पन्ना:मंदिरों के लिए पहचान रखने वाली पन्ना नगरी महलों के लिए भी जानी जाती है. बुंदेलखंड के महल और किले अपनी भव्यता, सुंदरता और विशालता के लिए जाने जाते हैं. इसी में एक है लक्ष्मीपुर पैलेस. बुंदेली स्थापत्य कला वाला यह महल अब जर्जर हो चुका है. कभी इस महल को बुंदेलखंड के खूंखार डकैत के लिए खुली जेल में भी तब्दील किया गया था.
1880 में बनकर तैयार हुआ था लक्ष्मीपुर महल
शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम लक्ष्मीपुर में इस ऐतिहासिक महल का निर्माण 1880 में किया गया था. तब इसी गांव के नाम पर ही इसे लक्ष्मीपुर पैलेस के नाम से जाना जाने लगा. महाराज लोकपाल सिंह जूदेव ने इस सुंदर महल का निर्माण कराया था. महाराजा लोकपाल सिंह महाराजा रुद्र प्रताप सिंह के भाई थे. यह महल पन्ना के महेंद्र भवन जैसा बना हुआ है.
महाराज लोकपाल सिंह जूदेव ने बनवाया था लक्ष्मीपुर पैलेस (ETV Bharat) बुंदेली स्थापत्य कला का है बेहतरीन उदाहरण
इतिहासकार सूर्यभान सिंह परमार बताते हैं कि "लक्ष्मीपुर पैलेस की बनावट और नक्काशी बुंदेली स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है. लेकिन संरक्षण न होने के कारण यह लक्ष्मीपुर महल अब जर्जर होने की कगार पर है. इसे बने 144 साल हो चुके हैं लेकिन इसके संरक्षण के लिए आज तक कोई प्रयास नहीं किए गए."
पन्ना का लक्ष्मीपुर पैलेस (ETV Bharat) डकैत के लिए लक्ष्मीपुर पैलेस बना था खुली जेल
इतिहासकार सूर्यभान सिंह परमार बताते हैं कि "1972 में बुंदेलखंड के डकैत मूरत सिंह और उनके साथी जब सरेंडर हुए तो प्रशासन ने लक्ष्मीपुर पैलेस को खुली जेल के रूप में तब्दील कर दिया था. डकैत मूरत सिंह समेत उसके साथियों को इसी महल में रखा गया था, तब से लक्ष्मीपुर पैलेस को खुली जेल भी कहा जाता है. यह महल पन्ना से यह लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बहुत ही सुंदर बना हुआ है. इस पैलेस का प्रशासन द्वारा संरक्षण न किए जाने के कारण पैलेस बहुत ही जर्जर अवस्था में है और पैलेस के कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. पैलेस को अब संरक्षण की दरकार है क्योंकि यह एक ऐतिहासिक इमारत है जिसका संरक्षण जरूरी है."
परिसर में है कृषि महाविद्यालय की नई बिल्डिंग
जिला प्रशासन ने लक्ष्मीपुर पैलेस परिसर को कृषि विज्ञान केंद्र को हैंडओवर कर दिया गया था, इसके बाद जब पन्ना में कृषि महाविद्यालय की स्थापना हुई तो लक्ष्मीपुर पैलेस के बगल में नवीन बिल्डिंग निर्मित करवाकर कृषि महाविद्यालय संचालित किया गया. वर्तमान में इस परिसर में कृषि महाविद्यालय संचालित होता है और बिल्डिंग ज्यों की त्यों जर्जर और क्षतिग्रस्त अवस्था में खड़ी हुई है.