भोपाल। सीएम डॉ मोहन यादव की सरकार के लिए आम चुनाव से पहले प्रदेश के करीब 12 लाख कर्मचारी संकट बनेंगे. महंगाई भत्ता और महंगाई राहत ना मिल पाने की वजह से प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारी और साढ़े चार लाख के लगभग रिटायर्ड कर्मचारी फरवरी से आंदोलन की तैयारी कर चुके हैं. इन कर्मचारियों का आरोप है कि बढ़ती महंगाई के साथ समय पर महंगाई भत्ता नहीं मिलने की वजह से अब तक कर्मचारियों को 700 करोड़ का नुकसान हो चुका है. एमपी के तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने पहले धरना फिर आंदोलन की चेतावनी दी है.
एमपी में ही कर्मचारियों का महंगाई भत्ता अटका
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि राज्य सरकार सभी वर्गों की कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ा रही है,लेकिन कर्मचारियों की तरफ सरकार का ध्यान नहीं है. केन्द्र की ओर से जुलाई 2023 से ही 4% महंगाई भत्ता व महंगाई राहत दे दी गई है. लेकिन राज्य सरकार केंद्र के समान और केंद्रीय दर पर महंगाई भत्ते का वादा करने के बाद भी वादे से मुकर गई. उनका आरोप है कि राज्य में कर्मचारियों को 1 जुलाई 2023 से बकाया महंगाई भत्ता/महंगाई राहत नहीं दी जा रही है. आगामी कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी फिर आचार संहिता के नाम पर सरकार लटका देगी. पहले भी सरकार द्वारा कर्मचारियों को उनका एरियर ना देकर 9200 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा दिया है.