ETV Bharat / bharat

असम को मिला आठवां नेशनल पार्क, वन्यजीव संरक्षण के लिए होगा अहम - SIKHNA JHWALAO

असम में सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क का निर्माण किया गया है. इस पार्क का कुल क्षेत्रफल 316.29 वर्ग किलोमीटर है.

Sikhna Jhwalao
असम को मिला आठवां नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 19, 2025, 3:53 PM IST

गुवाहाटी: असम को अपना आठवां नेशनल पार्क मिल गया है. इस पार्क का नाम सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क रखा गया है, जो भूटान की तलहटी में कोकराझार और चिरांग जिलों के बीच दो रिजर्व फॉरेस्ट को कवर करता है. यह वन क्षेत्र गोल्डन लंगूरों के लिए प्रसिद्ध है. यह राष्ट्रीय उद्यान भारत-भूटान सीमा पर चिरांग और कोकराझार जिलों में फैला हुआ है.

चिरांग रिजर्व फॉरेस्ट और मानस रिजर्व फॉरेस्ट को मिलाकर इस राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण किया गया है. इस पार्क का कुल क्षेत्रफल 316.29 वर्ग किलोमीटर है. इसमें से चिरांग रिजर्व फॉरेस्ट का 212.44 वर्ग किलोमीटर और मानस रिजर्व फॉरेस्ट का कुल क्षेत्रफल 103.85 वर्ग किलोमीटर हिस्सा आता है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

यह नया राष्ट्रीय उद्यान असम के बोडोलैंड टेरिटॉरियल रीजन(BTR) के रायमाना राष्ट्रीय उद्यान के पूर्वी भाग के पास सरलभंगा नदी (स्थानीय रूप से स्वरमंगा के रूप में जाना जाता है) के तट पर स्थित है. इसके पश्चिम की ओर धलपानी नदी ह, जबकि इस राष्ट्रीय उद्यान की उत्तरी सीमा पर सरलापारा मार्केट है.

यह पार्क भूटान के सरपांग जिले के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जो पड़ोसी देश के गेलेफू नामक शहर तक फैली हुई है. सरलपारा में एक सड़क एंट्री पॉइंट है, जो भारत को भूटान से जोड़ता है. यह मार्ग सरपांग के जिला मुख्यालय तक भी जाता है और पूर्व में सरपांग-गेलेफू-ट्रांग्शा राजमार्ग के साथ गेलेफू शहर तक जाता है.

पार्क की पूर्वी सीमा पर जो BTR के चिरांग जिले में आती है. यहां देवाश्री एफवी, शांतिपुर एफवी, खुंगरिंग एफवी और भूर एफवी जैसे कई गांव हैं जो लाओटी मिनी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट तक फैले हुए हैं. राष्ट्रीय उद्यान की पश्चिमी सीमा रायमाना राष्ट्रीय उद्यान की पूर्वी सीमा के साथ एक अंतर-सीमा से लगती है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

वहीं, राष्ट्रीय उद्यान की दक्षिणी सीमा पर कई गांव हैं, जिनमें पूर्णागुड़ी, काशीगुड़ी एफवी, खलशी, केंदुगुड़ी, झारबारी बाजार, बोरोपुर, दीमापुर, महेंद्रपुर एफवी, बदरनपुर एफवी, गनीपुर, दिगली बाजार, मोहनपुर एफवी और बांसबाड़ी एफवी शामिल हैं.

गोल्डन लंगूरों का गढ़
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन ने बताया कि यह पार्क हाथी, गैंडे, बाघ, तेंदुए आदि जानवरों का घर है. यह पार्क खास तौर पर गोल्डन लंगूरों के लिए जाना जाता है. गौरतलब है कि प्राइमेट रिसर्च सेंटर एनई इंडिया (PRCNE), वन विभाग, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल, एसएसीओएन और कंजर्वेशन हिमालय की एक टीम ने फरवरी-मार्च 2024 में एक सर्वे किया था. सर्वे में नए घोषित राष्ट्रीय उद्यान में 2000 से अधिक गोल्डन लंगूरों की मौजूदगी पाई गई. संगठन इन गोल्डन लंगूरों के संरक्षण की वकालत करते रहे हैं.

