनल में जरुर पहुंचेंगी.'' गौरतलब है कि मनीष कौरव भी वॉटर स्पार्टस के खिलाड़ी हैं. वे अबतक इंटरनेशल गेम्स में चार मेडल जीत चुके हैं.

Last Updated : Sep 7, 2024, 4:25 PM IST

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