चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की मांग करने वाली एक महिला की तरफ से दायर याचिका पर जवाब देने का आदेश दिया है. महिला का जन्म भारत में हुआ था, जबकि उसके माता-पिता युद्ध काल के दौरान श्रीलंका से यहां आए थे.
कोयंबटूर की रम्या द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि 'जब 1984 में श्रीलंका में युद्ध छिड़ा था, तो उसके माता-पिता बिना वीजा प्राप्त किए वहां से भारत आ गए और चेन्नई में शास्त्री भवन से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद 2019 तक चेन्नई में रहे. उसके बाद वे कोयंबटूर चले गए.'
उन्होंने कहा कि 'कोरोना काल के दौरान जब उन्होंने विदेश के क्षेत्रीय कार्यालय में ऑनलाइन माध्यम से नागरिकता की अनुमति प्राप्त करने का प्रयास किया, तो उन्हें बताया गया कि विदेशियों को बिना वीजा के रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती. साथ ही, इस कार्यालय ने उन्हें अपना मतदाता पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज सौंपने का आदेश दिया.
याचिका में महिला ने जिक्र किया कि इसके बाद, उन्हें उचित तरीके से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की सलाह भी दी गई. रम्या की याचिका में आगे कहा गया है कि, उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान करने का आदेश दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनका जन्म भारत में हुआ और उन्होंने यहां जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त किया. उन्होंने याचिका में कहा कि, कोयंबटूर में रहकर उन्होंने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और बाद में उनकी यही पर शादी हुई.
आज मद्रास हाई कोर्ट के जज भरत चक्रवर्ती के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता इलामुगिल पेश हुए. अपनी दलील के दौरान उन्होंने कहा कि, याचिकाकर्ता के माता-पिता पहाड़ी तमिल थे, जो युद्ध काल के दौरान श्रीलंका चले गए थे और भारत लौट आए थे. याचिकाकर्ता रम्या का जन्म 1987 में उनके यहां हुआ था. वे अब तक कोयंबटूर में रह रहे हैं.
केंद्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता राबू मनोहर ने जज से इस संबंध में जवाब देने के लिए समय देने का अनुरोध किया. इसे स्वीकार करते हुए जज ने केंद्र सरकार के गृह और विदेश मंत्रालय को इस संबंध में जवाब देने का आदेश दिया और मामले की सुनवाई 17 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी.
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