राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

अजमेर में सदियों से आ रहे प्रवासी पक्षियों ने भी मोड़ा मुंह! आधा दर्जन से ज्यादा प्रजातियों ने कहा अलविदा - SPECIES OF MIGRATORY BIRDS IN AJMER

पक्षी विशेषज्ञ डॉ. आबिद अली खान से जानते हैं अजमेर आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए क्यों बदल गया है आनासागर झील का माहौल.

अजमेर आने वाले प्रवासी पक्षी
अजमेर आने वाले प्रवासी पक्षी (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 8, 2025, 9:58 AM IST

अजमेर :सदियों से अजमेर पर्यटकों के लिए पसंदीदा रहा है. वहीं, प्रवासी पक्षियों का भी अजमेर से गहरा नाता रहा है. कभी 100 से ज्यादा प्रजाति के प्रवासी पक्षी अजमेर में सर्द मौसम में डेरा जमाया करते थे, लेकिन अब इन प्रवासी पक्षियों की यहां आने वाली प्रजातियां कम हो गई हैं. अब अजमेर के 12 झील और तालाब में 68 के लगभग प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां आ रही हैं.

पक्षी विशेषज्ञ डॉ. आबिद अली खान से खास बातचीत (ETV Bharat AJmer)

दरअसल, आनासागर झील में मछलियों और अन्य कीड़ों की कमी नहीं है. ऐसे में कई प्रजाति के पक्षी दिन में पेट पूजा के लिए आनासागर झील आते हैं और रात होने से पहले वापस अन्य झील और तालाबों में पहुंच जाते हैं. इस बार पेलिकन की संख्या काफी है, लेकिन आधा दर्जन के लगभग प्रजातियों ने झील से हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है. इस बार के पक्षियों की गणना की आंकड़े सामने आए हैं, जिसे देख कर यही कहा जा सकता है कि आनासागर झील इन खूबसूरत पक्षियों के लिए अब सुरक्षित और अनुकूल वातावरण देने वाली नहीं रही है. इस कारण यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या काफी कम हुई है.

देखें आंकड़ें (ETV Bharat GFX)

पढे़ं.घना में बढ़ी प्रवासी पक्षियों की संख्या, मिड विंटर सेंसस के उत्साहजनक नतीजे

वेटलैंड की काफी कमी :पक्षी विशेषज्ञ डॉ. आबिद अली खान बताते हैं कि आनासागर झील में कम गहरे पानी यानी वेटलैंड की काफी कमी हो गई है. इस कारण से तैरने वाले प्रवासी पक्षी इस बार ज्यादा आए हैं, जबकि लंबे पैर वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या बहुत कम है या न के बराबर है. डॉ. खान बताते हैं कि झील का दायरा भी 40 फीसदी कम हो गया है, जिस कारण झील से वेटलैंड काफी कम हो गया है. चौपाटी और पाथवे बनने के कारण झीलों की गहराई बढ़ गई है और वेटलैंड खत्म हो गया है. लंबे पैर वाले पक्षियों के लिए वेटलैंड होना आवश्यक है. लंबे पैर वाले पक्षी तैरते नहीं हैं वह अपने पैरों से कम पानी में विचरण करते हैं. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा विविधता लंबे पैर वाले पक्षियों में ही मिलती है.

देखें आंकड़े (ETV Bharat GFX)

पढ़ें.सांभर झील में ग्रेट व्हाइट पेलिकन का डेरा, दुर्लभ पक्षियों को देख पक्षी प्रेमी रोमांचित

आधा दर्जन से अधिक प्रजातियों ने झील को कर दिया अलविदा :बातचीत में उन्होंने बताया कि झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों में डालमेशन पेलिकन काफी संख्या में आए हैं. यहां दो तरह की डक हैं. इनमें नॉर्दन पेंटेल काफी कम हैं. पिछली बार 100 के पार इनकी संख्या देखी गई थी. इस बार मात्र 25 नॉर्दन पेंटेल पक्षी आए हैं. यह नॉर्थ अमेरिका से आती हैं. अजमेर में आनासागर झील सहित 11 झील और तालाब हैं, जिनमें पक्षी गणना की गई. इनमें 68 प्रजातियों के 3 हजार 843 प्रवासी पक्षी आए हैं.

संख्या घटने के ये हो सकते हैं कारण (ETV Bharat GFX)

यह गणना केवल जलीय पक्षियों की ही की गई है. पाई डेवोसेट्स नहीं आई, कॉमन टिल न के बराबर है. मलाड डक पहले काफी आती थी वह भी इस बार नहीं है. यह वो डक है जो इंसानी दखल को बर्दाश्त नहीं करती है. झील के चारों ओर लोगों की आवाजाही के कारण यह खूबसूरत प्रजातियां आनासागर झील को छोड़ चुकी हैं. इनके अलावा गारमने, गार्ड वेल, ग्रीन विंग टेल, नॉब बिल्ड डक और हमन्स डक भी शामिल हैं.

आनासागर झील में वेटलैंड की काफी कमी हो गई है (ETV Bharat AJmer)

पढ़ें.आनासागर से मेहमान परिंदों ने शुरू किया जाना, जानें इंसानों की क्या हैं गलतियां

मछली पकड़ने वालों के कारण भी घटी संख्या :डॉ. आबिद बताते हैं कि झील के चारों ओर उन लोगों का आना जाना लगा रहता है. झील में नालों का पानी आता है. वहीं, झील के चारों ओर चहल कदमी करने वाले लोग झील में गंदगी डालते हैं. इस कारण झील का पानी दूषित हो रहा है. यह डक आइसोलेशन में रहना पसंद करती हैं. शोर और प्रदूषण बर्दाश्त नहीं करती है.

तालाब में 68 के लगभग प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां आ रही हैं (ETV Bharat AJmer)

वहीं, झील में वोटिंग बड़े लेवल पर है. यहां क्रूज का साउंड और वाइब्रेशन भी काफी है. इसके अलावा मछली पकड़ने वालों का झील में दखल भी काफी है. इस बार झील में मछलियां नहीं पकड़ी जा रही हैं, इसलिए इस बार पेलिकन की संख्या काफी देखी जा रही जो विगत 5 वर्षों में अधिक है. यदि कुल पक्षियों की बात करें तो पक्षियों की संख्या काफी कम हुई है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details