कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत 'भारतीय शिक्षा, संस्कार, मूल्य और आपके सुझाव' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी में हरियाणा के शिक्षा मंत्री ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने का सबसे बड़ा फार्मूला शिक्षक के हाथ में है. इस फार्मूले के तहत शिक्षक को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को जन-जन तक पहुंचाने की कमान संभालनी होगी. प्रदेश में शिक्षकों के माध्यम से शिक्षा जगत की नई क्रान्ति का सूत्रपात किया जाएगा. इसका आगाज स्वामी विवेकानंद जयंती पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा के तीन अन्य जिलों से किया गया है.
"जल्द ही नई शिक्षा नीति लागू करेगा हरियाणा" : शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने प्रदेशवासियों को स्वामी विवेकानंद जयंती की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरियाणा में वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खामियों को दूर करने के लिए प्रदेश के प्रत्येक वर्ग, नागरिक से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. इसको लागू करने में अहम योगदान शिक्षक का होगा. इसलिए शिक्षकों से सुझाव लेने की पहल की गई है.
"1 अप्रैल से किसी भी स्कूल में नहीं रहेगी शिक्षकों की कमी" : महिपाल ढांडा ने आगे कहा कि हरियाणा में 1 अप्रैल से किसी भी स्कूल में शिक्षक की कमी नहीं रहेगी. प्रदेश के हर स्कूल में शिक्षकों को रेशनलाइज करने के आदेश अधिकारियों को दिए जा चुके हैं. इतना ही नहीं, प्रदेश के सभी स्कूलों में जल्द ही इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत किया जाएगा और अप्रैल माह से पहले स्कूलों की सभी खामियों को दूर करने का प्रयास भी किया जाएगा.
"अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं" : उन्होंने कहा कि राजकीय स्कूलों में बिना खर्ची-पर्ची के योग्य और सर्वश्रेष्ठ शिक्षक नियुक्त किए गए हैं. स्कूलों में अच्छी सुविधाएं दी जा रही है. इसलिए सभी अपने बच्चों को राजकीय विद्यालयों में शिक्षा दिलवाएं. आज की संगोष्ठी भी इसलिए आयोजित की गई थी कि छात्र, अभिभावक, शिक्षक और अधिकारी अपने सुझाव दें ताकि हम प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा माहौल बना सकें कि 2047 में भारत विश्व गुरु बन सकें.
इस नीति में बदलाव शिक्षकों के प्रयासों से ही संभव : उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जन-जन तक पहुंचाने की सबसे महत्वपूर्ण धुरी शिक्षक ही हैं. इस नीति में बदलाव शिक्षकों के प्रयासों से ही संभव है और शिक्षक ही देश की भावी पीढ़ी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति से अवगत करवा सकते हैं. जब देश की भावी पीढ़ी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ग्रहण करेगी तो निश्चित ही भावी पीढ़ी को भारत के इतिहास, संस्कार, संस्कृति और नैतिक मूल्यों को जानने का अवसर मिलेगा.
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