नई दिल्ली: पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि देशभर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए डोमेस्टिक टूरिज्म सेंटर में डेस्टिनेंशन को डेवलप करने की कई घोषणाओं के बावजूद इस संबंध में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. डोमेस्टिक सेंटर में डेस्टिनेशंस के डेवलपमेंट पर बात करते हुए पर्यटन विशेषज्ञ गरीश ओबेरॉय ने ईटीवी भारत से कहा, "सरकार ने पिछले वर्षों में घरेलू पर्यटन केंद्रों को विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है."
उन्होंने कहा कि सरकार इस साल भी 50 डेस्टिनेशन प्लेस को विकसित करने की योजना की घोषणा की है, लेकिन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ाने के लिए प्रचार गतिविधि के लिए कोई पहल नहीं की गई है. इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए एक अन्य पर्यटन एक्सपर्ट राजीव मेहरा ने ईटीवी भारत से कहा, "सरकार ने इस साल 50 डेस्टिनेशंस को विकसित करने की घोषणा की है, लेकिन वर्ष 2023 की घोषणा पर अभी तक कुछ नहीं किया गया है. हमें नहीं पता कि पहले की घोषणाओं का क्या होगा. विदेशों में प्रचार गतिविधियों में कमी आई है, जिसका असर पर्यटन गतिविधियों पर पड़ रहा है."
राज्यों को दिशा-निर्देश जारी
पर्यटन मंत्रालय ने परियोजना का प्रस्ताव पेश करने के लिए सभी राज्यों को परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. राज्य सरकारों से परियोजना प्रस्ताव प्राप्त होने पर साइट से कनेक्टिविटी, टूरिज्म इको सिस्टम, वहन क्षमता, स्थिरता उपाय, टिकाऊ संचालन और प्रबंधन, परियोजना प्रभाव, निर्मित मूल्य और टूरिज्म मार्केट प्लान जैसे दिए गए मापदंडों पर उनका मूल्यांकन किया गया.
इस बीच केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को लोकसभा को सूचित किया कि SASCI स्कीम के तहत स्वीकृत परियोजनाओं का इम्पलिमेंटेशन राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है. पर्यटन मंत्रालय ने स्वीकृत परियोजनाओं के निर्बाध कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने के लिए तंत्र तैयार किया है.
2024-25 में 40 परियोजनाओं को मंजूरी
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने अपने 'पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता (SASCI) - वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का विकास' के तहत वर्ष 2024-25 में 23 राज्यों में 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य देश भर में प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का व्यापक विकास करना, उन्हें वैश्विक स्तर पर ब्रांडिंग और मार्केटिंग करना है.
बजट में कटौती
पर्यटन विशेषज्ञ सुभाष गोयल ने ईटीवी भारत को बताया, "हमें नहीं पता कि इन पिछले पर्यटन स्थलों को विकसित किया गया है या नहीं. पर्यटन मंत्रालय ने पहले ही प्रचार और मार्केटिंग बजट में कटौती कर दी है. अब इसका बजट केवल 3 करोड़ रुपये है, जो विदेशों में प्रचार गतिविधि के लिए पर्याप्त नहीं होगा."
उन्होंने कहा कि अब हम वास्तव में बूथ किराए पर नहीं ले पाएंगे और प्रदर्शनियों में भाग नहीं ले सकेंगे. विदेशी पर्यटकों की संख्या अभी भी कोविड से पहले के आंकड़े को छूना बाकी है, जिसका सीधा असर रोजगार सृजन के अवसरों और विदेशी मुद्रा पर पड़ता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "पर्यटन मंत्रालय वेबसाइट, सोशल मीडिया प्रचार, कार्यक्रमों में भागीदारी और मेलों और त्योहारों के आयोजन के लिए राज्य सरकारों को सहायता जैसी विभिन्न प्रचार पहलों के माध्यम से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कम ज्ञात स्थलों सहित देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा मिलता है."