जयपुर: मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने एक बार फिर हमला बोला है. इस बार मुद्दा कोयले को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा दिए बयानों को लेकर है. दोनों नेताओं का कहना है कि राजस्थान के पावर प्लांट को सप्लाई होने वाले कोयले के खनन की स्वीकृति को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बयानों में विरोधाभास है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री के दावों पर पलटवार किया है.
गोविंद डोटासरा ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दावा किया कि प्रदेश के पावर प्लांट को कोयला सप्लाई के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 19.21 हेक्टेयर वन भूमि पर कोयला खनन करने की अनुमति राजस्थान सरकार को दे दी है. जिससे बिजली की समस्या का समाधान हो जाएगा. उसके तत्काल बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने सीएम भजनलाल शर्मा के दावे का खंडन कर दिया. इससे बड़ी हास्यास्पद, शर्मनाक और प्रदेश के अहित की कोई बात नहीं हो सकती.
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विधानसभा में स्थिति साफ करें मुख्यमंत्री:डोटासरा बोले, हम बार-बार कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री अपने स्वविवेक से और अध्ययन करके कोई बयान नहीं दे रहे हैं. कोई भी व्यक्ति कुछ भी कह देता है और वो उस पर बयान दे देते हैं. आज राजस्थान में किसान को दो घंटे भी बिजली नहीं मिल रही. घरेलू उपभोक्ताओं को चार घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है. किसानों के ट्रांसफार्मर जले हुए पड़े हैं. जिन्हें बदलने के लिए ट्रांसफार्मर नहीं हैं. इनके पास लोगों को बिजली देने की कोई व्यवस्था नहीं है. अनर्गल बयानबाजी करके ये पूरे प्रदेश की जग हंसाई करवा रहे हैं. मुख्यमंत्री को राजस्थान की विधानसभा में आकर बिजली के बारे में और छत्तीसगढ़ से कोयला खनन की अनुमति के बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
ये जनता को बिजली देना चाहते हैं या नहीं:नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा, राजस्थान में बिजली के आज जो हालात हैं. वो दुखद है. किसान को, उद्योगों को, आम जनता को बिजली नहीं मिल रही है. रात को 2 बजे तक अघोषित कटौती चल रही है. कोई अधिकारी कॉल रिसीव नहीं करते. सरकार न तो बिजली खरीद पा रही है और न ही कोई दूसरी व्यवस्था कर पा रही है. आज हमारे मुख्यमंत्री कुछ बात कह रहे हैं और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कुछ और बात कह रहे हैं. इन हालात में सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि वो जनता को बिजली देना चाहते हैं कि नहीं देना चाहते हैं.