भोपाल: गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की जिन 30 विभूतियों को पद्मश्री से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है उनमें से मध्य प्रदेश के लेखन, गायन और उद्यम से जुड़ी तीन शख्सियत शामिल हैं. मध्य प्रदेश से जिन विभूतियों को इस सम्मान से नवाजा जाएगा उनमें निमाड़ी भाषा के उपसन्यासकार जगदीश जोशिला हैं. इनके अलावा निर्गुण भक्ति के लोक गायक भैरू सिंह चौहान और महिला उद्यमी सैली होल्कर हैं. अमरीका में जन्मी सैली ने रानी अहिल्या बाई होल्कर की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 300 साल पुरानी महेश्वरी हैंडलूम इंडस्ट्री को देश दुनिया तक पहुंचाया.
सैली होल्कर ने बचाई 300 साल पुरानी महेश्वरी कला
वरिष्ठ सामाजिक उद्यमी खरगोन की रहने वाली सैली होल्कर ने 300 साल पुरानी महेश्वरी कला को पुर्नजीवित किया है. इतिहासकार जफर अंसारीबातते हैं, "महाराज यशवंत राव होल्कर सेकेंड के बेटे रिचर्ड होल्कर की पत्नि हैं सैली होल्कर. इनकी 1966 में शादी हुई थी, उसके बाद ये महेश्वर में ठहर गईं. देवी अहिल्या बाई होल्कर के निधन के बाद महेश्वर साड़ी को सैली ने देश दुनिया तक पहुंचाया. अमरीका में जन्मी सैली ने एक समय मृतप्राय हुए महेश्वरी क्राफ्ट को मार्डन डिजाइन से जोड़कर दुनिया भर में पहचान दिलाई है."
पेश की महिला शक्तिकरण की मिसाल
जफर अंसारी ने बताया कि "सैली ने महेश्वर में हैंडलूम स्कूल की स्थापना की, जिसमें पारंपरिक महेश्वरी हैंडलूम की बुनाई की ट्रेनिंग दी जाती है. महिला शक्तिकरण की मिसाल पेश करते हुए. सैली ने 250 महिला बुनकरों के साथ मिलकर 110 से ज्यादा लूम और 45 से ज्यादा हथकरघे खड़े किए. उनकी संस्था आठवीं तक का स्कूल भी चलाती है. इस कला में पारंगत करने के साथ 240 से ज्यादा लड़कियों को अहिल्याबाई ज्योति स्कूल में शिक्षा मिलती है. वही रोजगार का जरिया भी."
निर्गुण भक्ति के भेरू, कबीर के पद जन जन तक
निर्गुण भक्ति के लिए ऐसी लगन की 9 वर्ष की छोटी उम्र से भेरू सिंह चौहान ने पारंपरिक लोक गायन शुरू कर दिया था. भजन मंडलियों से जुड़े रहे भेरू मालवा इलाके की इन भक्त मंडलियों के साथ गांव गांव में लोकगायन करते थे. इनमें संत कबीर गोरखनाथ, संत दादू, संत मीराबाई पलटूदास, अन्य संतों की वाणियां ये सुनाते हैं. खास बात ये है भैरू इन पदों को मालवी में रुपांतरण के साथ प्रस्तुत करते हैं.