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'रेल' एक सपना : मेवात में कब बिछेगा पटरियों का जाल ? इंजन की सिटी सुनने के लिए तरस रहा नूंह - NO RAIL NETWORK IN NUH

आजादी के 8 दशक बाद भी नूंह रेल नेटवर्क से नहीं जुड़ पाया. जिससे यह जिला पिछड़ों जिलों की सूची में है.

NO RAIL NETWORK IN NUH
नूंह में रेल नेटवर्क नहीं (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 20, 2024, 10:14 PM IST

Updated : Nov 21, 2024, 2:41 PM IST

नूंह: देश अब 5 ट्रिलियन इकॉनोमी की तरफ तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर हरियाणा राज्य के विकसित जिले गुरुग्राम से सटा नूंह जिला आज भी रेल नेटवर्क को तरस रहा है. जिले की सीमाओं के चारों तरफ अलवर, पलवल, गुरुग्राम और रेवाड़ी में रेल सेवाएं संचालित हैं. यहां तक की गुरुग्राम में तो मेट्रो रेल, रैपिड मेट्रो तक दौड़ रही है, लेकिन हरियाणा के इस सबसे पिछड़े जिले के 80-90 फीसदी लोगों ने अभी तक हकीकत में रेल देखी ही नहीं है. आजादी के तकरीबन 8 दशक बाद भी यहां के लोगों के लिए रेल एक सपना बनी हुई है.

मालगाड़ी के लिए पटरी आई, लेकिन रेल नहीं : रेल तो दूर यहां बसों की भी पर्याप्त सुविधा यात्रियों को नहीं मिल पा रही है. शाम ढलते ही बस सेवा पूरी तरह बंद हो जाती है. देश के दूर-दराज बड़े शहरों में जाने के लिए परिवहन के बेहतर संसाधन नहीं है. चुनाव के समय तो रेल की बात बड़ी मजबूती से राजनीतिक दल उठाते हैं, लेकिन बाद में इसे भूल जाते हैं. दशकों के लंबे इंतजार के बाद डेडीकेटेड रेलवे फ्रेट कॉरिडोर माल वाहक रेलगाड़ी की पटरी तो नूंह जिले के नूंह व तावडू खंड के कुछ गांव से निकल गई, लेकिन यात्री रेलगाड़ी का कोई नेटवर्क इस जिले में अभी तक नहीं हुआ है.

नूंह में रेल नेटवर्क नहीं (Etv Bharat)

रेल आने से ये होगा लाभ : हालांकि कई बार गुरुग्राम से अलवर के लिए रेल नेटवर्क का सर्वे हुआ, लेकिन मामला फाइलों तक ही अटक गया. केंद्रीय मंत्री और इस क्षेत्र के सांसद राव इंद्रजीत सिंह कभी रेलवे को घाटे में होने की बात कह कर मामले को टालमटोल कर जाते हैं तो कभी कोई अन्य कारण सामने आ जाता है. अगर यहां रेल नेटवर्क आता है तो हजारों बच्चे रोजाना गुरुग्राम, फरीदाबाद, दिल्ली जैसे विकसित शहरों में पढ़ाई कर आसानी से घर लौट सकते हैं. सब्जी-दूध इत्यादि का काम करने वाले लोग भी अच्छा खासा मुनाफा एनसीआर के शहरों में अपने सामान को बेचकर कमा सकते हैं. कुछ ही समय में ही दिल्ली-गुरुग्राम जैसे विकसित शहरों से लोग अपने घर आ जा सकते हैं. इस इलाके में रेलवे नेटवर्क आने के बाद जमीनों के भाव बढ़ने के साथ-साथ हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

रेल तो क्या, बसों का भी हाल बुरा : लंबे समय से इस इलाके को रेल नेटवर्क से जोड़ने की मांग उठती रही है. रेल यहां का मुख्य मुद्दा रहा है, लेकिन अभी तक रेल से यह जिला पूरी तरह से अछूता है. साथ ही, अगर बसों की भी बात करें तो गुरुग्राम-अलवर राष्ट्रीय राजमार्ग 248ए पर हरियाणा रोडवेज की बसों के बराबर ही अलवर जिले को जाने वाली राजस्थान रोडवेज की बसें फर्राटा भरती हैं. उन्हीं से यहां के लोग अधिकतर दिल्ली इत्यादि शहरों के लिए सफर करते हैं. नीति आयोग की सूची में भी यह जिला राज्य का एकमात्र पिछड़ा जिला है. कागजों में भले ही इस जिले ने पिछड़े जिलों की सूची में तरक्की की हो, लेकिन हकीकत अभी भी इससे कोसों दूर है.

क्या भाजपा ला पाएगी रेल ? : देश को और प्रदेश को विकसित करने के सभी राजनीतिक दल दावे करते रहे हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है. कुल मिलाकर यहां रेल कब आएगी, इसका जवाब किसी के पास भी नहीं है. अब देखना यह है कि प्रदेश में तीसरी बार हैट्रिक लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार इन पांच सालों में इस जिले में रेल नेटवर्क पहुंचा पाती है या फिर यहां के लोगों को अभी रेल की सिटी सुनने व रेल को देखने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.

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Last Updated : Nov 21, 2024, 2:41 PM IST

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