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एमपी टूरिज्म इस टापू को बनाने जा रहा पर्यटन हब, इसकी खूबसूरती पर्यटकों का मोह लेगी मन - RATLAM ELEPHANTA ISLAND DEVELOPMENT

रतलाम का एलिफेंटा टापू पर्यटन केंद्र के रूप में उभरने वाला है. वाटर स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर शुरू करने के लिए कई कंपनियों ने दिखाई रुचि.

RATLAM ELEPHANTA ISLAND DEVELOPMENT
एलीफेंटा टापू नाम क्यों और कैसे पड़ा? (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 19, 2025, 7:31 PM IST

रतलाम: मुंबई की प्रसिद्ध एलीफेंटा गुफाओं की तरह रतलाम में स्थित एलीफेंटा टापू पर्यटन केंद्र के रूप में उभरने जा रहा है. रतलाम के धोलावाड़ बांध के बैकवाटर में स्थित यह टापू कुछ साल पहले तक निर्जन स्थान था, लेकिन 2016-17 में तत्कालीन कलेक्टर बी चंद्रशेखर ने इस टापू को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई और इस टापू का परिचय टूरिज्म की दुनिया से करवाया. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वाटर स्पोर्ट्स व साहसिक गतिविधि करवाने वाली कंपनियों से टेंडर मांगे गए हैं.

एमपी टूरिज्म विभाग बनाने जा रहा पर्यटन केंद्र

रतलाम के धोलावाड़ गांव में स्थित एलीफेंटा टापू पहले टापू नहीं बल्कि एक पहाड़ी हुआ करता था, लेकिन 40 साल पहले सिंचाई और रतलाम शहर को पानी देने के लिए बनाए गए धोलावाड़ डैम की वजह से पहाड़ी टापू में तब्दील हो गई. बांध के बीच बनी इस सुंदर संरचना पर रतलाम कलेक्टर बी चंद्रशेखर की 2016-17 में नजर पड़ी.

रतलाम स्थित एलिफेंटा टापू (ETV Bharat)

जिसके बाद यहां पर वाटर स्पोर्ट्स, कैंपिंग, ट्रैकिंग जैसे एडवेंचर गेम की शुरुआत की गई. हालांकि पर्यटन विभाग की मदद के बिना स्थानीय प्रशासन द्वारा शुरू की गई गतिविधियां धीरे-धीरे बंद हो गई. अब एक बार फिर जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग के साथ मिलकर यहां टूरिज्म की गतिविधियां शुरू करने जा रहा है.

एलीफेंटा टापू नाम क्यों और कैसे पड़ा?

इस टापू का नाम एलिफेंटा क्यों पड़ा? इसके पीछे अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है. बासीद्रा गांव के हरिओम सिंह बताते है कि "यहां पहले रतलाम और सैलाना महाराजा की सेनाओं का ठिकाना हुआ करता था. जहां से वह रतलाम राज्य की निगरानी किया करते थे. सेना में मौजूद हाथियों की मृत्यु होने पर उन्हें यहीं दफनाया गया था. जिस वजह से इस पहाड़ी का नाम एलिफेंटा पहाड़ी या एलिफेंटा टापू पड़ गया."

वहीं, यहां लगातार कैंपिंग और ट्रैकिंग करने वाले मोहम्मद असलम ने बताया कि "दूर से देखने पर यह टापू हाथी की आकृति जैसा दिखाई देता है. यहां लंबे समय से अधिकारी आते रहते थे. उन्होंने इसे एलीफेंटा टापू नाम दे दिया."

वाटर स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर के लिए कंपनियों दिखाई रुचि

रतलाम जिले में पर्यटन की गतिविधियों का प्रबंध कार्य देखने वाले पीओ डूडा अरुण पाठक के अनुसार "धोलावाड़ चतरा में पर्यटन की बहुत संभावना है. धोलावाड़ डैम और एलीफेंटा टापू पर पर्यटन गतिविधियों को संचालित करने के लिए टेंडर मंगाए गए हैं. जिसमें कई वाटर स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर कंपनियों ने रुचि भी दिखाई है. कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद यहां वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर गतिविधियों की शुरुआत की जा सकेगी." बहरहाल एमपी के हनुवंतिया टापू के बाद एलीफेंटा टापू भी पर्यटकों की अगुवाई के लिए तैयार होने जा रहा है.