कहां से आया सिखना झ्वालाओ नाम?
सिखना झ्वालाओ नाम बोडो ऐतिहासिक व्यक्ति सिखना झ्वालाओ के नाम से लिया गया है. इस विषय पर अधिक प्रकाश डालते हुए वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन ने कहा, "जिस तरह लछित बोरफुकन को असम के राष्ट्रीय नायक के रूप में जाना जाता है, उसी तरह सिखना झ्वालाओ को भी बोडो के राष्ट्रीय नायक के रूप में जाना जाता है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

सिखना एक बोडो नायक थे. उन्होंने वर्तमान क्षेत्र पर शासन किया और 1866-68 के दौरान भूटान और ब्रिटिश सेना के बीच लड़ाई में लड़े. उनकी राजधानी सिखनाझार भारत-भूटान सीमा पर सरभंगा के पास अल्तापानी रिजर्व फॉरेस्ट में स्थित थी, जो अब राष्ट्रीय उद्यान के अंदर है. इस क्षेत्र को देवताओं और आत्माओं का पवित्र निवास माना जाता है और बोडो लोग पारंपरिक रूप से हर साल वहां 'बाथौ खेराई' पूजा करते हैं.

वन्यजीव संरक्षण में अहम होगा पार्क
बर्मन ने यह भी कहा कि असम सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त यह पार्क रायमाना और मानस नेशनल पार्क के बीच घूमने वाले वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच संघर्ष को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाएगा. क्योंकि यह पार्क रायमाना नेशनल पार्क से सटा हुआ है. यहां तक ​​कि मानस नेशनल पार्क भी ज्यादा दूर नहीं है और इस तरह यह वन्यजीवों को घूमने के लिए एक गलियारा प्रदान करता है और साथ ही सुरक्षित वातावरण का मार्ग प्रशस्त करता है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

असम के नेशनल पार्क

1. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान- 1090 वर्ग किलोमीटर (1974 में घोषित)

2. मानस राष्ट्रीय उद्यान- 500 वर्ग किलोमीटर (1990 में घोषित)

3. नामेरी राष्ट्रीय उद्यान- 200 वर्ग किलोमीटर (1998 में घोषित)

4. डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान, 350 वर्ग किलोमीटर (1999 में घोषित)

5. ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व 79.28 वर्ग किलोमीटर (1999 में घोषित)

6. देहिंग पटकाई राष्ट्रीय उद्यान 231.65 वर्ग किलोमीटर, (2020 में घोषित)

7. रायमोना राष्ट्रीय उद्यान, 422 वर्ग किलोमीटर (2021 में घोषित)

8. सिखाना झवालाओ राष्ट्रीय उद्यान, 316.29 वर्ग किमी, (2025 में घोषित)

यह भी पढ़ें- पांडवकुंड में नहाने पहुंचे चार छात्रों की पानी में डूबने से मौत, एक मृतक की पत्नी गर्भवती

गुवाहाटी: असम को अपना आठवां नेशनल पार्क मिल गया है. इस पार्क का नाम सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क रखा गया है, जो भूटान की तलहटी में कोकराझार और चिरांग जिलों के बीच दो रिजर्व फॉरेस्ट को कवर करता है. यह वन क्षेत्र गोल्डन लंगूरों के लिए प्रसिद्ध है. यह राष्ट्रीय उद्यान भारत-भूटान सीमा पर चिरांग और कोकराझार जिलों में फैला हुआ है.

चिरांग रिजर्व फॉरेस्ट और मानस रिजर्व फॉरेस्ट को मिलाकर इस राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण किया गया है. इस पार्क का कुल क्षेत्रफल 316.29 वर्ग किलोमीटर है. इसमें से चिरांग रिजर्व फॉरेस्ट का 212.44 वर्ग किलोमीटर और मानस रिजर्व फॉरेस्ट का कुल क्षेत्रफल 103.85 वर्ग किलोमीटर हिस्सा आता है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

यह नया राष्ट्रीय उद्यान असम के बोडोलैंड टेरिटॉरियल रीजन(BTR) के रायमाना राष्ट्रीय उद्यान के पूर्वी भाग के पास सरलभंगा नदी (स्थानीय रूप से स्वरमंगा के रूप में जाना जाता है) के तट पर स्थित है. इसके पश्चिम की ओर धलपानी नदी ह, जबकि इस राष्ट्रीय उद्यान की उत्तरी सीमा पर सरलापारा मार्केट है.

यह पार्क भूटान के सरपांग जिले के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जो पड़ोसी देश के गेलेफू नामक शहर तक फैली हुई है. सरलपारा में एक सड़क एंट्री पॉइंट है, जो भारत को भूटान से जोड़ता है. यह मार्ग सरपांग के जिला मुख्यालय तक भी जाता है और पूर्व में सरपांग-गेलेफू-ट्रांग्शा राजमार्ग के साथ गेलेफू शहर तक जाता है.

