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हजारीबाग पदमा पुलिस प्रशिक्षण केंद्र परिसर टेंट सिटी में तब्दील, उत्पाद सिपाही बहाली अभ्यर्थियों से रुपये की वसूली! जानिए क्या है माजरा - Padma Police Training Center

Excise constable recruitment. हजारीबाग का पदमा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर इन दिनों बदला-बदला सा नजर आ रहा है. हर तरफ टेंट और पंडाल नजर आ रहा है. मानो जैसे कोई बड़ा आयोजन पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में हो रहा है.

Padma Police Training Center
हजारीबाग पदमा पुलिस प्रशिक्षण केंद्र परिसर टेंट में बैठे लोग. (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 2, 2024, 8:06 PM IST

हजारीबाग: जिले का पदमा पुलिस प्रशिक्षण केंद्र परिसर इन दिनों टेंट सिटी में तब्दील हो गया है. उत्पाद सिपाही भर्ती दौड़ परीक्षा को लेकर परिसर में सड़क की दोनों ओर पंडाल और टेंट लगाए गए हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह पंडाल स्थानीय लोगों ने लगाया है. जो अभ्यर्थी और परिजन दूर-दराज से आ रहे हैं वो पंडाल में रात काटते हैं और दौड़ के बाद यहां आराम करते हैं. इसके एवज में अभ्यर्थियों और उनके परिजनों से प्रति व्यक्ति 200 रुपए वसूले जा रहे हैं. वहीं टेंट में रहने के लिए भी मारामारी हो रही है.

हजारीबाग पदमा पुलिस प्रशिक्षण केंद्र से ईटीवी भारत संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट और जानकारी देते लोग. (वीडियो-ईटीवी भारत)

सरकार की ओर से नहीं की गई है निःशुल्क व्यवस्था

हालांकि बाहर से आने वाले अभ्यर्थियों और परिजनों का कहना है कि यह व्यवस्था जिला प्रशासन या सरकार को निःशुल्क कराने की जरूरत थी. लेकिन जब सरकार ने व्यवस्था नहीं की तो स्थानीय लोगों ने टेंट लगाकर अपना रोजगार शुरू कर दिया है.

ट्रेनिंग सेंटर में टेंट लगाने के लिए नहीं ली गई इजाजत

इस संबंध में टेंट लगाने वाले पप्पू बाड़ी कहते हैं कि पदमा ट्रेनिंग सेंटर के सभी अधिकारी जानते हैं. उन्होंने टेंट लगाने के लिए किसी से इजाजत नहीं ली है, क्योंकि यह सरकारी जमीन है. इस कारण अस्थाई रूप से अभ्यर्थियों के रहने के लिए यहां इंतजाम किए गए हैं. जिसमें टेंट के अंदर पंखा, मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट और लाइट की व्यवस्था है. लेकिन शौचालय और बाथरूम की व्यवस्था नहीं है. अभ्यर्थियों को खुले में शौच जाना पड़ता है.

प्रति बेड 200 रुपये की हो रही वसूली

वहीं दूर-दराज से पहुंची महिलाएं भी कहती हैं कि आसपास कोई होटल या धर्मशाला नहीं है. जिला प्रशासन या सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है. टेंट में रात काटने को विवश हैं. उन्होंने कहा कि 200 रुपये में यदि सोने के लिए एक चौकी मिल जा रहा है तो इसमें बुराई भी नहीं है. दूसरी बात यह है कि हम सभी की मजबूरी भी है. अभिभावक और अभ्यर्थी इस बात से संतुष्ट हैं कि उन्हें 200 रुपये में रात काटने के लिए जगह मिल रही है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि यह इंतजाम जिला प्रशासन या फिर सरकार को करना चाहिए था.

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