रतलाम: मुंबई की प्रसिद्ध एलीफेंटा गुफाओं की तरह रतलाम में स्थित एलीफेंटा टापू पर्यटन केंद्र के रूप में उभरने जा रहा है. रतलाम के धोलावाड़ बांध के बैकवाटर में स्थित यह टापू कुछ साल पहले तक निर्जन स्थान था, लेकिन 2016-17 में तत्कालीन कलेक्टर बी चंद्रशेखर ने इस टापू को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई और इस टापू का परिचय टूरिज्म की दुनिया से करवाया. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वाटर स्पोर्ट्स व साहसिक गतिविधि करवाने वाली कंपनियों से टेंडर मांगे गए हैं.

एमपी टूरिज्म विभाग बनाने जा रहा पर्यटन केंद्र

रतलाम के धोलावाड़ गांव में स्थित एलीफेंटा टापू पहले टापू नहीं बल्कि एक पहाड़ी हुआ करता था, लेकिन 40 साल पहले सिंचाई और रतलाम शहर को पानी देने के लिए बनाए गए धोलावाड़ डैम की वजह से पहाड़ी टापू में तब्दील हो गई. बांध के बीच बनी इस सुंदर संरचना पर रतलाम कलेक्टर बी चंद्रशेखर की 2016-17 में नजर पड़ी.

रतलाम स्थित एलिफेंटा टापू (ETV Bharat)

जिसके बाद यहां पर वाटर स्पोर्ट्स, कैंपिंग, ट्रैकिंग जैसे एडवेंचर गेम की शुरुआत की गई. हालांकि पर्यटन विभाग की मदद के बिना स्थानीय प्रशासन द्वारा शुरू की गई गतिविधियां धीरे-धीरे बंद हो गई. अब एक बार फिर जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग के साथ मिलकर यहां टूरिज्म की गतिविधियां शुरू करने जा रहा है.

एलीफेंटा टापू नाम क्यों और कैसे पड़ा?

इस टापू का नाम एलिफेंटा क्यों पड़ा? इसके पीछे अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है. बासीद्रा गांव के हरिओम सिंह बताते है कि "यहां पहले रतलाम और सैलाना महाराजा की सेनाओं का ठिकाना हुआ करता था. जहां से वह रतलाम राज्य की निगरानी किया करते थे. सेना में मौजूद हाथियों की मृत्यु होने पर उन्हें यहीं दफनाया गया था. जिस वजह से इस पहाड़ी का नाम एलिफेंटा पहाड़ी या एलिफेंटा टापू पड़ गया."

वहीं, यहां लगातार कैंपिंग और ट्रैकिंग करने वाले मोहम्मद असलम ने बताया कि "दूर से देखने पर यह टापू हाथी की आकृति जैसा दिखाई देता है. यहां लंबे समय से अधिकारी आते रहते थे. उन्होंने इसे एलीफेंटा टापू नाम दे दिया."

वाटर स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर के लिए कंपनियों दिखाई रुचि

रतलाम जिले में पर्यटन की गतिविधियों का प्रबंध कार्य देखने वाले पीओ डूडा अरुण पाठक के अनुसार "धोलावाड़ चतरा में पर्यटन की बहुत संभावना है. धोलावाड़ डैम और एलीफेंटा टापू पर पर्यटन गतिविधियों को संचालित करने के लिए टेंडर मंगाए गए हैं. जिसमें कई वाटर स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर कंपनियों ने रुचि भी दिखाई है. कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद यहां वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर गतिविधियों की शुरुआत की जा सकेगी." बहरहाल एमपी के हनुवंतिया टापू के बाद एलीफेंटा टापू भी पर्यटकों की अगुवाई के लिए तैयार होने जा रहा है.

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