भोपाल: मध्यप्रदेश की लाड़ली बहना योजना के तहत लाड़ली बहनों को मिलने वाली राशि न बढ़ाए जाने और लाड़ली बहनों के नाम काटे जाने को लेकर कांग्रेस लगातार सवाल उठाती रही है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि इस योजना में महिलाओं के नामों को हटाया जा रहा है. लाड़ली बहनों के नामों को समग्र पोर्टल से डिलीट किया जा रहा है. इसका खुलासा तब हुआ जब नाम डिलीट होने के बाद हर माह उनके खातों में जाने वाली राशि नहीं पहुंची. इसको लेकर आगर मालवा कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह ने मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवपलमेंट कॉर्पोरेशन को पत्र लिखा है.
राशि न पहुंचने के बाद हुआ खुलासा
लाड़ली बहना योजना की राशि हितग्राहियों के खातों में न पहुंचने की शिकायतें लगातार कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंच रही है. अलग-अलग जिलों में इस तरह की शिकायत के बाद आगर मालवा कलेक्टर ने इसको लेकर पत्र लिखकर बताया गया कि मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना पोर्टल के तहत हितग्राहियों के नाम समग्र से डिलीट होने और आधार के समग्र से डीलिंक होने के वजह से इस योजना के हितग्राहियों के खातों में हर माह पहुंचने वाली राशि नहीं पहुंच पा रही है. आगर मालवा में 58 महिलाओं के नाम समग्र पोर्टल से डिलीट हुए हैं. इसी तरह 142 महिलाओं के आधार कार्ड समग्र आईडी से डीलिंक हो गए हैं. इसी तरह बैतूल कलेक्टर ने भी मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवपलमेंट कॉर्पोरेशन को पत्र लिखा है.
सरकार बोली मामले की जांच कराएंगे, जोड़े जाएंगे नाम
उधर, लाडली बहना योजना में हितग्राहियों के नाम समग्र पोर्टल से हटाए जाने का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच कराने और इसमें सुधार करने के निर्देश दिए हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा, ''कुछ जिलों से इस तरह की शिकायतें आई थीं, जिन्हें ठीक कर लिया गया है और भी जहां इस तरह की गड़बड़ी हुई हैं उसे भी सुधार लिया जाएगा.''
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प्रदेश में कम हुई 3 लाख 56 हजार महिलाएं
मध्यप्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव के पहले 4 मार्च को लाड़ली बहना योजना को लांच किया था. हालांकि योजना लागू होने के बाद से कांग्रेस द्वारा लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं. कांग्रेस द्वारा विधानसभा में लगाए गए सत्र में सरकार ने बताया था कि प्रदेश में योजना लागू होने के बाद से अब तक 3 लाख 56 हजार महिलाएं कम हुई हैं. हालांकि इसकी वजह अधिकतक उम्र के क्राइटेरिया को पार करना, खुद ही योजना से बाहर होना बताया गया था.