जैसलमेर: बुराई पर अच्छाई के प्रतीक पर्व दशहरा के दिन जैसलमेर से लगती भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात बीएसएफ के तोपखाना 1022 और 56वीं वाहिनी के अधिकारियों और जवानों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की.
सीमा सुरक्षा बल की तोपखाना यूनिट, जवानों और अधिकारियों ने मंत्रोच्चार के साथ शस्त्रों, तोप की पूजा-अर्चना की. शस्त्रों पर तिलक किया गया और नारियल फोड़ा गया. इस दौरान माहौल भारत माता की जय की गगनभेदी जयकार से गूंजायमान हो उठा. इसके अलावा हथियारों और तोपों की आरती भी की गई. वैसे तो हर वर्ष नवरात्र के अंतिम दिन बल शस्त्रों की पूजा करता है, लेकिन इस बार सीमा पर पड़ोसी पाकिस्तान के साथ लगातार व्याप्त तनावपूर्ण माहौल में यह कार्यक्रम विशेष था.
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पुरानी है शस्त्र पूजन की परंपरा:1022 बीएसएफ तोफखाना रेजिमेंट कमांडेंट जेके सिंह ने बताया कि विजयदशमी के दिन शस्त्र-पूजन की परंपरा रामायण-महाभारत काल से चली आ रही रही है. BSF आज भी इस परंपरा को निभाती है और विजयादशमी के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करती है. शस्त्रों को गंगाजल से स्नान कराने के बाद जया और विजया की पूजा होती है. हल्दी और कुमकुम का तिलक लगा पुष्प चढ़ाए जाते हैं. अधिकारियों ने बताया कि इस पूजा का उद्देश्य सीमा की सुरक्षा में मां का आशीर्वाद प्राप्त करना है. गौरतलब है कि मान्यताओं के अनुसार रामायण काल से ही शस्त्र पूजा की परंपरा चली आ रही है. भगवान राम ने भी रावण से युद्ध करने से पहले शस्त्र पूजा की थी.