पार्क की पूर्वी सीमा पर जो BTR के चिरांग जिले में आती है. यहां देवाश्री एफवी, शांतिपुर एफवी, खुंगरिंग एफवी और भूर एफवी जैसे कई गांव हैं जो लाओटी मिनी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट तक फैले हुए हैं. राष्ट्रीय उद्यान की पश्चिमी सीमा रायमाना राष्ट्रीय उद्यान की पूर्वी सीमा के साथ एक अंतर-सीमा से लगती है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

वहीं, राष्ट्रीय उद्यान की दक्षिणी सीमा पर कई गांव हैं, जिनमें पूर्णागुड़ी, काशीगुड़ी एफवी, खलशी, केंदुगुड़ी, झारबारी बाजार, बोरोपुर, दीमापुर, महेंद्रपुर एफवी, बदरनपुर एफवी, गनीपुर, दिगली बाजार, मोहनपुर एफवी और बांसबाड़ी एफवी शामिल हैं.

गोल्डन लंगूरों का गढ़
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन ने बताया कि यह पार्क हाथी, गैंडे, बाघ, तेंदुए आदि जानवरों का घर है. यह पार्क खास तौर पर गोल्डन लंगूरों के लिए जाना जाता है. गौरतलब है कि प्राइमेट रिसर्च सेंटर एनई इंडिया (PRCNE), वन विभाग, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल, एसएसीओएन और कंजर्वेशन हिमालय की एक टीम ने फरवरी-मार्च 2024 में एक सर्वे किया था. सर्वे में नए घोषित राष्ट्रीय उद्यान में 2000 से अधिक गोल्डन लंगूरों की मौजूदगी पाई गई. संगठन इन गोल्डन लंगूरों के संरक्षण की वकालत करते रहे हैं.

कहां से आया सिखना झ्वालाओ नाम?
सिखना झ्वालाओ नाम बोडो ऐतिहासिक व्यक्ति सिखना झ्वालाओ के नाम से लिया गया है. इस विषय पर अधिक प्रकाश डालते हुए वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन ने कहा, "जिस तरह लछित बोरफुकन को असम के राष्ट्रीय नायक के रूप में जाना जाता है, उसी तरह सिखना झ्वालाओ को भी बोडो के राष्ट्रीय नायक के रूप में जाना जाता है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

सिखना एक बोडो नायक थे. उन्होंने वर्तमान क्षेत्र पर शासन किया और 1866-68 के दौरान भूटान और ब्रिटिश सेना के बीच लड़ाई में लड़े. उनकी राजधानी सिखनाझार भारत-भूटान सीमा पर सरभंगा के पास अल्तापानी रिजर्व फॉरेस्ट में स्थित थी, जो अब राष्ट्रीय उद्यान के अंदर है. इस क्षेत्र को देवताओं और आत्माओं का पवित्र निवास माना जाता है और बोडो लोग पारंपरिक रूप से हर साल वहां 'बाथौ खेराई' पूजा करते हैं.

वन्यजीव संरक्षण में अहम होगा पार्क
बर्मन ने यह भी कहा कि असम सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त यह पार्क रायमाना और मानस नेशनल पार्क के बीच घूमने वाले वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच संघर्ष को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाएगा. क्योंकि यह पार्क रायमाना नेशनल पार्क से सटा हुआ है. यहां तक ​​कि मानस नेशनल पार्क भी ज्यादा दूर नहीं है और इस तरह यह वन्यजीवों को घूमने के लिए एक गलियारा प्रदान करता है और साथ ही सुरक्षित वातावरण का मार्ग प्रशस्त करता है.

Sikhna Jhwalao
सिखना झ्वालाओ नेशनल पार्क (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक रथिन बर्मन)

असम के नेशनल पार्क

1. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान- 1090 वर्ग किलोमीटर (1974 में घोषित)

2. मानस राष्ट्रीय उद्यान- 500 वर्ग किलोमीटर (1990 में घोषित)

3. नामेरी राष्ट्रीय उद्यान- 200 वर्ग किलोमीटर (1998 में घोषित)

4. डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान, 350 वर्ग किलोमीटर (1999 में घोषित)

5. ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व 79.28 वर्ग किलोमीटर (1999 में घोषित)

6. देहिंग पटकाई राष्ट्रीय उद्यान 231.65 वर्ग किलोमीटर, (2020 में घोषित)

7. रायमोना राष्ट्रीय उद्यान, 422 वर्ग किलोमीटर (2021 में घोषित)

8. सिखाना झवालाओ राष्ट्रीय उद्यान, 316.29 वर्ग किमी, (2025 में घोषित)

यह भी पढ़ें- पांडवकुंड में नहाने पहुंचे चार छात्रों की पानी में डूबने से मौत, एक मृतक की पत्नी गर्भवती

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.