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झारखंड में धान खरीद लक्ष्य से कोसों दूर, जानें क्या है वजह - PADDY PROCUREMENT

राज्य में धान की खरीद पर सियासत तेज है. तय लक्ष्य के विरुद्ध धान खरीद में झारखंड सरकार पिछड़ती नजर आ रही है.

Paddy Procurement In Jharkhand
झारखंड में धान अधिप्राप्ति की स्थिति. (कॉन्सेप्ट इमेज-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 14, 2025, 7:17 PM IST

रांचीः झारखंड में एक बार फिर लक्ष्य के अनुरूप धान खरीद करने में राज्य सरकार विफल साबित हो रही है. हालत यह है कि 15 दिसंबर से राज्य में शुरू हुई धान की खरीद तय लक्ष्य 60 लाख क्विंटल के विरुद्ध अब तक 20 लाख क्विंटल खरीद का आंकड़ा पार नहीं कर पाया है. इस तरह से तय लक्ष्य की तुलना में दो महीने में महज 34 प्रतिशत के करीब धान की अधिप्राप्ति हुई है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार 14 फरवरी तक राज्यभर में 33040 किसानों ने 1944749.97 क्विंटल धान की बिक्री की है. सरकार ने इस बार धान खरीद के लिए 737 एमएसपी केंद्र बनाया है, जहां पर 2400 रुपये प्रति क्विंटल की सरकारी दर से किसान धान बेच सकते हैं.

झारखंड में धान खरीद की स्थिति पर भाजपा और झामुमो नेता का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

झारखंड में धान खरीद का वर्षवार लक्ष्य और सफलता

वर्ष लक्ष्य (क्विंटल में) प्राप्ति (क्विंटल में)
2018-19 40,00,000 22,74,044.65
2019-20 30,00,000 38,03,007.67
2020-21 60,85,000 62,88,529.11
2021-22 80,00,000 21,33,65.46
2022-23 36,30,000 17,16,078.8820
2023-24 60,00,000 17,02,146.43
2024-25 60,00,000

धान खरीद की धीमी रफ्तार के कई कारण

किसानों से धान खरीद के मामले में हाल के वर्षों में सरकार लगातार लक्ष्य से दूर रही है.आंकड़ों पर नजर डालें तो खरीफ वर्ष 2020-21 के बाद लगातार सरकार लक्ष्य के अनुरूप धान नहीं खरीद कर पाई है. हालांकि बीते कुछ वर्षों में सुखाड़ की वजह से धान की पैदावार कम हुई थी, लेकिन इस साल पैदावार अच्छा होने की वजह से उम्मीद की जा रही थी कि धान खरीद लक्ष्य से ज्यादा हो सकेगा. लेकिन यह संभव होता फिलहाल नहीं दिख रहा है.

किसानों द्वारा सरकार को धान नहीं बेचे जाने के कई कारण हैं. सरकार की जटिल प्रक्रिया की वजह से किसानों को पैसे मिलने में बेवजह देरी होती है. जिसके कारण किसान बिचौलियों से प्रभावित हो जाते हैं और खेत में फसल तैयार होते ही उनके हाथों बेच देते हैं. आमतौर पर नवंबर के अंत तक झारखंड के कई जिलों में धान की फसल तैयार होती है. सरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति हर वर्ष 15 दिसंबर से शुरू की जाती है. ऐसे में कर्ज लेकर खेती करने वाले किसान बिचौलियों से हाथों हाथ फसल तैयार होते ही धान बेचना पसंद करते हैं.

विभाग द्वारा जारी धान खरीद के आंकड़े. (फोटो-ईटीवी भारत)

धान खरीद पर सियासत

किसानों को लेकर हमेशा सियासत होती रही है. इस बार भी लक्ष्य के अनुरूप धान की खरीद नहीं होने पर प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर हमला बोला है. भाजपा नेता अशोक बड़ाईक कहते हैं कि हेमंत सरकार किसानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाती है. किसानों से 3200 रुपये धान के एमएसपी देने का वादा कर चुनाव में लाभ तो ले लिया, मगर जब देने के वक्त आया तो उसे लागू नहीं किया गया. ऐसे में मजबूर होकर किसान बिचौलिए की शरण में जा रहे हैं.

बिचौलियों पर लगाया जाएगा अंकुशः सुप्रियो

इधर, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा भी लक्ष्य के अनुरूप धान के क्रय नहीं होने के पीछे बिचौलिया के सक्रिय होने की बात स्वीकार कर रहा है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि सरकार इस पर अंकुश लगाने के लिए तैयारी में जुटी है और निकट भविष्य में इसका परिणाम देखने को मिलेगा. बहरहाल राजनीतिक बयानबाजी और प्रशासनिक तैयारी के बीच राज्य में धान खरीद की प्रक्रिया जारी है, जो फरवरी महीने तक होने हैं. ऐसे में सवाल यह है कि पैदावार अच्छी होने के बावजूद भी आखिर किसान सरकार के सिस्टम के प्रति भरोसा क्यों नहीं जता रहे हैं.

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